प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
देहरादून: उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। कभी स्कूलों में शिक्षकों की कमी, तो कभी संसाधनों के अभाव की चर्चा होती है। लेकिन इन्हीं परिस्थितियों के बीच चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के सुदूरवर्ती गाँव सवाड़ से एक प्रेरणादायक उदाहरण सामने आया है। यहाँ स्थित राजकीय इंटर कॉलेज सवाड़ ने अपने समर्पित शिक्षकों, मेहनती विद्यार्थियों और ग्रामीणों के सहयोग से शिक्षा की नई परिभाषा लिखी है।
ग्रामीणों और शिक्षकों का संयुक्त प्रयास
पहाड़ी क्षेत्र में जहाँ बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, वहाँ इस कॉलेज के शिक्षकों और ग्रामीणों ने मिलकर शिक्षा को प्राथमिकता दी है। गाँव के लोग न केवल अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि स्कूल की ज़रूरतों में भी योगदान देते हैं। शिक्षकों का लक्ष्य केवल पाठ्यक्रम पूरा करना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देना है। यही कारण है कि यहाँ पढ़े कई विद्यार्थी आज भारतीय सेना, शिक्षा, इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन
कॉलेज के छात्र-छात्राएँ हर साल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन करते हैं। सीमित साधनों के बावजूद विद्यार्थियों की मेहनत और शिक्षकों के मार्गदर्शन ने इस संस्थान को क्षेत्र का गौरव बना दिया है। कई विद्यार्थी प्रथम स्थान प्राप्त कर अन्य विद्यालयों के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं।
सैनिक परंपरा और वीरता की भूमि
सवाड़ को “सैनिक बाहुल्य गाँव” के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र के लोगों ने देश की रक्षा में सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में यहाँ के वीरों ने भाग लिया था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी कई सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी। आज भी लगभग हर घर से कोई न कोई व्यक्ति भारतीय सेना में कार्यरत है, जो इस गाँव की वीर परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
शिक्षा और देशभक्ति का संगम
सवाड़ न केवल अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ शिक्षा और देशभक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यहाँ के शिक्षक विद्यार्थियों में अनुशासन, नैतिकता और राष्ट्रप्रेम के संस्कार भरते हैं। यही कारण है कि कॉलेज का माहौल अध्ययन के साथ-साथ चरित्र निर्माण का केंद्र भी बन गया है।
प्रेरणा पूरे राज्य के लिए
आज जब कई शहरी विद्यालय आधुनिक संसाधनों के बावजूद अपने उद्देश्यों में पिछड़ जाते हैं, वहीं सवाड़ का यह इंटर कॉलेज सीमित संसाधनों में भी उत्कृष्ट परिणाम दे रहा है। यह विद्यालय इस बात का जीवंत उदाहरण है कि “यदि इच्छाशक्ति और समर्पण हो तो कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ भी शिक्षा की राह में बाधा नहीं बन सकतीं।
सवाड़ की यह धरती सचमुच वीरभूमि कहलाने योग्य है, जहाँ इतिहास की गूँज के साथ भविष्य की नींव भी मजबूत हो रही है। यहाँ के विद्यार्थियों की सफलता और शिक्षकों की निष्ठा ने सिद्ध कर दिया है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि यह समाज परिवर्तन की सबसे बड़ी शक्ति है।







