नई दिल्ली। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जारी सीमा विवाद के बीच भारत ने अफगानिस्तान का खुलकर समर्थन किया है। भारत ने कहा कि इ्स्लामाबाद का इतिहास ही आतंक से जुड़ा रहा है। वहीं वह अपनी विफलता के लिए पड़ोसियों पर दोषारोपण करता रहता है। बता दें कि पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने काबुल समेत अफगानिस्तान के कई शहरों पर उस समय एयरस्ट्राइक कर दी जब तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत की यात्रा पर आए थे। वहीं मुत्ताकी ने भारत को आश्वासन देते हुए कहा कि वह कभी भी अफगान धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा कि भारत अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव पर करीब से नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि जो भी तनाव की स्थिति बनी है वह इस्लामाबाद की वजह से ही बनी है। जैसवाल ने कहा. भारत पूरी तरह से अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, एकता और अखंडता के लिए प्रतिबद्ध है।
विदेश मंत्रालय ने गिनाईं पाकिस्तान की तीन आदतें
उन्होंने कहा, तीन बातें एकदम स्पष्ट हैं। पहली यह कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है और आतंकी गतिविधियों में मदद करता है। दूसरा, पाकिस्तान हमेशा से ही अपनी असफलताओं के लिए पड़ोसियों पर दोष लगाता रहा है। तीसरी बात, पाकिस्तान को यह रास नहीं आ रहा है कि अफगानिस्तान अपनी अखंडता को मजबूत कर रहा है और विकास के रास्ते पर है।
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने एक तालिबान कमांडर को मारने के लिए अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक की थी। हालांकि बाद में कमांडर का ऑडियो मेसेज सामने आया जिसमें उसने जीवित होने का दावा किया है। वहीं इस एयरस्ट्राइक के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर पर गोलीबारी शुरू हो गई। तालिबान ने सीमा पर 58 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मारने का दावा किया था।
अफगानिस्तान के स्पिन बोल्टैक क्षेत्र के प्रशासन ने दावा किया था कि इस झड़प में कम से कम 40 अफगान नागरिक भी मारे गए हैं। बताया गया कि 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबानी शासन का कब्जा होने के बाद से कभी डूरंड लाइन पर इस तरह की हिंसा नहीं हुई। पाकिस्तान की मांग है कि अफगानिस्तान को तहरीक-ए-तालिबान जैसे संगठनों से निपटना चाहिए और उसे पनाह नहीं देनी चाहिए। वहीं तालिबान का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना दुष्प्रचार कर रही है और इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठनों को पनाह देती है।
जैसवाल ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत की जल्द ही रणनीतिक उपस्थिति होगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही कह चुके हैं कि काबुल में जल्द ही भारत का दूतावास फिर से खुलेगा। काबुल के टेक्निकल मिशन को फिर से दूतावास में तब्दील कर दिया जाएगा।