स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। बलूचिस्तान के नेताओं, विशेष रूप से मीर यार बलूच जैसे कार्यकर्ताओं ने हाल ही में पाकिस्तान से स्वतंत्रता की घोषणा की है, जिसने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है। यह घोषणा 9 मई 2025 को शुरू हुई और 14 मई 2025 को और मजबूती से सामने आई, जब बलूच नेताओं ने सोशल मीडिया पर ‘रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान’ की स्थापना का ऐलान किया। उन्होंने भारत और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से औपचारिक मान्यता मांगी है। हालांकि, यह घोषणा प्रतीकात्मक है और बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र देश बनने के लिए कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। आइए इसे विस्तार एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं
बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा का आधार
11 अगस्त 1947 को, ब्रिटिश शासन के अंत में, बलूचिस्तान (विशेष रूप से कलात रियासत) ने स्वतंत्रता की घोषणा की थी। यह भारत और पाकिस्तान की आजादी से पहले की बात है। हालांकि, 1948 में पाकिस्तानी सेना ने सैन्य कार्रवाई के जरिए कलात के खान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया और बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में मिला लिया। बलूच लोग लंबे समय से इस जबरन विलय को अन्याय मानते हैं और अपनी अलग सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक पहचान के आधार पर स्वतंत्रता की मांग करते रहे हैं।
बलूच नेताओं का आरोप है कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों (जैसे तेल, गैस, सोना) का शोषण किया, लेकिन स्थानीय आबादी को इसका लाभ नहीं मिला। मानवाधिकार उल्लंघन, जबरन गायब करने, और सैन्य दमन के आरोप भी बलूच विद्रोह को हवा दे रहे हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे संगठन दशकों से सशस्त्र विद्रोह चला रहे हैं, और हाल के महीनों में उन्होंने हमलों को तेज किया है, जैसे कि 39 सैन्य ठिकानों पर हमले।
बलूचिस्तान ने क्या कदम उठाए हैं ?
मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ‘रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान’ की स्थापना का ऐलान किया और इसे एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य बताया। बलूच नेताओं ने भारत से दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास और कार्यालय खोलने की अनुमति मांगी है। उन्होंने भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला) और पीओके को खाली करने की मांग का समर्थन किया। मीर यार बलूच ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, आपके साथ 6 करोड़ बलूच देशभक्त हैं।”
संयुक्त राष्ट्र से अपील
बलूच नेताओं ने यूएन से बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने, शांति मिशन भेजने और मुद्रा, पासपोर्ट जैसे संसाधनों के लिए सहायता मांगी है। उन्होंने पाकिस्तान से पीओके और बलूचिस्तान खाली करने की मांग की, चेतावनी दी कि अन्यथा भारत सैन्य कार्रवाई कर सकता है। बीएलए ने हाल ही में 71 हमलों का दावा किया, जिसमें पुलिस स्टेशन, सैन्य काफिले, और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। क्वेटा, केच, पंजगुर जैसे जिलों में 48 घंटों में 56 से अधिक हमले दर्ज किए गए।
बलूचिस्तान के अलग देश बनने की संभावना और चुनौतियां !
बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र देश बनने के लिए कई कानूनी, राजनैतिक, और सैन्य बाधाओं को पार करना होगा। यह प्रक्रिया बेहद जटिल है। बलूच लोग अपनी अलग पहचान और ऐतिहासिक स्वतंत्रता के आधार पर एकजुट हैं। सोशल मीडिया पर #RepublicOfBalochistan ट्रेंड और स्वतंत्र नक्शे, झंडे की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। बलूच नेताओं को भारत से नैतिक और संभावित राजनयिक समर्थन की उम्मीद है, क्योंकि भारत ने पहले भी बलूच मुद्दे को उठाया है।
पाकिस्तान की कमजोरी !
पाकिस्तान आर्थिक संकट, आंतरिक अस्थिरता और भारत के साथ हाल के तनाव (ऑपरेशन सिंदूर) से जूझ रहा है, जिसका बलूच विद्रोही फायदा उठा सकते हैं। पाकिस्तानी सांसद मौलाना फजल-उर-रहमान ने चेतावनी दी कि बलूचिस्तान के 5-7 जिले आजादी की घोषणा कर सकते हैं, जिससे 1971 जैसा बंटवारा हो सकता है। किसी क्षेत्र को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता के लिए संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख देशों (जैसे अमेरिका, रूस, चीन) का समर्थन जरूरी है। अभी तक किसी भी देश या संगठन ने बलूचिस्तान की घोषणा को औपचारिक मान्यता नहीं दी। उदाहरण के तौर पर, सोमालीलैंड ने भी स्वतंत्रता की घोषणा की थी, लेकिन उसे यूएन से मान्यता नहीं मिली।
पाकिस्तान का विरोध
बलूचिस्तान पाकिस्तान का 44% भौगोलिक क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख स्रोत है। पाकिस्तान इसे कभी आसानी से नहीं छोड़ेगा। पाकिस्तानी सेना ने बलूच विद्रोह को दबाने के लिए कठोर सैन्य कार्रवाई की है, जिसमें मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे हैं।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और ग्वादर पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स बलूचिस्तान में हैं। चीन इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक रुचि के कारण पाकिस्तान का समर्थन कर सकता है। बलूच विद्रोही CPEC परियोजनाओं को निशाना बनाते रहे हैं, जिससे चीन और पाकिस्तान दोनों का विरोध बढ़ सकता है। बलूच विद्रोहियों के पास सीमित संसाधन और सैन्य क्षमता है, जो पाकिस्तानी सेना के मुकाबले अपर्याप्त है। स्वतंत्र देश के लिए मुद्रा, पासपोर्ट, और प्रशासनिक ढांचा स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय सहायता चाहिए, जो अभी अनिश्चित है। बलूच आंदोलन में विभिन्न गुट (जैसे बीएलए, बलूच लिबरेशन फ्रंट) हैं, जिनके बीच रणनीति और नेतृत्व को लेकर मतभेद हो सकते हैं।
अलग देश बनने की प्रक्रिया !
किसी क्षेत्र को स्वतंत्र देश बनने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने पड़ते हैं आंतरिक एकता और शासन: बलूच नेताओं को एक एकीकृत सरकार, संविधान, और प्रशासनिक ढांचा स्थापित करना होगा। अभी यह केवल प्रतीकात्मक घोषणा तक सीमित है। स्वतंत्रता के लिए क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण जरूरी है। बीएलए ने कुछ क्षेत्रों में हमले किए हैं, लेकिन पाकिस्तानी सेना का दबदबा बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और सामान्य सभा में मान्यता के लिए प्रस्ताव पास करना होगा। कम से कम कुछ प्रमुख देशों (जैसे भारत, अमेरिका, या यूरोपीय संघ) का समर्थन जरूरी है। बलूचिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था, मुद्रा, और विदेश नीति स्थापित करनी होगी, जिसमें भारत जैसे सहयोगी देश मदद कर सकते हैं। पाकिस्तान के सैन्य और राजनयिक विरोध को पार करने के लिए बलूच विद्रोहियों को मजबूत अंतरराष्ट्रीय समर्थन चाहिए।
भारत की क्या है भूमिका ?
भारत ने अभी तक बलूचिस्तान की स्वतंत्रता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। भारत बलूच मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है, जैसा कि उसने 2016 में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में किया था।दिल्ली में बलूच दूतावास की मांग को स्वीकार करना भारत के लिए रणनीतिक कदम हो सकता है, क्योंकि यह पाकिस्तान और चीन को कमजोर करेगा। एक स्वतंत्र बलूचिस्तान भारत को अरब सागर में नौसैनिक उपस्थिति बढ़ाने और CPEC को बाधित करने का अवसर दे सकता है। हालांकि, भारत को चीन और पाकिस्तान के विरोध के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?
विशेषज्ञ कहते हैं कि “बलूचिस्तान को स्वतंत्र देश बनने के लिए लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरना होगा। पाकिस्तान का सैन्य दबदबा और अंतरराष्ट्रीय समर्थन की कमी सबसे बड़ी बाधाएं हैं।”
बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा !
बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा ने पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संकट पैदा किया है, लेकिन यह अभी प्रतीकात्मक और प्रारंभिक चरण में है। बलूचिस्तान को अलग देश बनने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी मजबूत आंतरिक एकता और शासन। सैन्य और क्षेत्रीय नियंत्रण। भारत, यूएन, और अन्य देशों से औपचारिक मान्यता। पाकिस्तान और चीन के विरोध को पार करना।
हालांकि बलूच लोगों का उत्साह और बीएलए की सशस्त्र कार्रवाइयां आंदोलन को गति दे रही हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सैन्य क्षमता की कमी इसे जटिल बनाती है। भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन वह सावधानीपूर्वक कदम उठाएगा। अगले कुछ महीने इस आंदोलन की दिशा तय करेंगे, खासकर यदि बलूच विद्रोही क्षेत्रीय नियंत्रण और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल कर पाते हैं।