नई दिल्ली: अमेरिका की टेक कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी की जा रही है। कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि ये छंटनियां इसलिए हो रही हैं, ताकि H-1B वीजा देकर सस्ते विदेशी वर्कर्स की हायरिंग की जा रही है। इस बीच इन टेक कंपनियों पर एक बार फिर से बड़ा आरोप लगा है, जिसमें कहा गया है कि कंपनियां अब जॉब्स के विज्ञापन अखबारों में देने वाले नियम को दरकिनार कर रही हैं। अमेरिका में नियम है कि कंपनियों को जॉब्स की डिटेल्स अखबार में देनी होती है, ताकि अमेरिकी लोग इन नौकरियों के लिए अप्लाई कर इन्हें पा सकें।
नए H-1B नियम से बड़ा झटका स्टूडेंट्स को झेलना पड़ेगा नुकसान
नियम कहते हैं कि सबसे पहले नौकरी उन लोगों को मिलनी चाहिए, जो अमेरिका में पैदा हुए हैं। न्यूजवीक की रिपोर्ट में कहा गया है कि जॉब्स के विज्ञापन इस तरह दिए गए जा रहे हैं, जिससे आवेदकों के एप्लिकेशन सीधे कंपनी के ‘ग्लोबल मॉबिलिटी’ डिपार्टमेंट के पास पहुंच जाए। आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब किसी विदेशी वर्कर की हायरिंग की जानी हो। भले ही आवेदन अखबार में दिए जा रहे हैं, लेकिन आवेदन करने पर एप्लिकेशन उस डिपार्टमेंट के पास पहुंच रहा है, जो सिर्फ विदेशी वर्कर्स की हायरिंग का जिम्मा संभालता है।
अमेरिकियों को साथ हो रहा भेदभाव
अमेरिकी लोगों को H-1B वीजा वाले जॉब्स की जानकारी देने वाली वेबसाइट Jobs.Now ने न्यूजवीक को बताया कि अमेरिकियों को मालूम भी नहीं है कि बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां लगातार उनके साथ भेदभाव कर रही हैं। उसने कहा, ‘ऐसे समय में जब अमेरिका में कॉलेज ग्रेजुएट्स के बीच बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है, हायरिंग प्रोसेस में भेदभाव गलत है। इस वजह से अमेरिकी बेरोजगार रह जा रहे हैं।’ Jobs.Now ने कहा कि इन पदों के लिए भर्ती, कंपनी के रिक्रूटमेंट प्रोसेस से अलग की जाती है।
हायरिंग पर किन वजहों से उठा सवाल?
न्यूज़वीक की रिपोर्ट में OpenAI द्वारा सैन फ्रांसिस्को क्रॉनिकल में दिए गए एक नौकरी के विज्ञापन का हवाला दिया गया है। इसमें कहा गया है कि कंपनी को एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जरूरत है, लेकिन रिज्यूमे ‘ग्लोबल मोबिलिटी टीम’ को भेजे जाने थे। एक अन्य टेक कंपनी इंस्टाकार्ट ने कई पदों पर वैकेंसी निकाली। यहां भी आवेदन ‘ग्लोबल मोबिलिटी टीम’ को भेजना था। यूडेमी ने मार्केटिंग एनालिटिक्स और डेटा साइंस के लिए डायरेक्टर की भर्ती निकाली, जिसमें रिज्यूमे immigration@udemy.com पर भेजे जाने थे।
‘ग्लोबल मोबिलिटी टीम’ का काम विदेशों से वर्कर्स की हायरिंग करना होता है। बड़ी टेक कंपनियों में हायरिंग H-1B वीजा के जरिए होती है। ‘ग्लोबल मोबिलिटी टीम’ सुनिश्चित करती है कि किस विदेशी वर्कर का सेलेक्शन किया जाएगा। उसके बाद ही उन्हें H-1B वीजा मिलता है। अब आरोप लगाया जा रहा है कि H-1B वीजा वर्कर्स को लाने के लिए ही इस तरह के जॉब्स के विज्ञापन दिए जा रहे हैं।