भोपाल,15 जुलाई (आरएनएस)। निकाय चुनाव के दंगल में मौजूद भाजपा बागियों को लेकर भाजपा ने सख्त रवैया दिखाया। लेकिन कई जिलों में पार्टी ने अनुशासन की जो कार्रवाई की वह बड़ी दिलचस्प रही। मसलन मंडल अध्यख अथवा सदस्य ने बगावत कर अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में निर्दलीय उतार दिया तो पार्टी महज प्रत्याशी पर कार्रवाई करके दूर हो गई जबकि पार्टी के पदाधिकारी-कार्यकर्ता का कुछ भी नहीं बिगाड़ा। इसी तरह विधायक और बड़े नेताओं की अनुशासनहीनता के मुद्दे पर भाजपा मौन है। निकाय चुनाव में मालवा, निमाड़, महाकौशल और विंध्य सहित कतिपय अन्य जिलों मेें बड़ी संख्या में भाजपा के बागमी भी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इनकी मौजूदगी से अधिकृत प्रत्याशियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।
भाजपा संगठन ने बागी प्रत्याशियों के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई भी की है। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विजय गुजर ने अपने जिले में वार्ड पार्षद पद पर अपनी पत्नीरानी को उतार दिया। पार्टी ने कार्रवाई करते हुए प्रत्याशी रानी के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई कर दी। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि रानी चुनाव लडऩे से पहले तक पार्टी की सदस्य ही नहीं थीँ। इसी तरह एक मंडल उपाध्यक्ष अनूप माहेश्वरी ने भी अपनी पत्नी दिव्या को निर्दलीय चुनाव लड़ा दिया। भाजपा ने दिव्या के खिलाफ तो कार्रवाई कर दी लेकिन पति यथावत अपने पद और पार्टी में बने हुए हैं। कतिपय अन्य जिलों में भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी का मामला भी दिलचस्पी है। पिछले दो साल से वह बेबाकी से बयानबाजी करने और पार्टी लाइन से हटकर काम करने में सक्रिय हैं। मामला चाहे पृथक विंध्य आंदोलन का हो अथवा निकाय चुनाव के दौरान सीधी अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़े करने का मामला। एक अन्य वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई भी पार्टी लाइन के खिलाफ बेबाकी से अपनी बात रख्ने के िलए जाने जाते हैं।
अनिल पुरोहित/अशफाक