नई दिल्ली। बिहार चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने पहुंची चुनाव आयोग की टीम ने जिस फार्म 17 की बात की वो Vote Counting की प्रक्रिया में बेहद अहम दस्तावेज़ होता है. चुनाव आयोग के इस आधिकारिक दस्तावेज को तकनीकी भाषा में Account of Votes Recorded कहा जाता है. इसे प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदान समाप्त होने के बाद प्रेसाइडिंग ऑफिसर द्वारा भरा जाता है.
चुनाव आयोग के हलफनामे में बताया गया है कि कानून के तहत फॉर्म 17C पोलिंग एजेंटों को दिया जाता है, लेकिन इसे आम पब्लिक के लिए सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं है. इससे न केवल परिणामों की विश्वसनीयता बनी रहती है बल्कि भविष्य में किसी भी तरह के विवाद या गड़बड़ी की स्थिति में पुख्ता सबूत के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. चुनाव आयोग ने चेतावनी दी है कि फॉर्म 17C को सार्वजनिक करने से पूरे चुनावी क्षेत्र में गड़बड़ी और गड़बड़ी हो सकती है और डेटा में हेराफेरी की संभावना बढ़ सकती है.
17C फार्म में क्या-क्या होता है दर्ज?
- मतदान केंद्र का विवरण (संख्या, नाम आदि)
- EVM (Electronic Voting Machine) का सीरियल नंबर
- कुल मतदाता संख्या (Total Electors)
- कितने वोट पड़े (Votes Polled)
- कितने वोट वैध/अवैध हैं (Valid/Invalid Votes)
- कितने वोटों का उपयोग नहीं हुआ (Unused votes)
- कितने वोट ‘NOTA’ के रूप में पड़े
- VVPAT की गिनती और विवरण
मतगणना में क्यों अहम?
- मतदान के बाद फॉर्म 17C की एक प्रति उम्मीदवारों/एजेंट्स को दी जाती है, और दूसरी प्रति मतगणना केंद्र में भेजी जाती है. फॉर्म 17C को मतगणना के दौरान आधार दस्तावेज़ की तरह इस्तेमाल किया जाता है.
- EVM में दर्ज वोटों से मिलान: जब वोटों की गिनती होती है, तो EVM में दिखे कुल वोटों की संख्या को फॉर्म 17C में दर्ज आंकड़ों से क्रॉस-चेक किया जाता है.
- गड़बड़ी या विवाद की स्थिति में सबूत: यदि किसी उम्मीदवार को वोटों की संख्या को लेकर शक होता है, तो फॉर्म 17C एक कानूनी सबूत के रूप में काम आता है.
- पारदर्शिता और भरोसा: चूंकि फॉर्म 17C पर पार्टी एजेंट्स के हस्ताक्षर भी लिए जाते हैं, इसलिए यह मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है.
फार्म 17C पर पोलिंग एजेंटों के हस्ताक्षर
यह फार्म मतगणना का आधारभूत रिकॉर्ड होता है. गिनती के समय अगर किसी उम्मीदवार को संदेह हो तो इसी दस्तावेज के जरिए वास्तविक आंकड़े परखे जा सकते हैं. खास बात यह है कि फार्म 17C पर पोलिंग एजेंटों के हस्ताक्षर भी लिए जाते हैं और उसकी एक कॉपी उन्हें दी जाती है. इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहती है और बाद में किसी तरह के विवाद की गुंजाइश कम हो जाती है. सरल शब्दों में कहें तो 17C फार्म चुनाव का ऑडिट पेपर है, जो यह साबित करता है कि ईवीएम में गिने गए वोट और मैदान में पड़े वोट बिल्कुल मेल खाते हैं.