Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home विशेष

वर्तमान वैश्विक नेतृत्व में विश्व कल्याण के भाव का अभाव है!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
August 8, 2025
in विशेष, विश्व
A A
israel-iran war
23
SHARES
757
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

prahlad sabnaniप्रहलाद सबनानी


नई दिल्ली: आज विश्व के कुछ देशों में सत्ता उस विचारधारा के दलों के पास आ गई है जो शक्ति के मद में चूर हैं एवं अपने लिए प्रशंसा प्राप्त करना चाहते हैं। उनके विचारों में विश्व कल्याण की भावना का पूर्णत: अभाव है। इन देशों के नेतृत्व की कार्यप्रणाली से कुछ देशों के बीच आपस में टकराव पैदा होता दिखाई दे रहा है। दो देशों के बीच की समस्याओं को हल करने के प्रयास के स्थान पर किसी एक देश का पक्ष लेकर दूसरे देश के विरुद्ध खड़े हो जाना भी इन देशों की कार्यप्रणाली का हिस्सा बनता जा रहा है। इस कार्यप्रणाली से कुछ देशों के बीच आपस में युद्ध की स्थिति निर्मित हो रही है।

इन्हें भी पढ़े

donald trump

भारतीय दर्शन को अपनाकर वैश्विक समस्याओं का हल निकाल सकते हैं ट्रम्प प्रशासन!

August 8, 2025

ट्रंप के टैरिफ से भारत-चीन आएंगे करीब? वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल की पूरी कहानी

August 7, 2025

श्रद्धांजलि भी, संकल्प भी, सुषमा स्वराज जी की पुण्यतिथि पर 501 पौधों का रोपण

August 7, 2025
india-us trade deal

ट्रंप का भारत पर 50% टैरिफ, शेयर बाजार पर गहरा असर, क्या हैं भारत के विकल्प?

August 7, 2025
Load More

इजराईल एवं ईरान के बीच एवं रूस एवं यूक्रेन के बीच तथा कम्बोडिया एवं थाईलैंड के बीच छिड़ा हुआ युद्ध इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। दरअसल, दो देशों के बीच युद्ध छिड़ने से चौधराहट करने वाले देशों द्वारा अपने देश में निर्मित हथियारों को युद्ध करने वाले देशों को बेचा जाता है जिससे इन देशों में प्रभावशाली लाबी संतुष्ट होती है और वह इन देशों में चुनाव के समय राजनैतिक दलों की मदद करने का प्रयास करती है। पूंजीवादी देशों में कोरपोरेट जगत द्वारा ही सत्ता की स्थापना की जाती है।

सत्ता प्राप्त करने के बाद इन्हीं राजनैतिक दलों द्वारा इस कोरपोरेट जगत के हितों को साधने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार इन देशों में राजनैतिक दलों एवं कोरपोरेट जगत का एक नेक्सस अपने अपने हितों का ध्यान रखने के लिए सक्रिय रहता है। अमेरिका में भी आज यही स्थिति दिखाई दे रही हैं। अमेरिका में हथियारों का उत्पादन करने वाली कम्पनियों की, वर्तमान सत्ता के गलियारे में, अच्छी पैठ दिखाई देती है।

वर्तमान वैश्विक नेतृत्व द्वारा विश्व कल्याण पर विचार किए जाने एवं छोटे छोटे अविकसित एवं विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं की सहायता किए जाने के स्थान पर अन्य देशों, जिनके नेता इन तथाकथित विकसित देशों की अमानवीय शर्तों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, की अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद किये जाने की धमकियां तक दी जा रही हैं। यूरोपीयन यूनियन के अध्यक्ष ने भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की धमकी इसलिए दी है क्योंकि भारत, रूस से कच्चे तेल का आयात करता है।

इसी प्रकार, ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत एवं रूस की अर्थव्यवस्थाओं को मृत अर्थव्यवस्था की श्रेणी का बताया है एवं भारत द्वारा अमेरिका में किए जाने वाले निर्यात पर 25 प्रतिशत का टैरिफ 1 अगस्त 2025 से लागू कर दिया है क्योंकि भारत, रूस से कच्चे तेल एवं सुरक्षा उपकरणों का भारी मात्रा में आयात करता है। जबकि, भारत एवं अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार संधि अपने अंतिम चरण में हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक पूजनीय श्री गुरुजी (श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर) ने आज से 65/70 वर्ष पूर्व ही साम्यवादी एवं पूंजीवादी विचारधारा पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था कि “न तो साम्यवाद और न ही पूंजीवाद संसार को एक सूत्र में बांध सकेंगे। इसके पीछे उन्होंने कुछ बुनियादी कारण बताए थे। भौतिकवादी दर्शन, जो मनुष्य को एक प्राणी मात्र समझता है और मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति को ही सर्वोच्च लक्ष्य मानता है, वह मनुष्य में स्पर्धा और संघर्ष का भाव तो उत्पन्न कर सकता है, उसमें एकता और सौहार्द पैदा नहीं कर सकता।

कारण स्पष्ट है – भौतिकता की भूमि पर मतभेद और मार्गों की भिन्नता अनिवार्य हो जाती है। वे अलगाव और वर्चस्व की धारा को बल प्रदान करते हैं। जो लोग संसार को भौतिकता के यथार्थ से देखते हैं उनके लिए समन्वय और एकात्मता का कोई महत्व नहीं है। वे सहयोग के विषय में सोच ही नहीं सकते। यह तो भारत की दृष्टि है, जब हम इन विभिन्नताओं के भीतर छिपी आंतरिक एकता का अनुभव करते हैं, जब हम सम्पूर्ण एकात्मता की अनुभूति कर पाते हैं।

भौतिकवादी दृष्टिकोण में हम अपना अलग और बिरला अस्तित्व समझने लगते हैं, जिनमें पारस्परिक प्रेम और अपनत्व का कोई स्थान नहीं होता। ऐसे प्राणियों में अपनी स्वार्थपरता पर नियंत्रण करने और समस्त मानवजाति की भलाई में बाधक तत्वों को नष्ट करने की भी कोई प्रेरणा नहीं होती हैं।” आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की सत्ता में बैठे विभिन्न राजनैतिक दलों की स्थिति को देखते हुए, 65/70 वर्ष पूर्व प्रकट किए गए पूजनीय गुरुजी के उक्त विचार आज कितने सटीक बैठते हैं।

पूजनीय श्री गुरुजी का यह दृढ़ विश्वास था कि भारतीय जीवन पद्धति ही एक मात्र ऐसी पद्धति है जो सामाजिक विकास को अवरुद्ध किए बिना वैयक्तिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करती है। पश्चिमी दर्शन दो पद्धतियों पर विश्वास करता है – लोकतंत्र और साम्यवाद। लोकतंत्र ने स्वार्थ परता को बढ़ावा दिया और एक मनुष्य को दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर दिया। यह सर्वविदित है। इसमें मनुष्य के लिए कहीं भी शांति नहीं है। इस व्यवस्था में आध्यात्मिकता के विकास का कोई अवसर अथवा मार्ग नहीं है। आत्म-प्रशंसा और पर निंदा जो प्रायः चुनावों के समय देखी जा सकती है, आध्यात्मिकता की हत्या कर देती है।

यह विचार भारत की वर्तमान राजनैतिक स्थिति पर भी सटीक बैठते हैं। दूसरी ओर, साम्यवाद मस्तिष्क को एक ही विचारधारा से ग्रसित कर देता है। यह मनुष्य की वैयक्तिकता का विनाश कर देता है किन्तु मनुष्य केवल पशु नहीं है जो खाते पीते है और संतानोत्पति मात्र करते हैं। मनुष्य में सोचने, विचारने, चिंतन एवं मनन करने की शक्ति भी होती है जिसके माध्यम से कर्म एवं अर्थ सम्बंधी कार्य को धर्म के साथ जोड़कर सम्पन्न करने की क्षमता विकसित होती है। इस शक्ति को भौतिक वस्तुओं की सम्पन्नता के बीच भी प्राप्त किया जा सकता है यदि व्यक्ति का झुकाव आध्यात्म की ओर हो।

पूंजीवादी एवं साम्यवादी विचारधारा के ठीक विपरीत भारतीय दर्शन में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक एकता को परस्पर आश्रितता के माध्यम से दोनों को ही सुनिश्चित किया गया है। प्राचीन काल में भारत के नागरिक आर्थिक दबाव से मुक्त रहते थे, क्योंकि किसी भी परिवार में शिशु के जन्म के साथ ही उसे एक पुश्तैनी व्यवसाय को चलायमान रखने की गारंटी रहती थी। उस खंडकाल में परिवार में पुश्तैनी व्यवसाय को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ी के कंधो पर रहती थी।

अतः युवा पीढ़ी पर आर्थिक दृष्टि से दबाव अथवा तनाव नहीं रहता था। अब तो पश्चिमी दार्शनिक भी भारतीय आर्थिक दर्शन के विभिन्न आयामों पर गम्भीरता से विचार करने लगे हैं। दरअसल, इसी पद्धति के चलते भारत में वर्ण व्यवस्था (क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र एवं ब्राह्मण) पनपी थी जिसे बाद में अंग्रेजों ने दुर्भावनावश जाति व्यवस्था का नाम दे दिया था तथा हिंदू समाज में जाति व्यवस्था के नाम पर तथाकथित विभिन्न जातियों (अंग्रेजी शासन की देन) के बीच आपस में मतभेद पैदा करने में सफलता पाई थी ताकि उन्हें भारत पर अपना शासन स्थापित करने में आसानी हो।

वैश्विक स्तर पर पूंजीवादी एवं साम्यवादी व्यवस्थाओं में आ रही समस्याओं के समाधान में असफल रहने के बाद अब कई देश भारत के दर्शन पर रिसर्च कर रहे हैं एवं इस व्यवस्था को अपने देश में लागू करने पर गम्भीरता से विचार कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी लगातार इस बात को दोहराता रहा है कि सनातन हिंदू संस्कृति के संस्कारों से ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। अतः भारत का विश्व गुरु बनना केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के भले के लिए भी आवश्यक है।

भारत में पनपी हिंदू सनातन संस्कृति मनुष्य को सांसारिक आवश्यकताओं से चिंतामुक्त करके ईश्वरोन्मुखी बनाती है। भारत में समस्त वर्णों में उच्च श्रेणी के संत महात्माओं का जन्म हुआ है। यही कारण है कि सभी जातियों में आध्यात्मिकता के आधार स्तम्भ पर खड़ा यह एक आश्चर्यजनक लोकतंत्र है। इस पृष्ठभूमि में भारत में सभी नागरिक समान और एकात्म हैं। इसी आध्यात्म के बल पर कालांतर में भारत विश्व गुरु बन गया था। आज के परिप्रेक्ष्य में एक बार पुनः पूरे विश्व को एक बार पुनः भारतीय आध्यात्म की आवश्यकता है

 

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

आरएसएस के कितने लोग आजादी की लड़ाई में शहीद हुए?

December 12, 2023
Owaisi

संसद में जय फिलिस्तिन के नारे लगाने का मकसद क्या है?

July 4, 2024

क्या भारत में ISI का मोहरा है अमृतपाल सिंह?

February 28, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • भारत का डिजिटल ब्रह्मास्त्र, अब एक क्लिक से ठप होंगे दुश्मन के रडार, सैटेलाइट और सिस्टम
  • MP में साइबर ठगी का नया तरीका, बचा लो, बचा लो की आवाज और…
  • धराली प्रलय के बाद उत्तराखंड सरकार ने रख दीं केंद्र के सामने 2 मांगें

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.