नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 तक राज्य में पराली जलाने की घटनाएं शून्य होनी चाहिए। इसके लिए शासन स्तर से विस्तृत दिशा-निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने पर्यावरण और जनस्वास्थ्य पर पराली जलाने के दुष्प्रभावों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों के लिए प्रेरित और जागरूक किया जाए। इसके साथ ही सेटेलाइट आधारित निगरानी प्रणाली का उपयोग कर सभी जिलों में सतत निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
सख्त जुर्माने का प्रावधान
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, पराली जलाने पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति शुल्क लगाया जाएगा
- दो एकड़ तक: ₹2,500
- दो से पाँच एकड़: ₹5,000
- पाँच एकड़ से अधिक: ₹15,000
यह शुल्क मौके पर ही वसूला जाएगा और संबंधित किसान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
नोडल अधिकारियों की नियुक्ति
हर 50 से 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी, जो क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखेगा और रोकथाम सुनिश्चित करेगा। जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि वे हॉटस्पॉट क्षेत्र चिन्हित करें और वहां विशेष सतर्कता बरतें।
समन्वित विभागीय कार्रवाई
फसल कटाई के समय पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए राजस्व, पुलिस, कृषि, ग्राम्य विकास और पंचायती राज विभागों के अधिकारियों को मिलकर काम करने का आदेश दिया गया है। सभी संबंधित कर्मचारियों को अपने क्षेत्रों में सक्रिय निगरानी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की प्राथमिकता साफ है — शुद्ध पर्यावरण, सुरक्षित स्वास्थ्य और सशक्त किसान।