प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: ‘उदयपुर फाइल्स’ एक विवादास्पद फिल्म है, जो 2022 में राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल तेली की निर्मम हत्या पर आधारित है। इस हत्याकांड में दो आरोपियों, मोहम्मद रियाज़ और मोहम्मद ग़ौस ने कथित तौर पर कन्हैयालाल की हत्या इसलिए की थी, क्योंकि उन्होंने बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा की थी। इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसने देश भर में आक्रोश पैदा किया था। इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है, और यह जयपुर की विशेष NIA अदालत में विचाराधीन है।
फिल्म और विवाद क्यों ?
‘उदयपुर फाइल्स’ को निर्माता अमित जॉनी ने बनाया है, और यह फिल्म कन्हैयालाल हत्याकांड की सच्ची घटना पर आधारित होने का दावा करती है। फिल्म को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने 55 कट्स के साथ मंजूरी दी थी। हालांकि, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और हत्याकांड के एक आरोपी मोहम्मद जावेद ने फिल्म की रिलीज का विरोध किया। उनका तर्क था कि फिल्म सांप्रदायिक तनाव भड़का सकती है, एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैला सकती है और चल रहे मुकदमे को प्रभावित कर सकती है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि फिल्म में हिंसा, समलैंगिकता और महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार को बढ़ावा देने वाली सामग्री है, जो सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती है।
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला (10 जुलाई)
दिल्ली हाईकोर्ट ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 जुलाई को फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को CBFC के प्रमाणन के खिलाफ केंद्र सरकार के पास पुनरीक्षण याचिका दायर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को धारा-6 के तहत फिल्म की रिलीज रोकने का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
16 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर तत्काल रोक हटाने से इनकार कर दिया और केंद्र सरकार की समिति के फैसले का इंतजार करने को कहा। कोर्ट ने समिति को जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया।
21 जुलाई: केंद्र सरकार की समिति ने फिल्म में 6 अतिरिक्त बदलाव सुझाए, जिनमें बलूची समुदाय से जुड़े कुछ विवादित डायलॉग हटाने शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने रोक बरकरार रखी और अगली सुनवाई 24 जुलाई को तय की।
25 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक हटाने से इनकार किया, लेकिन मामले को दिल्ली हाईकोर्ट को सौंप दिया, यह कहते हुए कि हाईकोर्ट को इस पर अंतिम फैसला लेना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने फिल्म के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है। फिल्म निर्माताओं ने अपनी याचिका वापस ले ली, और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला (25 जुलाई)
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और मामले को दिल्ली हाईकोर्ट को सौंप दिया। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को सोमवार तक इस पर सुनवाई करनी चाहिए। इस फैसले ने फिल्म की रिलीज का रास्ता सशर्त रूप से साफ कर दिया है, बशर्ते हाईकोर्ट इसे मंजूरी दे। निर्माताओं का कहना है कि केंद्र की समिति के सुझाए 6 बदलाव लागू किए जा चुके हैं।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
फिल्म सांप्रदायिक विद्वेष फैला सकती है और चल रहे मुकदमे को प्रभावित कर सकती है। कपिल सिब्बल ने कहा कि फिल्म देखने के बाद वे “हिल गए” और यह एक समुदाय के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देती है। फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आती है। वकील गौरव भाटिया ने कहा कि 1800 थिएटर बुक हो चुके थे, और रोक से निर्माताओं को नुकसान हुआ। उन्होंने कोर्ट में चार अन्य मामलों का हवाला दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फिल्मों पर रोक हटाई थी।
फिल्म में केंद्र सरकार की भूमिका
केंद्र ने फिल्म को 6 बदलावों के साथ मंजूरी दी, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसे अपर्याप्त बताया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अतिरिक्त प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब गेंद दिल्ली हाईकोर्ट के पाले में है, जो सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगा। यदि हाईकोर्ट फिल्म की रिलीज को मंजूरी देता है, तो यह जल्द ही सिनेमाघरों में आ सकती है। हालांकि, याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में फिर से अपनी दलीलें पेश करेंगे, जिससे अंतिम फैसला निर्भर करेगा।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
फिल्म के समर्थकों का कहना है कि यह सच्चाई को उजागर करती है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। कन्हैयालाल की पत्नी ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर फिल्म की रिलीज की मांग की थी।
विरोधियों का मानना है कि “यह सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती है और निष्पक्ष सुनवाई को प्रभावित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कन्हैयालाल के बेटे को धमकियां मिल रही हैं, जिसके लिए पुलिस को निर्देश दिए गए हैं।
‘उदयपुर फाइल्स’ का मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सांप्रदायिक सौहार्द, और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के बीच टकराव का एक जटिल उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट ने तटस्थ रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट को फैसला करने की जिम्मेदारी दी है। अब दिल्ली हाईकोर्ट का आगामी फैसला यह तय करेगा कि फिल्म रिलीज होगी या नहीं।