प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू करने का कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिससे भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ 50% हो गया है। यह कदम मुख्य रूप से भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद जारी रखने के जवाब में उठाया गया है। यह टैरिफ 27 अगस्त, 2025 से प्रभावी होगा, हालांकि 17 सितंबर से पहले अमेरिकी सीमा शुल्क से क्लियर होने वाली वस्तुओं को इससे छूट मिल सकती है।
भारत पर प्रभाव और निर्यात पर असर
भारत ने 2024 में अमेरिका को 87.4 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जिसमें टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, फार्मास्यूटिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स प्रमुख हैं। 50% टैरिफ से इन सेक्टर्स पर भारी दबाव पड़ेगा, जिससे निर्यात लागत बढ़ेगी और प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी। अनुमान है कि इससे भारत को 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो सकता है।
जीडीपी और रुपये पर प्रभाव
टैरिफ से भारत की जीडीपी में 0.4-0.8% की कमी आ सकती है। रुपये की कीमत 87.25 प्रति डॉलर से 88-90 तक जा सकती है, जिससे आयात महंगा होगा। शेयर बाजार में टैरिफ की घोषणा के बाद गिफ्ट निफ्टी में 0.8% की गिरावट देखी गई, और विशेषज्ञों ने शेयर बाजार में 2-5% की गिरावट की आशंका जताई है। विदेशी निवेशकों ने 27,000 करोड़ रुपये निकाले।
टेक्सटाइल और फुटवियर में अमेरिका भारत से टेक्सटाइल और फुटवियर का बड़ा आयातक है। 50% टैरिफ से ये उत्पाद महंगे होंगे, जिससे मांग घट सकती है। हीरे और आभूषणों के निर्यात पर असर पड़ेगा, क्योंकि मामूली टैरिफ वृद्धि भी बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित कर सकती है। फार्मास्यूटिकल्स 10.5 अरब डॉलर का फार्मा निर्यात सुरक्षित है, लेकिन मांग घटने से मार्जिन पर असर पड़ सकता है।
पेट्रोलियम और रिफाइनिंग
रूस से सस्ता तेल खरीदने पर पेनल्टी से रिलायंस और IOCL जैसी कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। मिडिल ईस्ट से महंगा तेल खरीदने पर आयात लागत 5-10 अरब डॉलर बढ़ सकती है। कृषि, इंजीनियरिंग और आईटी: कृषि, इंजीनियरिंग सामान (19 अरब डॉलर निर्यात), और आईटी सेक्टर भी प्रभावित होंगे।
लघु और मध्यम उद्यम (MSME) में गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और कर्नाटक के निर्यात हब में MSME पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ेगा, जिससे रोजगार पर असर हो सकता है। वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों को अमेरिकी बाजार में फायदा हो सकता है, क्योंकि उन पर कम टैरिफ (बांग्लादेश पर 20%, अफगानिस्तान पर 15%) लागू हैं।
क्या है भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने टैरिफ को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और तर्कहीन” बताया है। मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। यह भी उल्लेख किया कि अन्य देश भी अपने हित में रूस से व्यापार कर रहे हैं, लेकिन केवल भारत को निशाना बनाया जा रहा है।
भारत के पास 21 दिन का समय है जिसमें वह अमेरिका के साथ बातचीत कर टैरिफ में छूट या कमी की कोशिश कर सकता है। यदि भारत रूस से तेल आयात कम करता है, तो छूट संभव है। भारत जवाबी टैरिफ, ऊर्जा आयात में विविधता, और अन्य बाजारों (जैसे यूरोप, मिडिल ईस्ट) पर ध्यान दे सकता है। BRICS देशों (ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के साथ मिलकर अमेरिकी दबाव का सामना करने की रणनीति भी बन सकती है।
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी, शशि थरूर, और जयराम रमेश ने टैरिफ को “आर्थिक ब्लैकमेल” करार दिया और मोदी सरकार की विदेश नीति को नाकाम बताया। उन्होंने पीएम मोदी से सख्त रुख अपनाने की मांग की।
#WATCH | On US President Trump imposing an additional 25% tariff on India over Russian oil purchases, Congress MP Shashi Tharoor says, "I don't think that's particularly good news for us and that takes our total tariffs to 50 per cent then that's going to make our goods… pic.twitter.com/uWwz9EwA4Q
— ANI (@ANI) August 6, 2025
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि “भारत अपनी स्थिति स्पष्ट करेगा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा।”
अन्य देशों पर टैरिफ
- ब्राजील: 50% टैरिफ, भारत के बराबर।
- चीन: 60% टैरिफ (जून 2025 से)।
- रूस: 100% टैरिफ (मार्च 2025 से)।
- बांग्लादेश: 20%, अफगानिस्तान: 15%, पाकिस्तान: 19%।
- कनाडा: 35%, लेकिन व्यापार समझौते के कारण छूट।
क्या है ट्रंप की रणनीति ?
ट्रंप ने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर “सेकेंडरी सैंक्शन” की धमकी दी है, जिसका मतलब है कि भारत पर और प्रतिबंध लग सकते हैं। उन्होंने इसे अपनी “लिबरेशन डे” नीति का हिस्सा बताया, जिसमें 95 देशों पर 10-41% टैरिफ लागू किए गए हैं। ट्रंप का दावा है कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएँ कमजोर हैं, और यह कदम अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए है।
50% टैरिफ से भारत के निर्यात, विशेष रूप से टेक्सटाइल, ज्वैलरी, और पेट्रोलियम सेक्टर, पर गहरा असर पड़ेगा। रुपये और शेयर बाजार में कमजोरी, और MSME पर दबाव से आर्थिक चुनौतियाँ बढ़ेंगी। भारत कूटनीतिक बातचीत, जवाबी टैरिफ, और वैकल्पिक बाजारों के जरिए इस प्रभाव को कम करने की कोशिश कर सकता है। BRICS देशों के साथ सहयोग भी एक रणनीति हो सकती है।