देहरादून ,14 जून (आरएनएस)। पहाड़ पर झाडू लगाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी से लगातार बड़े चेहरे किनारा करने में लगे हैं। एक माह पहले ही काशीपुर से चुनाव लड़े दीपक बाली को अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड की कमान सौंपीं, लेकिन एक माह में ही बाली को पार्टी के अंदर असहज महसूस होने लगा। हाल ये हुआ कि बाली ने भी आप से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। हाल ही में आप के सीएम चेहरे कर्नल अजय कोठियाल और कार्यकारी अध्यक्ष रहे भूपेश उपाध्याय ने भी आप से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन की। इन सभी घटनाक्रम का सीधा असर हिमाचल में होने वाले चुनावों में पडऩा तय है। जिससे सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर आप दिल्ली मॉडल के तर्ज पर उत्तराखंड को चलाना चाहती है याफिर अरविंद केजरीवाल से उत्तराखंड के नेताओं का विश्वास ही खत्म हो रहा है।
चुनाव से पहले हुई उत्तराखंड में एंट्री दिसंबर 2020 में दिल्ली के उपमुख्यमंत्रीमनीष सिसौदिया ने ऐलान किया कि आप दिल्ली के बाद उत्तराखंड में भी विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। मुद्दे बनाए गए स्कूलों के हालात और बिजली मुफ्त देने के साथ रणनीति पर फोकस करने की बात की गई। सबसे पहले एसएस कलेर को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया। लेकिन कलेर ने सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री धामी के खिलाफ खटीमा से चुनाव लडऩे का ऐलान कर प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पार्टी ने भूपेश उपाध्याय को कार्यकारी अध्यक्ष, कुमाऊं, अनन्त राम चैहान को कार्यकारी अध्यक्ष गढ़वाल और प्रेम सिंह राठौर को कार्यकारी अध्यक्ष, तराई बनाया गया है। साथ ही दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कर्नल अजय कोठियाल को सीएम फेस घोषित किया। पार्टी ने 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। कर्नल को गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ाया गया। लेकिन वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। चुनाव में मिली करारी हार के बाद आप के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कार्यकारिणी को भंग कर दिया। इसके बाद 29 मई को दीपक बाली को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। बाली के अध्यक्ष बनने के बाद कर्नल अजय कोठियाल और भूपेश उपाध्याय ने पार्टी छोड़ दी। लेकिन सोमवार को अचानक बाली ने अध्यक्ष पद और आप से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली। खास बात ये है कि आप के अब तक के सभी इस्तीफे सोशल मीडिया में वायरल किए जाते हैं।
संगठन में हुए कई बार बदलाव, प्रभारी पर भी लगे आरोप दिल्ली के सीएम और पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कई बार देहरादून और उत्तराखंड आए। उन्होंने चुनाव में उत्तराखंंड को आध्यात्मिक राजधानी बनाने, 300 यूनिट बिजली मु्फ्त देने आदि कई लोकलुभावने वादे किए लेकिन जनता ने आप को पूरी तरह नकार दिया। आप लगातार दिल्ली मॉडल को उत्तराखंड में लागू करने का दावा करते रहे।अरविंद केजरीवाल ने दिनेश मोहनिया को ही उत्तराखंड का प्रभारी बनाए रखा। जिन पर समय-समय पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने आरोप भी लगाए। पार्टी के अंदर लिए जा रहे निर्णय को लेकर आप के कार्यकर्ता कई बार सीनियर नेताओं पर आरोप लगाते रहे। लेकिन अब तक किसी तरह का कोई बदलाव पार्टी में देखने को नहीं मिला। ये अलग बात है कि उत्तराखंड के बड़े चेहरे लगातार आप से किनारा करते आ रहे हैं।