कभी हर हाथ में दिखाई देने वाली एचएमटी घड़ी अब इतिहास बनकर रह गई है. जिस घड़ी को पहनना स्टेटस सिंबल माना जाता था, आज वह गुजरे जमाने की बात हो गई है. कंपनी बंद होने से कई लोगों का रोजगार तो छिना ही, साथ ही इस कंपनी की घड़ियों के शौकीनों को तगड़ा झटका लगा. कई लोगों ने आज भी इस कंपनी की घड़ियों को सहेज कर रखा है.
कभी स्टेटस सिंबल हुआ करती थी HMT की घड़ीहल्द्वानी: 90 के दशक में एचएमटी कंपनी की घड़ियां लोगों की हाथों की शान हुआ करती थी. एचएमटी की घड़ियां स्टेटस सिंबल मानी जाती थी. लेकिन अब एचएमटी की घड़ियां इतिहास बन कर रह गई हैं. शादी के दौरान दूल्हे को या रिटायरमेंट के दौरान कर्मचारियों को उपहार के रूप में एचएमटी की घड़ियां देने का रिवाज था.
एचएमटी फैक्ट्री खंडहर में तब्दील: लेकिन आज एचएमटी की घड़ियां लोगों की कलाइयों से दूर हो गई हैं. इसका मुख्य कारण है कि कई साल पहले एचएमटी फैक्ट्री ने अपनी सभी यूनिट को बंद कर दिया था. लेकिन आज भी लोगों के जुबान पर एचएमटी कंपनी की घड़ी का नाम सुना जा सकता है. उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रानीबाग में एचएमटी घड़ी की फैक्ट्री हुआ करती थी लेकिन एचएमटी की फैक्ट्री अब बंद हो चुकी है. एचएमटी फैक्ट्री हर साल 20 लाख से अधिक घड़ियों का उत्पादन करती थी. लेकिन समय बदला और परिस्थितियां विपरीत हुईं तो एचएमटी इतिहास बनकर रह गयी है. अब एचएमटी फैक्ट्री खंडहर में तब्दील हो चुकी है.
पूर्व पीएम स्व. राजीव गांधी ने किया था उद्घाटन: साल 1990 के दशक में लोगों को घड़ी पहनने का बढ़ा क्रेज था. शादी के दौरान दूल्हा हो या रिटायरमेंट के दौरान कर्मचारियों को या एग्जाम पास करने में बच्चों को उपहार स्वरूप एचएमटी की घड़ियां दी जाती थी. लेकिन अब एचएमटी कंपनी की घड़ी का अस्तित्व खत्म हो गया है. एचएमटी फैक्ट्री कुमाऊं की शान हुआ करती थी. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में उद्योग मंत्री रहते हुए स्वर्गीय एनडी तिवारी की पहल पर साल 1982 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में फैक्ट्री को मंजूरी मिली. साल 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने एचएमटी फैक्ट्री का उद्घाटन किया. करीब 91 एकड़ में फैले एचएमटी घड़ी कारखाना व आवासीय परिसर में 1246 कर्मचारी काम किया करते थे.
मैनेजमेंट ने फैक्ट्री को किया बंद: लेकिन आज कर्मचारियों की नौकरी खत्म हो चुकी है. आज एचएमटी के कर्मचारी भी इस फैक्ट्री की बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. साल 1985 में स्थापित फैक्ट्री में हजारों लोगों को रोजगार मिलता था. स्वर्णिम दौर में यहां हर साल 20 लाख से अधिक घड़ियों का उत्पादन होता था. शुरुआती दिनों में फैक्ट्री में 1246 कर्मचारी काम किया करते थे. कुप्रबंधन के कारण फैक्ट्री पर संकट के बादल मंडराने लगे. साल 1993-94 में फैक्ट्री घाटे में आने लगी. जिसके बाद कई बार इस फैक्ट्री को चलाने के लिए वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई गई. लेकिन साल 2016 में मैनेजमेंट ने फैक्ट्री को बंद कर दिया. आज भी घड़ी पहनने वाले शौकीन एचएमटी घड़ी की तलाश करते हैं.
कंपनी के बारे में लोगों की राय: हल्द्वानी के सबसे बड़े घड़ी कारोबारी लखबीर सिंह का कहना है कि साल 1990 से लेकर 2000 तक एचएमटी फैक्ट्री में घड़ियों का उत्पादन हुआ. लोगों की एचएमटी घड़ी पहली पसंद हुआ करती थी. लेकिन बाजार में नई कंपनियां आने के बाद प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हो गया. यहां तक कि एचएमटी की घड़ियां पोस्ट ऑफिस में भी मिला करती थी. आज भी लोग एचएमटी घड़ी की मांग करते हैं. लेकिन बाजारों में उपलब्ध नहीं होने के चलते लोग नहीं खरीद पाते हैं.
धरोहर बनाकर घरों में रखा: घड़ी कारोबारी राजेंद्र राज ने बताया कि एचएमटी घड़ी की क्वालिटी अन्य कंपनियों की घड़ियों की तुलना में बेहतर थी. इसका मेंटेनेंस भी आसान हुआ करता था. लुक के साथ-साथ कई डिजाइन में एचएमटी अपनी घड़ियों को तैयार करती थी जो लोगों की पहली पसंद हुआ करते थी. घड़ी के शौकीन आज भी एचएमटी घड़ी की मांग करने हैं. लेकिन कुछ लोगों ने एचएमटी की घड़ियों को अब धरोहर के रूप में भी अपने घर में रखा है.