Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राजनीति

दीदी की ‘ममता’… इसलिए गुंडों में क्षमता?, कैसे हो अपराधों का दमन!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
August 28, 2024
in राजनीति, राज्य, राष्ट्रीय, विशेष
A A
कोलकाता कांड
16
SHARES
521
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर


नई दिल्ली: दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के वाकये सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते जा रहे हैं और उनकी जघन्यता भी, इसलिए आवश्यक है कि बलात्कार क्यों होते हैं, इस पर भी विचार किया जाए। देश में उत्सवों और त्योहारों का दौर चल रहा है, पर बार- बार कोलकाता कांड की खबरें सुर्खियों में आ-जा रही हैं। डॉक्टरों और युवाओं की नाराजगी का दौर थम नहीं रहा है। एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ अस्पताल में हुई बर्बरता का गहरा साया नौजवानों को सता रहा है। आक्रोश इस तरह फूटा है कि सर्वोच्च न्यायालय को भी खुद संज्ञान लेकर निर्देश जारी करने पड़े हैं।

इन्हें भी पढ़े

prayer charch

प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण की कोशिश, 5 लोग गिरफ्तार

August 1, 2025
Attack-in-Pahalgam

पहलगाम के हमलावरों की पाकिस्तानी ID सामने आई, और कितने सबूत चाहिए?

August 1, 2025
Supreme court

पूरा हिमाचल गायब हो जाएगा… सुप्रीम कोर्ट ने क्यों चेताया?

August 1, 2025
india turkey trade

भारत से पंगा तुर्की को पड़ा महंगा, अब बर्बादी तय

August 1, 2025
Load More

महिलाओं की सुरक्षा के बिना साकार हो सकता है?

समाचार-पत्रों में बलात्कार, यौन उत्पीड़न की घटनाओं की प्रचुरता हो गई है। असम में 14 वर्षीय लड़की का गैंगरेप, बदलापुर (महाराष्ट्र) में अबोध बच्चियों का त्रासद प्रकरण, अन्य स्थान पर 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला से बलात्कार और स्पेनिश पर्यटक का छत्तीसगढ़ में गैंगरेप। उधर, हेमा रिपोर्ट के बाद केरल के फिल्म उद्योग में महिला कलाकारों के शोषण का मामला सुर्खियां बटोर रहा है। ये सब घटनाएं सोचने को मजबूर करती हैं कि क्या किसी भी उम्र की लड़कियां या महिलाएं सुरक्षित हैं? स्कूल, सड़क, बस, अस्पताल, यहां तक कि कई बार अपने घर में भी क्या महिलाएं सुरक्षित हैं? क्या हमारा अमृत काल आधी आबादी, यानी महिलाओं की सुरक्षा के बिना साकार हो सकता है? भौतिक, आर्थिक व औद्योगिक विकास तो सामाजिक विकास या सुरक्षा के बिना अधूरा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, प्रत्येक 16 मिनट में देश में एक बलात्कार होता है और प्रत्येक घंटे महिलाओं के विरुद्ध 50 अपराध होते हैं।

अपराधों में बलात्कार के रिकॉर्ड सबसे कम!

प्रत्येक दिन देश में 86 बलात्कार रिपोर्ट होते हैं। यह भी कहा जाता है कि सभी अपराधों में बलात्कार सबसे कम रिपोर्ट होता है और 63 प्रतिशत बलात्कार तो दर्ज ही नहीं होते। 10 प्रतिशत बलात्कार अवयस्क, यानी 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ होते हैं और 89 प्रतिशत मामलों में बलात्कारी जान-पहचान का व्यक्ति होता है। यह बिंदु भी विचारणीय है कि बलात्कार के आंकड़ों में वे प्रकरण सम्मिलित नहीं हैं, जिनमें बलात्कार का प्रयास होता है या बलात्कार के उपरांत हत्या की जाती है। मतलब,महिला विरोधी कुल अपराधों की संख्या बहुत ज्यादा है। ये केवल आंकड़े नहीं हैं। प्रत्येक आंकड़े के पीछे एक बच्ची या महिला का पूरा जीवन है और उसका परिवार है। बहुत आक्रोश जताने के कुछ ही समय बाद शोषण की शिकार महिला को लोग भूल जाते हैं। अनेक पीड़िताएं मनोवैज्ञानिक रूप से पंगु हो जाती हैं। एक ही तो जीवन है, जो हमेशा के लिए बोझ बन जाता है। परिवार की त्रासदी भी असहनीय हो जाती है।

निर्भया मामले के बाद प्रशासन सख्त?

निर्भया मामले के बाद शासन ने बालिकाओं के लिए बहुत प्रयास किए हैं – शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के प्रयास, गुड टच या बेड टच, चाइल्ड हेल्पलाइन, वूमेन पावर लाइन, चौबीस घंटे चलने वाले सहायक कॉल सेंटर, महिला हेल्प डेस्क, महिला थाना, पिंक बूथ, जनपद स्तर पर महिला व बाल सुरक्षा संबंधित प्रकोष्ठ इत्यादि के बावजूद बलात्कार व यौन उत्पीड़न के वाकये सुरसा के मुख की तरह बढ़ते जा रहे हैं और उनकी जघन्यता भी। इसलिए आवश्यक है कि बलात्कार क्यों होते हैं, इस पर भी विचार किया जाए।

महिलाओं को बरगलाने की कोशिश!

बलात्कार के संदर्भ में सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों के संबंध में, रेश्मा पिल्लै आदि ने युवा पुरुषों के बीच सर्वेक्षण किया। इस अध्ययन में पाया गया कि हमारा समाज अभी भी पुरुष प्रधानता की संकीर्णता से ग्रसित है। आज के युग में जब सबके पास मोबाइल है, तो घातक अश्लीलता भी सभी तक पहुंच रही है। समस्या और भी विकराल होती जा रही है। बाल्यकाल में दुर्व्यवहार का सामना करना, रिश्तों के बारे में नकारात्मक सोच, भावनाओं पर कमजोर नियंत्रण, मादक द्रव्यों के अत्यधिक सेवन, यौन कुंठा या असंतोष आदि कारक विभिन्न अनुपातों में मिलकर बलात्कार की मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि बना सकते हैं। महिलाओं की इच्छाओं और जरूरतों के बारे में पुरुष की गलत धारणा भी कारण हो सकती है। ऐसे पुरुष बहुत हैं, जो महिला की न को भी हां समझते हैं। हमारी अनेक फिल्में भी महिलाओं को छेड़ने और उनको घेरकर जबरन अपनी भावनाओं को थोपने के लिए प्रेरित करती हैं। ऐसे पुरुष अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा महिलाओं को बरगलाने की कोशिश करते हैं।

हिंसा और बलात्कार की आशंकाएं!

जब समाज में स्त्री को वस्तु की तरह देखा जाता है, तब हिंसा और बलात्कार की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। सामाजिक व नैतिक मूल्यों का पतन द्रुत गति से हो रहा है। हमारे पूर्वजों की प्राथमिकता क्रमशः ऐसी थी – समुदाय – परिवार – मैं। आज यह बिल्कुल उल्टी होती जा रही है। जब हम केवल अपने बारे में ही सोचेंगे, अपनी इच्छा, अपनी शक्ति, अपनी पूर्ति पर ही ध्यान देंगे, तो परिणाम भयानक होंगे और इस सामाजिक अराजकता से अंततः कोई भी अछूता नहीं रहेगा। स्कूलों के बारे में विशेष रूप से सोचना होगा। जब शिक्षक ही भक्षक बन जाए, तो क्या विद्योपार्जन होगा ?

हमारी सोच और मानसिकता हमारे कार्यस्थल पर भी हमारे साथ जाती है। कुछ वर्ष पहले एक थाने के निरीक्षण में पुरुष प्रधान मानसिकता का दृष्टांत मुझे देखने को मिला। एक नाबालिग लड़की के लापता होने की शिकायत पर दो दिन तक संबंधित कांस्टेबल ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। उत्तर था कि कदाचित वह लड़की भाग गई होगी और कुछ दिन में वापस आ जाएगी। सवाल यह है कि यदि उस कांस्टेबल की अपनी लड़की दो दिन से लापता होती, तो भी क्या उसकी यही सोच होती? नियम, कानून, व्यवस्था पर्याप्त हैं, जरूरत है संवेदनशील पुलिसिंग की।

बलात्कार के प्रकरण में जांच की मियाद!

गौर कीजिए, बलात्कार के प्रकरण में जांच की मियाद दो महीने निश्चित है, पर वास्तव में इस समय सीमा में कितनी जांच हो पाती है? निर्भया प्रकरण में ही फास्ट ट्रैक कोर्ट के बावजूद फांसी होने में 12 वर्ष लग गए। पॉक्सो एक्ट के तहत एक वर्ष में सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए, परंतु 87 प्रतिशत मामले साल भर बाद भी लंबित रहते हैं। केवल 10 प्रतिशत मामलों का एक साल में निपटारा होता है और उनमें भी केवल 20 प्रतिशत मामलों में ही दोष सिद्ध हो पाता है।

मतलब, महिला सुरक्षा के लिए अनेक स्तर पर सुधार व प्रबंध की जरूरत है। अपने परिवार, कार्यस्थल में पुरुष प्रधान संकीर्णता की सोच में बदलाव करें। पीड़िता की मदद करें। यौन उत्पीड़न करने वालों और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार करें, चाहे वह हमारे रिश्तेदार या मित्र ही क्यों न हों। याद रहे, रिश्तों, दोस्ती, जाति, राजनीति, विचारधारा, चाहे जिस भी आईने से देखने की कोशिश कीजिए, बलात्कार सिर्फ बलात्कार होता है और उसका आरोपी अक्षम्य।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
CM Dhami

उत्तराखण्ड की उन्नति के होंगे आने वाले दस वर्ष : सीएम धामी

April 17, 2023
Rashtriya Divyang Sena

रेलवे में भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रीय दिव्यांग सेना का रेल भवन पर हल्ला बोल!

May 21, 2025
शर्मिष्ठा पनोली - highcourt

‘अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन धार्मिक भावनाओं…’, शर्मिष्ठा पनोली की सुनवाई पर हाईकोर्ट!

June 3, 2025
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • टैरिफ वार : भारत पर लगा दिया जुर्माना, इन आंकड़ों से बेनकाब हो गया ट्रंप का हर झूठ
  • प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण की कोशिश, 5 लोग गिरफ्तार
  • पहलगाम के हमलावरों की पाकिस्तानी ID सामने आई, और कितने सबूत चाहिए?

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.