प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने 1975 के आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान मीसा (Maintenance of Internal Security Act) और डीआईआर (Defence of India Rules) के तहत जेल गए लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन देने की योजना की घोषणा की है। यह ऐलान दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 27 मई 2025 को सचिवालय में एक कार्यक्रम के दौरान किया, जहां उन्होंने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ित 19 परिवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे। इस योजना का उद्देश्य उन लोगों को सम्मान और आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए आपातकाल के दौरान संघर्ष किया और जेल गए।
पेंशन योजना की शुरुआत
दिल्ली की बीजेपी सरकार ने आपातकाल (25 जून 1975 से 21 मार्च 1977) के दौरान मीसा और डीआईआर के तहत जेल गए लोगों को “लोकतंत्र सेनानी” मानते हुए पेंशन देने का फैसला किया है। यह योजना अन्य राज्यों जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर शुरू की जा रही है, जहां मीसा बंदियों को पहले से पेंशन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि “पिछली सरकारों ने इन सेनानियों को सम्मान नहीं दिया, लेकिन उनकी सरकार इनके योगदान को मान्यता देगी।”
आज दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री श्रीमती @gupta_rekha ने 1984 सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों के परिजनों को सरकारी नौकरियों के नियुक्ति पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री @mssirsa भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केवल नियुक्ति पत्र नहीं, बल्कि उन… pic.twitter.com/KUblEbkSZV
— CMO Delhi (@CMODelhi) May 27, 2025
ऐलान का अवसर
यह घोषणा सिख विरोधी दंगों के पीड़ित परिवारों को नौकरी देने के एक कार्यक्रम के दौरान की गई। इस मौके पर सीएम ने कहा कि उनकी सरकार सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वालों के प्रति प्रतिबद्ध है। दिल्ली सरकार ने 1984 के दंगों के 125 पीड़ित परिवारों को नौकरी देने का भी फैसला लिया है, जिसमें से 19 परिवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए।
पेंशन की राशि और अन्य सुविधाएं
अभी तक दिल्ली में पेंशन की राशि और अन्य सुविधाओं (जैसे मेडिकल भत्ता या मुफ्त परिवहन) के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। तुलना के लिए, राजस्थान में मीसा बंदियों को 20,000 रुपये मासिक पेंशन और 4,000 रुपये चिकित्सा भत्ता दिया जाता है, साथ ही मुफ्त रोडवेज यात्रा की सुविधा भी है। छत्तीसगढ़ में 10,000 से 25,000 रुपये तक की पेंशन दी जाती है। दिल्ली में भी इसी तरह की व्यवस्था होने की संभावना है।
बंदियों को “लोकतंत्र सेनानी” के रूप में सम्मान
आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार ने मीसा और डीआईआर के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार, और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। इनमें से कई लोग 21 महीने तक जेल में रहे। बीजेपी ने हमेशा मीसा बंदियों को “लोकतंत्र सेनानी” के रूप में सम्मान देने की वकालत की है, जबकि कुछ अन्य दल, जैसे कांग्रेस, इस पेंशन योजना की आलोचना करते रहे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में इस योजना का वादा किया था, जिसे अब लागू करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
वास्तविक लोकतंत्र सेनानियों को लाभ
यह योजना अभी घोषणा के चरण में है। पेंशन की राशि, पात्रता मानदंड, और आवेदन प्रक्रिया जैसे विवरणों की आधिकारिक जानकारी जल्द जारी होने की उम्मीद है। अन्य राज्यों के अनुभव के आधार पर, पेंशन के लिए भौतिक सत्यापन और पात्रता की जांच की प्रक्रिया हो सकती है ताकि केवल वास्तविक लोकतंत्र सेनानियों को लाभ मिले।
इस फैसले को बीजेपी की ओर से आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वालों को सम्मान देने के साथ-साथ राजनीतिक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
सम्मान और आर्थिक सहायता
दिल्ली सरकार की यह पहल आपातकाल के दौरान जेल गए मीसा बंदियों को सम्मान और आर्थिक सहायता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सीएम रेखा गुप्ता ने इसे लोकतंत्र के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता का हिस्सा बताया है। हालांकि, योजना के विस्तृत नियम और लागू होने की तारीख अभी स्पष्ट नहीं है। अन्य राज्यों की तरह, दिल्ली में भी यह योजना विवादों को जन्म दे सकती है, विशेष रूप से विपक्षी दलों द्वारा इसकी आलोचना की संभावना है।