नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। नया टैरिफ 1 नवंबर से लागू होगा। चीन से अमेरिका आने वाले सामानों पर पहले से 30% टैरिफ लग रहा है। ऐसे में चीन पर कुल 130% टैरिफ लगेगा। यानी एक बार फिर अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ने वाला है, जिसका असर दुनियाभर में देखने को मिलेगा।
इसबार चीन पर क्यों भड़का अमेरिका?
ट्रंप का यह फैसला चीन की नई निर्यात नीति के जवाब में आया है। 9 अक्टूबर को चीन ने अपने दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Materials) के निर्यात पर नियम और सख्त कर दिए। ये खनिज दुनिया की तकनीकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं, इनका इस्तेमाल स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वीकल्स, मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, रडार, सोलर पैनल और चिप निर्माण तक में होता है।
रेयर अर्थ पर क्या नियम बनाया चीन ने?
चीन के पास दुनिया के 17 प्रमुख रेयर अर्थ खनिज है। पहले वह इनमें से 7 पर नियंत्रण रखता था, उसने 5 और पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए। अब चीन का नियंत्रण 17 में से 12 पर हो गया है। अब कोई विदेशी कंपनी अगर इन खनिजों का इस्तेमाल करेगी, तो उसे चीनी सरकार से लाइसेंस लेना होगा। यह लाइसेंस विदेशी सेना से जुड़ी कंपनियों को नहीं दिया जाएगा।
ट्रंप ने चीन पर क्या वार किया?
ट्रंप ने 100% टैरिफ के साथ यह भी कहा कि 1 नवंबर से चीन के लिए अहम सॉफ्टवेयर निर्यात पर भी कंट्रोल लागू किया जाएगा। यानी चीन को कुछ अमेरिकी सॉफ्टवेयर नहीं मिलेंगे। इससे पहले ट्रंप ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया था, तब चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैक्स लगाया था। बातचीत के बाद US ने टैरिफ 30% और चीन ने 10% कर दिया था, अब कुछ समय की शांति के बाद दोनों मुल्क फिर से ट्रेड वॉर की कगार पर आ खड़े हुए हैं।
तो क्या शी से नहीं मिलेंगे ट्रंप?
ट्रंप APEC समिट में शामिल होने दक्षिण कोरिया जाने वाले थे। जहां चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) और ट्रंप की मुलाकात होनी थी। अब ट्रंप ने कहा है, चीन बहुत आक्रामक हो रहा है। कई देश इस व्यापारिक विरोध पर नाराज है। शी से मिलने की अब कोई वजह नही है।
दुनिया पर क्या असर होगा ?
इस टकराव का असर पूरी दुनिया की सप्लाई चेन पर पड़ेगा। चीन का दुनिया की 70% रेयर अर्थ सप्लाई और 90% प्रोसेसिंग पर नियंत्रण है। ऐसे में अमेरिका या यूरोप के किसी देश के लिए इन खनिजों के बिना तकनीकी उत्पादन जारी रखना लगभग असंभव है। ट्रंप के 130% टैरिफ से अमेरिकी टेक कंपनियों, ऑटोमेकर्स और डिफेंस सेक्टर की लागत कई गुना बढ़ सकती है।
क्या भारत को फायदा होगा?
भारतीय निर्यातकों को बड़ा फायदा हो सकता है। चीन से जाने वाला सामान अमेरिका में महंगा होगा। एक्सपर्ट का कहना है कि अब अमेरिकी बाजार में चीन की जगह भारत ले सकता है। कपड़ा, खिलौना और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे सेक्टरों में भारत का निर्यात बढ़ने की संभावना है। फिलहाल भारत से अमेरिका को 86 अरब डॉलर का निर्यात होता है, जो आने वाले महीनों में तेजी से बढ़ सकता है।