प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
पहलगाम : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुआ आतंकी हमला न केवल मानवीय त्रासदी था, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए भी एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। इस हमले में 26 से 28 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। यह घटना 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक है। इस हमले ने न केवल पर्यटकों में डर पैदा किया है, बल्कि कश्मीर की आर्थिक रीढ़ कहे जाने वाले पर्यटन उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है।
कश्मीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल !
मंगलवार दोपहर पहलगाम, जो कश्मीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, वहां आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले में मारे गए लोगों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के पर्यटक शामिल थे, साथ ही यूएई और नेपाल के दो विदेशी नागरिक भी थे। दो स्थानीय लोग भी इस हमले का शिकार बने। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने पर्यटकों से उनके नाम और धर्म पूछे और फिर गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में 10 से अधिक लोग घायल भी हुए।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस हमले को अभूतपूर्व बताया, जबकि पूर्व विधायक रफी अहमद मीर ने सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति पर सवाल उठाए। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर कुमार चौधरी ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की।
हमले से टूरिज्म इंडस्ट्री पर प्रभाव !
कश्मीर का पर्यटन उद्योग पिछले कुछ वर्षों में तेजी से उभरा था। 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद और कोविड महामारी के बाद, 2021 से पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई। जम्मू-कश्मीर टूरिज्म विभाग के आंकड़ों के अनुसार: 2021 में 1.13 करोड़ पर्यटक आए। 2022 में यह संख्या बढ़कर 1.88 करोड़ हुई। 2023 में 2.11 करोड़ और 2024 में 2.36 करोड़ पर्यटक घाटी में पहुंचे, जिनमें 65,000 विदेशी पर्यटक शामिल थे।
2024-25 में कश्मीर की जीडीपी में पर्यटन का योगदान 8% था, और उद्योग का कुल कारोबार 12,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा। गुलमर्ग जैसे स्थलों ने अकेले 103 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया। सरकार का लक्ष्य 2030 तक इस उद्योग को 25,000-30,000 करोड़ रुपये तक ले जाना था लेकिन पहलगाम हमले ने इस प्रगति को गंभीर खतरे में डाल दिया है। ट्रैवल एजेंसियों के अनुसार, अगले 4-5 महीनों की 30% से अधिक बुकिंग रद्द हो चुकी हैं। खासकर पश्चिम बंगाल, बिहार और पूर्वी भारत के पर्यटकों ने अपनी यात्राएं स्थगित कर दी हैं।
होटल और हाउसबोट पर असर !
डल झील में 1,500 से अधिक हाउसबोट और 3,000 से ज्यादा होटल कमरों पर निर्भर हजारों परिवारों की आजीविका खतरे में है। स्थानीय कारोबारियों में निराशा: शिकारा चालक, टैक्सी ड्राइवर, गाइड, और हस्तशिल्प विक्रेता जैसे छोटे कारोबारी इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
कश्मीर में पर्यटन से करीब 2.5 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं। यह उद्योग हर साल 50,000 नए रोजगार के अवसर पैदा करता है। हमले के बाद पर्यटकों में फैले डर से न केवल आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि सामाजिक स्थिरता भी प्रभावित हो सकती है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि आतंकी संगठन जानबूझकर पर्यटन को निशाना बनाकर कश्मीर की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं, ताकि बेरोजगारी और अस्थिरता के जरिए युवाओं को फिर से आतंकवाद की ओर धकेला जा सके।
हमले के बाद सरकार की कार्रवाई शुरू !
पीएम नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा रद्द कर दिल्ली लौटकर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। अमित शाह श्रीनगर पहुंचे और सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक की। उन्होंने आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। अनंतनाग पुलिस ने 24/7 आपातकालीन हेल्प डेस्क स्थापित किया। श्रीनगर से दिल्ली और मुंबई के लिए विशेष उड़ानें शुरू की गईं।
उरी में घुसपैठ की कोशिश नाकाम करते हुए सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया। एनआईए की टीम जांच के लिए श्रीनगर पहुंची। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा, “आतंकवादियों से बड़ा कश्मीरियों का कोई दुश्मन नहीं। वे चाहते हैं कि पर्यटक कश्मीर छोड़ दें और कश्मीरी बिना आजीविका के गुलाम बन जाएं।” स्थानीय लोग भी इस हमले से आहत हैं, क्योंकि पर्यटन उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है।
आगे की क्या हैं चुनौतियां ?
हमले के बाद पर्यटकों में डर फैल गया है। सरकार को सुरक्षा उपायों को मजबूत कर विश्वास बहाल करना होगा। बुकिंग रद्द होने से हुए नुकसान को कम करने के लिए विशेष पैकेज या प्रचार अभियान की जरूरत होगी। आतंकी संगठनों को कमजोर करने के लिए खुफिया तंत्र और सैन्य कार्रवाई को और प्रभावी करना होगा।
पहलगाम का आतंकी हमला केवल एक हिंसक घटना नहीं, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और कश्मीरियत की भावना पर सीधा हमला है। यह घटना कश्मीर के 2.5 लाख परिवारों की आजीविका और 12,000 करोड़ रुपये के पर्यटन उद्योग को गहरी चोट पहुंचा सकती है। सरकार और स्थानीय समुदाय को मिलकर इस संकट से उबरना होगा, ताकि कश्मीर की वादियां फिर से पर्यटकों की हंसी-खुशी से गूंज उठें।