Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

आदिवासी और उनके अधिकार

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
April 16, 2025
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
Adivasis and their rights
17
SHARES
565
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

मुरार सिंह कंडारी


नई दिल्ली: जनजाति समाज की परम्परागत आस्था एवं देवस्थानों का संरक्षण और उनकी बोली-भाषा का विकास करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। जनजाति समाज के परिचय एवं पहचान हेतु मुख्य रूप से पांच बिंदुओं को आधार माना गया है:
आदिमपन: जनजाति समाज की पारंपरिक जीवनशैली और उनकी विशिष्ट संस्कृति।

इन्हें भी पढ़े

Sheikh Hasina

शेख हसीना ने तोड़ी चुप्पी, बोली- आतंकी हमला US ने रचा, PAK ने अंजाम दिया

November 2, 2025
amit shah

अमित शाह ने बताया- भारत में क्यों नहीं हो सकता Gen-Z प्रदर्शन!

November 2, 2025
Gold

तीन महीने में भारतीयों ने कितना सोना खरीदा? ये आंकड़े चौंका देंगे

November 2, 2025
adi kailash

22KM कम हो जाएगी आदि कैलाश की यात्रा, 1600 करोड़ होंगे खर्च

November 1, 2025
Load More
  • विशिष्ट संस्कृति: जनजाति समाज की अनोखी संस्कृति, जिसमें उनकी परंपराएं, रीति-रिवाज और विश्वास शामिल हैं।
  • अन्य समुदायों से संपर्क में संकोची: जनजाति समाज की अन्य समुदायों से अलग रहने की प्रवृत्ति और उनकी विशिष्ट पहचान।
  • भौगोलिक पृथकता: जनजाति समाज की भौगोलिक स्थिति और उनके आवास की विशिष्टता।
  • आर्थिक पिछड़ापन: जनजाति समाज की आर्थिक स्थिति और उनके विकास की आवश्यकता.

वन अधिकार कानून 2006 और पेसा कानून 1996 जैसे अधिनियमों के माध्यम से जनजाति समुदायों के अधिकारों की रक्षा की जा रही है और उन्हें अपने पारंपरिक वन संसाधनों पर अधिकार दिलाया जा रहा है। इन कानूनों का उद्देश्य जनजाति समुदायों को उनके वन संसाधनों पर अधिकार दिलाना और उन्हें वनों के संरक्षण में शामिल करना है।

इसके अलावा, जनजाति समाज के हित में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

  • परम्परागत आस्था एवं पूजास्थलों का संरक्षण: प्रत्येक गांव में स्थानीय लोगों की मान्यता एवं आवश्यकता के अनुसार समुचित व्यवस्था करना।
  • जनजाति बोली-भाषाओं का विकास: उनके परम्परागत जीवन मूल्यों का संरक्षण करना और जनजाति लोककला-नृत्य, लोकगीत, मंत्र आदि का अभिलेखीकरण करना।
  • परम्परागत पर्व एवं त्योहारों का आयोजन: पूरे उत्साह एवं रीति-रिवाज पूर्वक मनाना और इन्हें विधर्मियों द्वारा विकृत करने के षड्यंत्रों को विफल करना।

इसके लिए ग्राम सभाओं एवं जनजाति समाज की परम्परागत संस्थाओं को आगे बढ़कर काम करना होगा और सरकार के संस्कृति एवं धरोहर संरक्षण तथा देवस्थान विभाग एवं संस्कृति तथा जनजातीय मंत्रालयों का भी सहयोग लेना होगा । भारत सरकार ने जनजाति समाज के परिचय और पहचान के लिए पांच मुख्य बिंदुओं को आधार माना है।

  • आदिमपन: जनजाति समाज की पारंपरिक जीवनशैली और उनकी विशिष्ट संस्कृति।
  • विशिष्ट संस्कृति: जनजाति समाज की अनोखी संस्कृति, जिसमें उनकी परंपराएं, रीति-रिवाज और विश्वास शामिल हैं।
  • अन्य समुदायों से संपर्क में संकोची: जनजाति समाज की अन्य समुदायों से अलग रहने की प्रवृत्ति और उनकी विशिष्ट पहचान।
  • भौगोलिक पृथकता: जनजाति समाज की भौगोलिक स्थिति और उनके आवास की विशिष्टता।
  • आर्थिक पिछड़ापन: जनजाति समाज की आर्थिक स्थिति और उनके विकास की आवश्यकता।

वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के माध्यम से सरकार ने जनजाति समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें उनके पारंपरिक वन संसाधनों पर अधिकार दिलाने का प्रयास किया है। इस अधिनियम के मुख्य उद्देश्य हैं:

  • जंगलों में रहने वाले समुदायों के खिलाफ किए गए पिछले गलतियों और अन्याय को दूर करना।
  • अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों की भूमि के कार्यकाल, आजीविका के साधन और खाद्य सुरक्षा की गारंटी देना।
  • वन अधिकार धारकों को पारिस्थितिक संतुलन, जैव विविधता संरक्षण और सतत उपयोग के लिए जिम्मेदारी और शक्ति देना.

इसके अलावा, पेसा कानून 1996 जैसे अधिनियमों के माध्यम से जनजाति समुदायों को उनके पारंपरिक अधिकारों और संसाधनों पर नियंत्रण दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इन कानूनों का उद्देश्य जनजाति समुदायों को उनके वन संसाधनों पर अधिकार दिलाना और उन्हें वनों के संरक्षण में शामिल करना है।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

कांग्रेस बदलने को तैयार नहीं

June 8, 2022
ग्रीन हाउस

आग में कोयला झोंक रहे विकसित देश और झुलसेंगे हम

October 27, 2023
Farmer leader Dallewal

हड़ताल से किसान नेता डल्लेवाल की बिगड़ी हालत, SC ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार

December 30, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • विवादों के बीच ‘द ताज स्टोरी’ ने बॉक्स ऑफिस पर कर दिया बड़ा खेल
  • मल्लिकार्जुन खरगे को अमित शाह का जवाब, गिनाया RSS का योगदान
  • दिल्ली सरकार का तोहफा, महिलाओं के लिए ‘पिंक सहेली स्मार्ट कार्ड’ की शुरुआत

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.