प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर सत्तारूढ़ बीजेपी और चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोला है। इस बार निशाना है हरियाणा, जहाँ राहुल गांधी ने कथित वोट चोरी के सबूत पेश करते हुए इसे “H-FILES” नाम दिया है।
राहुल गांधी के मुताबिक, हरियाणा में बड़े पैमाने पर फर्जी वोटिंग की गई। उन्होंने दावा किया कि “एक ही व्यक्ति का नाम कई मतदाता सूचियों में अलग-अलग जगह दर्ज है। इतना ही नहीं, कुछ इलाकों में “डुप्लीकेट वोट” और “ग़ैर-मौजूद लोगों के नाम पर वोट डालने” जैसी अनियमितताएँ भी सामने आई हैं।
लेकिन सवाल ये है-“जब राहुल गांधी के पास इतने ठोस सबूत हैं, तो वे अदालत क्यों नहीं जाते?”
इस सवाल पर जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा —“वोटर लिस्ट मेरा मुद्दा नहीं है।”
अब इस बयान ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं — अगर वोटर लिस्ट राहुल गांधी का मुद्दा नहीं है, तो फिर असली मुद्दा क्या है? क्या यह मामला केवल चुनावी नैरेटिव को सेट करने की रणनीति है, या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक षड्यंत्र छिपा है?
कई राजनीतिक विश्लेषक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि “क्या राहुल गांधी Gen-Z यानी नई पीढ़ी के वोटर्स के ज़रिए देश में एक नई राजनीतिक हवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं ? या फिर भारत की राजनीति को बांग्लादेश और नेपाल जैसे अस्थिर राजनीतिक हालात की ओर मोड़ने की तैयारी चल रही है?
फिलहाल, राहुल गांधी की H-FILES ने हरियाणा की सियासत में हलचल तो मचा दी है — लेकिन अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि “क्या कांग्रेस इन आरोपों को अदालत तक ले जाएगी, या ये मुद्दा सिर्फ़ सियासी मंचों पर ही गूंजता रहेगा।”
राजनीति की हर परत को समझिए — क्योंकि हर बयान, एक कहानी कहता है।
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