प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक चिट्ठी लिखी, जिसे ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने 23 जून को मॉस्को में पुतिन को सौंपा। यह चिट्ठी अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज, और इस्फहान पर किए गए हमले के बाद लिखी गई, जो 22 जून को सुबह 4:30 बजे (IST) हुआ। इस हमले को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “सफल” बताया, जिसमें 125 विमानों ने हिस्सा लिया। हमले से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नुकसान पहुंचा, खासकर फोर्डो साइट पर, जहां सैटेलाइट तस्वीरों में रास्तों को नुकसान और धुआं दिखाई दिया।
परमाणु कार्यक्रम पर मध्यस्थता की पेशकश
खामेनेई ने इस चिट्ठी के जरिए रूस से और ठोस समर्थन मांगा। ईरान को रूस की अब तक की प्रतिक्रिया, खासकर इजरायल और अमेरिका के खिलाफ केवल निंदा, नाकाफी लगी। ईरान चाहता है कि रूस खुले तौर पर उसका साथ दे और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव में सक्रिय भूमिका निभाए। हालांकि, चिट्ठी में ठोस मदद की प्रकृति (जैसे सैन्य, आर्थिक, या कूटनीतिक) स्पष्ट नहीं है। रूस, ईरान का पुराना सहयोगी, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति के साथ परमाणु वार्ताओं में महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन पुतिन ने अमेरिकी हमलों पर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया। उन्होंने पहले शांति की अपील की थी और परमाणु कार्यक्रम पर मध्यस्थता की पेशकश की थी।
ईरान की प्रतिक्रिया और धमकी
खामेनेई और उनके सलाहकारों ने अमेरिकी हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया। खामेनेई ने कहा कि अमेरिका और उसके नागरिक अब ईरान के निशाने पर हैं, और जवाबी कार्रवाई की जाएगी। उनके सलाहकार होसैन शरियतमदारी ने सुझाव दिया कि ईरान बहरीन में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर मिसाइल हमला कर सकता है और होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है। विदेश मंत्री अराघची ने भी कहा कि अमेरिका केवल “धमकी और ताकत की भाषा” समझता है, और ईरान एकतरफा संघर्ष नहीं होने देगा।
क्या है रूस का रुख !
पुतिन ने इजरायल के हमलों की निंदा की है, लेकिन अमेरिकी हमलों पर चुप्पी साध रखी है। रूस मध्य पूर्व में सत्ता परिवर्तन के खिलाफ है, क्योंकि उसे डर है कि यह क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है। पुतिन ने ट्रंप के साथ 50 मिनट की बातचीत में मध्यस्थता पर जोर दिया, लेकिन ईरान के लिए ठोस कदम उठाने से बचे।
खामेनेई की चिट्ठी रूस को ईरान के पक्ष में और सक्रिय करने की कोशिश है, लेकिन रूस की सतर्कता और यूक्रेन युद्ध में उलझाव के कारण ठोस मदद मिलना मुश्किल लगता है। ईरान की जवाबी कार्रवाई की धमकियां क्षेत्रीय तनाव बढ़ा सकती हैं, खासकर अगर अमेरिकी ठिकानों या होर्मुज जलडमरूमध्य पर हमला होता है। भारत जैसे देश, जिनके खाड़ी क्षेत्र में आर्थिक हित हैं, इस स्थिति को सावधानी से देख रहे हैं।