प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: मार्क कार्नी कनाडा के नए प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने मार्च 2025 में जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी के नेता के रूप में सत्ता संभाली। 28 अप्रैल को हुए संघीय चुनाव में उनकी पार्टी की जीत के बाद वह दोबारा प्रधानमंत्री चुने गए। कार्नी एक प्रमुख अर्थशास्त्री और पूर्व बैंकर हैं, जिन्होंने 2008-2013 तक बैंक ऑफ कनाडा और 2013-2020 तक बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर के रूप में कार्य किया। उनकी पहचान एक राजनेता से ज्यादा एक अर्थशास्त्री की रही है, और वह कनाडा के इतिहास में दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो शपथ ग्रहण के समय हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्य नहीं थे। बाद में उन्होंने नेपियन सीट से चुनाव जीता।
ट्रूडो का इस्तीफा कार्नी का उदय !
जनवरी 2025 में, जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव और आर्थिक अस्थिरता, महंगाई, तथा अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंधों के कारण प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मार्क कार्नी को मार्च 2025 में लिबरल पार्टी का नेता चुना गया, और उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री पद संभाला। उनकी नियुक्ति का मुख्य कारण उनकी आर्थिक विशेषज्ञता और वैश्विक वित्तीय संकट (2008) के दौरान कनाडा को स्थिर करने में उनकी भूमिका थी।
कनाडाई राष्ट्रवाद को बढ़ावा !
ट्रूडो के इस्तीफे के बाद समय से पहले 28 अप्रैल को संघीय चुनाव कराए गए। कार्नी ने लिबरल पार्टी को एकजुट किया और आर्थिक स्थिरता, अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ मजबूत नीतियों, और कनाडाई एकता पर जोर देकर प्रचार किया। उनकी जीत को “असंभव सी जीत” माना गया, क्योंकि लिबरल पार्टी ट्रूडो के कार्यकाल में अलोकप्रियता और आलोचना का सामना कर रही थी। कार्नी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों और कनाडा को “51वां अमेरिकी राज्य” बनाने जैसे बयानों का कड़ा जवाब दिया, जिसने कनाडाई राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
कार्नी का फोकस कनाडाई हितों की रक्षा करना !
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों, जैसे कनाडाई स्टील और एल्यूमीनियम पर 25% टैरिफ और अन्य व्यापारिक प्रतिबंध, ने कनाडा की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला। कार्नी का मुख्य फोकस इन संबंधों को सुधारना और कनाडाई हितों की रक्षा करना है। कार्नी ने आर्थिक अस्थिरता को कम करने और रोजगार सृजन पर जोर दिया है। उनकी पृष्ठभूमि के कारण वह निवेशकों और व्यापारियों में विश्वास जगाने में सक्षम रहे हैं।
ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी मुद्दे और हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर तनाव बढ़ा था। कार्नी ने भारत के साथ व्यापारिक और राजनयिक संबंधों को पुनर्जनन की बात कही है, इसे “बहुत अहम” बताते हुए। उन्होंने समान विचारधारा वाले देशों के साथ व्यापार विविधीकरण की नीति पर जोर दिया।
राष्ट्रवादी भावना को मजबूत करना !
कार्नी ने अपने मंत्रिमंडल का आकार छोटा किया, जिसमें 15-20 मंत्री शामिल हैं, जबकि ट्रूडो के समय यह संख्या 37 थी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया, लेकिन ट्रूडो की विवादास्पद कार्बन टैक्स नीति को 1 अप्रैल 2025 से समाप्त कर दिया। कार्नी ने कनाडाई उत्पादों के अमेरिकी बॉयकॉट और ट्रंप के आक्रामक बयानों के खिलाफ राष्ट्रवादी भावना को मजबूत किया।
भारत के साथ कनाडा का भविष्य !
कार्नी ने भारत के साथ संबंध सुधारने की इच्छा जताई है, जो ट्रूडो के समय खराब हुए थे। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जीत पर बधाई दी और दोनों देशों की साझेदारी को मजबूत करने की बात कही। विदेशी मामलों के विशेषज्ञ प्रकाश मेहरा का मानना है कि “कार्नी के नेतृत्व में भारत-कनाडा के संबंधों में सुधार की संभावना है, लेकिन यह धीरे-धीरे और नए जनादेश के साथ ही होगा।”
मार्क कार्नी का पीएम बनना नया अध्याय !
मार्क कार्नी का प्रधानमंत्री बनना कनाडा के लिए एक नया अध्याय है, जो आर्थिक विशेषज्ञता और वैश्विक अनुभव पर आधारित है। उनकी प्राथमिकताएं अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करना, आर्थिक स्थिरता लाना, और भारत जैसे देशों के साथ संबंधों को बेहतर करना हैं। उनकी गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि और वैश्विक प्रतिष्ठा उन्हें एक मजबूत नेता बनाती है, लेकिन ट्रंप की नीतियां और आंतरिक आर्थिक चुनौतियां उनके लिए बड़ी परीक्षा होंगी।