प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: बांग्लादेश के कोमिला जिले के मुरादनगर उपजिले में 26 जून को एक 21-25 वर्षीय हिंदू महिला के साथ बलात्कार की घटना ने पूरे देश में आक्रोश फैला दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। पुलिस ने मुख्य अभियुक्त फजोर अली (36-38 वर्ष), जो बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) से जुड़ा बताया जा रहा है, सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
यह घटना कोमिला जिले के रामचंद्रपुर पंचकित्ता गांव में 26 जून की रात करीब 10-11 बजे हुई। पीड़िता अपने बच्चों के साथ स्थानीय त्योहार “हरि सेवा” के लिए अपने मायके आई थी, जबकि उसका पति दुबई में काम करता है। मुख्य अभियुक्त फजोर अली ने चाकू की नोक पर पीड़िता के घर में जबरन घुसकर बलात्कार किया। उसने घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। पीड़िता को धमकी दी गई कि शिकायत करने पर जान से मार दिया जाएगा।
वीडियो में पीड़िता को नग्न अवस्था में अपनी इज्जत बचाने की गुहार लगाते देखा गया, जिसके बाद यह 27 जून को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। चार अन्य अभियुक्तों पर वीडियो रिकॉर्ड करने और इसे सोशल मीडिया पर फैलाने का आरोप है।
वीडियो प्रसारित करने के आरोप
पुलिस ने रविवार (29 जून 2025) सुबह ढाका के सैदाबाद इलाके में छापेमारी कर फजोर अली को गिरफ्तार किया। चार अन्य लोगों को साइबर सुरक्षा अधिनियम के तहत वीडियो प्रसारित करने के आरोप में हिरासत में लिया गया।
मुरादनगर पुलिस स्टेशन में 27 जून को पीड़िता की लिखित शिकायत के आधार पर महिला एवं बाल उत्पीड़न निवारण अधिनियम और साइबर सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। मुरादनगर पुलिस स्टेशन के प्रभारी जाहिदुर रहमान और कोमिला पुलिस अधीक्षक नजीर अहमद खान ने घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने अभियुक्त की पिटाई की थी, लेकिन वह भागने में सफल रहा था। बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
ढाका विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन !
घटना के बाद ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने सड़कों पर उतरकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए। उन्होंने अपराधियों के खिलाफ “सीधी कार्रवाई” और पीड़िता के लिए न्याय की मांग की।मुरादनगर और कोमिला के आसपास के इलाकों में स्थानीय लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन किए और कठोर सजा की मांग की। हिंदू समुदाय और संगठनों ने इसे अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मामला बताते हुए मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार की आलोचना की। कुछ संगठनों ने इसे धार्मिक आधार पर हमले के रूप में देखा।
अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का हिस्सा
यह घटना ऐसे समय में हुई जब बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, खासकर अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद। अल्पसंख्यक गठबंधन सम्मिलिता सनातन परिषद ने इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का हिस्सा बताया। बांग्लादेश हाई कोर्ट ने वायरल वीडियो को तुरंत हटाने और पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की, हालांकि फजोर अली की बीएनपी से औपचारिक संबंध की पुष्टि नहीं हुई।
अल्पसंख्यकों पर हमले क्यों ?
शेख हसीना के इस्तीफे और मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के गठन के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं, उनके मंदिरों, और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले बढ़े हैं। मई 2025 में ढाका में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के विरोध में मानव शृंखला और मार्च आयोजित किए गए थे।
भारत के विदेश मंत्रालय ने 27 जून को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। ब्रिटेन और अमेरिका में भी बांग्लादेशी हिंदुओं के समर्थन में प्रदर्शन हुए।
क्या है वर्तमान स्थिति ?
पुलिस जांच जारी है, और अभियुक्तों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चल रही है। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं, जिसमें कुछ लोग इसे धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न से जोड़ रहे हैं। पीड़िता ने कहा, “मैं डरूंगी नहीं, इंसाफ लेकर रहूंगी,” जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला। यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है।