प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: 25 जून को आपातकाल (Emergency) के 50 साल पूरे होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और इसे भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि आपातकाल की याद को कभी धुंधला नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि इसने देश के लोकतंत्र को गहरा आघात पहुंचाया था।
लोकतंत्र पर तानाशाही थोपने का प्रयास
शाह ने कहा कि “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल लोकतंत्र पर तानाशाही थोपने का प्रयास था। इस दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई, और विपक्षी नेताओं जैसे जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी को जेल में डाल दिया गया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि “आपातकाल के खिलाफ जनता का संघर्ष लोकतंत्र को जीवित रखने में महत्वपूर्ण था। लोगों ने जेलों में रहकर, अपने करियर और जीवन को दांव पर लगाकर तानाशाही का विरोध किया, जिसके कारण भारत आज विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। शाह ने कहा, “हमारी जनता तानाशाही को कभी स्वीकार नहीं कर सकती।”
25 जून के ‘आपातकाल’ का दिन हमें याद दिलाता है कि कांग्रेस सत्ता के लिए किस हद तक जा सकती है। नई दिल्ली में आयोजित ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम से लाइव… https://t.co/DwafEWyL5R
— Amit Shah (@AmitShah) June 24, 2025
संविधान का दुरुपयोग !
शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “आपातकाल के लिए न तो संसद की सहमति ली गई थी और न ही मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई थी। उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग आज संविधान की दुहाई देते हैं, वे उस समय कहां थे जब संविधान का गला घोंटा गया था।
शाह ने युवाओं से अपील की कि “वे आपातकाल के इतिहास को समझें और इसे भूलें नहीं। उन्होंने कहा कि यह घटना हमें सिखाती है कि सत्ता के लिए कुछ भी किया जा सकता है, और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्क रहना जरूरी है।
संविधान हत्या दिवस
शाह ने उल्लेख किया कि “केंद्र सरकार ने 25 जून को “संविधान हत्या दिवस” घोषित किया है ताकि आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों को याद रखा जाए और उन लोगों का सम्मान किया जाए जिन्होंने लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया। यह कार्यक्रम एसपीएमआरएफ (स्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें शाह ने आपातकाल को कांग्रेस की सत्ता की भूख का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें सिखाता है कि लोकतंत्र को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
1975 के आपातकाल को भले ही 50 वर्ष होने वाले हों, लेकिन कांग्रेस के वे अन्याय, अत्याचार और तानाशाही आज भी सभी की स्मृति में हैं।
आज @spmrfoundation द्वारा आयोजित ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम में प्रबुद्ध जनों के बीच रहूँगा और लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय पर अपने विचार रखूँगा। https://t.co/spwRCjIaWV
— Amit Shah (@AmitShah) June 24, 2025
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद, जिसमें उनके रायबरेली से निर्वाचन को रद्द कर दिया गया था, आपातकाल की घोषणा की थी। यह 21 मार्च 1977 तक 21 महीने तक चला। इस दौरान प्रेस सेंसरशिप लागू की गई, और हजारों लोगों को बिना मुकदमे के जेल में डाल दिया गया।