प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
पटना : बिहार की राजधानी पटना में 5 जून को डोमिसाइल नीति की मांग को लेकर छात्रों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। यह आंदोलन ‘संपूर्ण क्रांति’ दिवस के मौके पर आयोजित किया गया था, जिसका नेतृत्व बिहार स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष और छात्र नेता दिलीप कुमार पटेल ने किया। छात्रों की मुख्य मांग थी कि बिहार में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में स्थानीय निवासियों के लिए डोमिसाइल नीति लागू की जाए, ताकि बिहार के युवाओं को प्राथमिकता मिले। इस प्रदर्शन ने सड़कों पर हंगामा मचाया और पुलिस के साथ तनाव की स्थिति भी देखने को मिली।
क्या है आंदोलन का उद्देश्य ?
छात्रों का कहना था कि “बिहार में सरकारी नौकरियों, खासकर शिक्षक भर्ती में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को मौका मिल रहा है, जबकि बिहारी युवाओं को उनके हक से वंचित किया जा रहा है। उनकी मांग थी कि प्राइमरी शिक्षा में 100% और अन्य सरकारी नौकरियों में 90% डोमिसाइल नीति लागू हो। पड़ोसी राज्यों जैसे झारखंड में डोमिसाइल नीति लागू होने का हवाला देते हुए बिहार में भी इसे लागू करने की मांग की गई। नियोजन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए और पेपर लीक जैसे मुद्दों पर रोक लगे।छात्रों ने नारे लगाए जैसे, “वोट दे बिहारी, नौकरी ले बाहरी, अब ये नहीं चलेगा,” जिससे उनकी नाराजगी साफ झलक रही थी।
डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग
प्रदर्शन की शुरुआत पटना कॉलेज और पटना विश्वविद्यालय से हुई, जहां हजारों छात्र जुटे। इसके बाद, छात्रों ने मुसल्लमपुर हाट, भीखना पहाड़ी, और गांधी मैदान से बेली रोड होते हुए मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च करने की कोशिश की। पुलिस ने जेपी गोलंबर के पास प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की। भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, और प्रदर्शनकारियों को सीएम हाउस तक पहुंचने से रोक दिया गया। कुछ स्थानों पर तनाव की स्थिति बनी, और पुलिस ने प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की।
छात्र नेता दिलीप कुमार ने सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की थी। प्रदर्शनकारी पोस्टर और बैनर लेकर सड़कों पर उतरे, जिनमें डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग प्रमुख थी।
डोमिसाइल नीति का विरोध
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 85% डोमिसाइल नीति लागू करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद इसे लागू नहीं किया गया। इस मुद्दे को लेकर छात्रों ने उनकी आलोचना की। छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि “जनता दल यूनाइटेड (JDU) 20 वर्षों से सत्ता में है और शुरू से ही डोमिसाइल नीति का विरोध करती रही है। वहीं, बीजेपी, RJD, और अन्य नेता विपक्ष में रहते हुए डोमिसाइल की मांग करते हैं, लेकिन सत्ता में आने पर इसे भूल जाते हैं।
शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल हटाने का विवाद
2023 में बिहार सरकार ने शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल नीति हटाने का फैसला लिया था, जिसके बाद मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सफाई दी थी कि संविधान के अनुसार किसी को उनके जन्म स्थान या निवास के आधार पर अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बयान ने भी छात्रों के गुस्से को भड़काया था। हाल के महीनों में, खासकर मई 2025 में, बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की शिक्षक भर्ती (TRE-3) में अनियमितताओं के खिलाफ भी छात्रों ने प्रदर्शन किया था, जिसमें पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।
आंदोलन का प्रभाव और भविष्य
दिलीप कुमार ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने इसे बिहार के युवाओं के हितों से जुड़ा अहम मुद्दा बताया। हालांकि यह प्रदर्शन चुनावी वर्ष में हुआ, छात्रों ने इसे राजनीतिक दलों के लिए एक चेतावनी के रूप में पेश किया, जिसमें “डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं” जैसे नारे प्रमुख थे।
पटना में 5 जून 2025 को हुआ यह छात्र आंदोलन बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने की लंबे समय से चली आ रही मांग का हिस्सा था। छात्रों का गुस्सा इस बात से था कि स्थानीय युवाओं को नौकरियों में प्राथमिकता नहीं मिल रही, जबकि पड़ोसी राज्यों में ऐसी नीतियां लागू हैं। पुलिस की सख्ती और राजनीतिक दलों की चुप्पी ने इस मुद्दे को और गर्म कर दिया। यह आंदोलन भविष्य में और व्यापक होने की संभावना रखता है, अगर सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।