नई दिल्ली: आज की दुनिया में, किसी भी देश की सुरक्षा के लिए मजबूत हवाई ताकत का होना सबसे ज्यादा जरूरी है. जब दुश्मन देश अपने हवाई बेड़े को लगातार आधुनिक बना रहे हों, तो अपनी वायुसेना को भी उसी हिसाब से तैयार रखना पड़ता है. चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के पास आधुनिक लड़ाकू विमान हैं, जो भारत के लिए एक चुनौती हैं. इस चुनौती का जवाब देने के लिए, भारतीय वायुसेना को एक ऐसे हथियार की जरूरत थी जो दुश्मन के विमानों को उनकी सीमा से बहुत दूर ही मार गिरा सके.
वायुसेना ने तेज किया ‘अस्त्र Mk-II’ का इंटीग्रेशन
भारतीय वायुसेना ने DRDO द्वारा बनाई गई बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM), ‘अस्त्र Mk-II’ को अपने लड़ाकू विमानों में लगाने का काम तेज कर दिया है. यह फैसला भारतीय वायुसेना की हवाई युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है, ताकि वह अपने क्षेत्रीय दुश्मन चीन के J-20 स्टील्थ फाइटर और पाकिस्तान द्वारा खरीदे जाने वाले J-35 जैसे फाइटर विमानों का मुकाबला कर सके.
क्या हैं ‘अस्त्र Mk-II’ की खासियतें?
अस्त्र Mk-II मिसाइल, अस्त्र Mk-I का एक और भी बेहतर और आधुनिक रूप है. इसमें कई नई और खास खूबियां हैं. यह मिसाइल 160 किलोमीटर से ज्यादा दूर के लक्ष्य को भी निशाना बना सकती है. वहीं, इसमें एक खास तरह का इंजन डुअल-पल्स रॉकेट मोटर लगा है, जो मिसाइल को आखिरी समय में भी ज्यादा ताकत और गति देता है. इससे मिसाइल को अपने लक्ष्य को भेदना बहुत आसान हो जाता है.
इतना ही नहीं, इसमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) सीकर लगा है, जो लक्ष्य को बहुत सटीकता से ढूंढता है. इसमें एक सुरक्षित डेटा लिंक भी है, जिससे मिसाइल को बीच रास्ते में भी गाइड किया जा सकता है.
किसी भी विमान में हो सकती है लैस
अस्त्र Mk-II मिसाइल को कई तरह के विमानों पर लगाया जा सकता है. इंडियन एयरफोर्स के सुखोई Su-30MKI, HAL तेजस Mk1A, डसॉल्ट राफेल और आने वाले तेजस MkII पर भी इस लैस किया जा सकता है.
बड़ा ऑर्डर और भविष्य की योजना
‘अस्त्र Mk-II’ मिसाइल के परीक्षण 2025 के अंत तक पूरे हो जाएंगे और 2026 तक इसे पूरी तरह से इस्तेमाल के लिए तैयार कर दिया जाएगा. भारतीय वायुसेना 2026 में इस मिसाइल का एक बड़ा ऑर्डर देने की योजना बना रही है.