स्पेशल डेस्क/ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 2025 शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन शहर में आयोजित हुआ। इसकी थीम “शंघाई स्पिरिट को मजबूत करना SCO आगे बढ़ रहा है” थी। सम्मेलन में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे 10 सदस्य देशों के नेता शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय बैठकें कीं।
सम्मेलन का मुख्य दस्तावेज “तियानजिन घोषणापत्र” (Tianjin Declaration) है, जिसमें आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनी। यह घोषणापत्र भारत के रुख को मजबूत करता है, खासकर अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले (जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हुई) के बाद। भारत ने सीमापार आतंकवाद को प्रमुखता देने के लिए दबाव डाला, जबकि पाकिस्तान ने इसका विरोध किया। इजरायल पर हमलों की निंदा भारत ने अलग रखी, और ट्रंप के टैरिफ युद्ध को SCO ने बहुपक्षीयता के खतरे के रूप में देखा। आइये SCO के संदेशों का विस्तार में विश्लेषण एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
पाकिस्तान का नाम न लेकर अप्रत्यक्ष चेतावनी
घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया “सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। ऐसे हमलों के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।” यह पहली बार है जब SCO ने किसी विशिष्ट हमले का नाम लेते हुए निंदा की। साथ ही, “आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उचित नहीं ठहराया जा सकता। SCO सदस्यों को आतंकवाद के सभी रूपों की एकजुट निंदा करनी चाहिए।”
किसे दिया मैसेज ?
पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष रूप से। भारत ने पाकिस्तान को नाम लिए बिना “सीमापार आतंकवाद को नीति का हथियार बनाने वाले देशों” का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, “आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं। कुछ देश आतंकवाद को खुला समर्थन देते हैं, जो मानवता के लिए चुनौती है।” पहलगाम हमला लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट ने किया था, जिसके पाकिस्तान में ठिकाने हैं। SCO ने “प्रायोजकों” शब्द से पाकिस्तान को चेतावनी दी, लेकिन नाम न लेकर सहमति बनी। इससे पाकिस्तान को संदेश है कि SCO अब भारत के स्टैंड का समर्थन कर रहा है, और उसके “डिनायल” की नीति अब काम नहीं आएगी।
एकजुटता का आह्वान। भारत ने RATS (रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर) के माध्यम से संयुक्त सूचना अभियान (जॉइंट इंफॉर्मेशन ऑपरेशन) का प्रस्ताव रखा, जिसमें अल-कायदा जैसे समूहों को निशाना बनाया जाए। यह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए भी प्रासंगिक है।
क्या रही भारत की भूमिका
भारत ने जून 2025 के SCO डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि पहलगाम का जिक्र नहीं था। तियानजिन में भारत की दृढ़ता से यह शामिल हुआ। ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025 में पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर भारत का हमला) का अप्रत्यक्ष समर्थन मिला। यह भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच SCO की विश्वसनीयता को मजबूत करता है। पाकिस्तान ने हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया, लेकिन SCO की निंदा से उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि प्रभावित होगी।
पाकिस्तान पर विशेष मैसेज
आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में अलगावक्या कहा गया? घोषणापत्र में “क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म” की कड़ी निंदा है, जो भारत की मांग थी। “आतंकवाद के वित्तपोषण, संगठन और प्रायोजन को रोका जाए।” पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया, लेकिन संदर्भ स्पष्ट है। SCO अब भारत के पक्ष में झुक रहा है। पाकिस्तान ने हमेशा बलूचिस्तान में “भारतीय समर्थन” का आरोप लगाया, लेकिन पहलगाम का जिक्र न करने पर भारत ने जून मीटिंग का बयान ठुकरा दिया। तियानजिन में पाकिस्तान के विरोध के बावजूद यह शामिल हुआ, जो उसके लिए झटका है। संदेश “आतंकवाद को शरण देने वाले देशों को परिणाम भुगतने पड़ेंगे।” पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने सम्मेलन में भाग लिया, लेकिन भारत के दबाव से SCO ने पाकिस्तान की “नैरेटिव” को नजरअंदाज किया।
भारत की कूटनीतिक जीत
अप्रत्यक्ष। अमेरिका-पाकिस्तान काउंटरटेररिज्म डायलॉग (अगस्त 2025) में TTP, ISIS-K और BLA का जिक्र था, लेकिन SCO ने भारत के साथ मिलकर पाकिस्तान को अलग-थलग करने का मैसेज दिया। ट्रंप की पाकिस्तान के साथ नजदीकी (जैसे काउंटरटेररिज्म सहयोग) के बावजूद, SCO ने क्षेत्रीय एकजुटता दिखाई। भारत-पाकिस्तान के बीच मई 2025 का संघर्ष (मिसाइल हमले और युद्धविराम) SCO के लिए चुनौती था। यह घोषणापत्र भारत की कूटनीतिक जीत है, जो पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव में डालता है।
ईरान के पक्ष में निंदा, लेकिन भारत का अलगाव
घोषणापत्र में कहा गया कि “सदस्य देशों ने जून 2025 में इस्लामिक गणराज्य ईरान के खिलाफ इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन्य हमलों की कड़ी निंदा की।” साथ ही, फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष में गाजा की नागरिक मौतों की निंदा करते हुए “तत्काल और स्थायी युद्धविराम” की मांग। SCO (चीन-रूस के नेतृत्व में) ने इजरायल के ईरान पर हमलों को “संप्रभुता का उल्लंघन” बताया। ईरान SCO सदस्य है, इसलिए यह उसके समर्थन में है। “क्षेत्रीय शांति के लिए आक्रामक कार्रवाइयां अस्वीकार्य।”
हमलों में अमेरिका की भूमिका का जिक्र। ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति और इजरायल समर्थन को चुनौती। SCO ने बहुपक्षीयता पर जोर दिया, जो ट्रंप के एकतरफा दृष्टिकोण के विपरीत है। भारत ने जून 2025 में इस निंदा से खुद को अलग रखा, क्योंकि वह इजरायल का मजबूत सहयोगी है (ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम आदि)। पीएम मोदी ने कहा, “हम संवाद और कूटनीति पर जोर देते हैं।” भारत SCO में भाग लेगा, लेकिन इजरायल-ईरान मुद्दे पर अपना स्टैंड नहीं बदलेगा। ईरान-इजरायल युद्ध (12 दिनों का) SCO के लिए तनावपूर्ण था। भारत की दूरी से SCO की एकजुटता प्रभावित हुई, लेकिन घोषणापत्र ईरान के पक्ष में मजबूत हुआ।
टैरिफ युद्ध के खिलाफ बहुपक्षीय एकजुटता
घोषणापत्र में “बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग” पर जोर, जिसमें “अनुचित टैरिफ और एकतरफा प्रतिबंधों” की आलोचना अप्रत्यक्ष रूप से है। SCO ने “निष्पक्ष बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था” की वकालत की, जिसमें UN और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन हो। ट्रंप के 50% टैरिफ (भारत-चीन पर) और रूस पर प्रतिबंधों को निशाना। सम्मेलन में चर्चा हुई कि ट्रंप की नीतियां SCO के आर्थिक एजेंडे (BRI, CPEC) को प्रभावित कर रही हैं। पीएम मोदी ने कहा, “ट्रेड फ्रिक्शन वैश्विक विकास को बाधित करते हैं।” SCO वैकल्पिक आर्थिक गठबंधन (जैसे SCO इकोनॉमिक स्ट्रैटेजी 2030) बनाएगा, जो अमेरिकी दबाव का मुकाबला करेगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रंप की “पीस अरेंजमेंट्स” (जैसे भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में अमेरिकी भूमिका) के बीच SCO ने “अविभाज्य सुरक्षा” का सिद्धांत दोहराया। ट्रंप की वापसी से SCO ने “ग्लोबल साउथ” की एकजुटता दिखाई। भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखने पर अमेरिकी दबाव का जिक्र किया, लेकिन SCO ने आर्थिक सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया।
क्या हैं SCO की चुनौतियां?
पहलगाम हमले की निंदा और सीमापार आतंकवाद पर फोकस से भारत का स्टैंड मजबूत हुआ। मोदी ने कहा, “सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर SCO के आधार हैं।”
भारत-पाकिस्तान विवाद, इजरायल-ईरान तनाव और ट्रंप की नीतियां SCO की सहमति को कठिन बनाती हैं। कोई विवाद समाधान तंत्र न होने से यह “कॉन्ट्राडिक्शन ऑर्गनाइजेशन” बन सकता है। अगला शिखर सम्मेलन 2026 में रूस में। SCO ने RATS को मजबूत करने, स्टार्टअप फोरम और थिंक टैंक मीटिंग्स का स्वागत किया।