स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 और 2025 के बीच की चुनौतियों, अंतरों, और बदलावों का विश्लेषण करने के लिए हमें दोनों समय के भू-राजनीतिक, सैन्य, तकनीकी, और सामाजिक संदर्भों को समझना होगा। 1971 का युद्ध बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का परिणाम था, जबकि 2025 में हालिया तनाव (जैसा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले से संबंधित है) आतंकवाद-रोधी कार्रवाइयों और सीमित संघर्ष पर केंद्रित है। विस्तृत विश्लेषण एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझिए !
1971 की स्थिति भारत-पाकिस्तान युद्ध
1971 का युद्ध दक्षिण एशिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने बांग्लादेश के निर्माण को जन्म दिया। इसके प्रमुख पहलू…पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना द्वारा बंगाली आबादी पर दमन, नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघन ने विद्रोह को जन्म दिया। 1970 के चुनावों में अवामी लीग की जीत को पश्चिमी पाकिस्तान ने नकार दिया, जिससे तनाव बढ़ा। लगभग 10 मिलियन बांग्लादेशी शरणार्थी भारत में आए, जिसने भारत पर आर्थिक और सामाजिक दबाव डाला। भारत ने मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया और पूर्वी पाकिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप किया, जिसका लक्ष्य बांग्लादेश को स्वतंत्र कराना और शरणार्थी संकट को हल करना था।
सैन्य और कूटनीतिक पहलू ?
भारतीय सेना ने 13 दिनों में (3-16 दिसंबर 1971) पूर्वी पाकिस्तान में निर्णायक जीत हासिल की। 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जो इतिहास में एक दुर्लभ घटना थी। भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला किया (ऑपरेशन ट्राइडेंट), और वायुसेना ने पूर्वी मोर्चे पर वर्चस्व स्थापित किया। भारत को सोवियत संघ का समर्थन प्राप्त था, जिसने 1971 की भारत-सोवियत संधि के तहत सैन्य और कूटनीतिक सहायता प्रदान की। अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया, लेकिन सोवियत नौसेना की उपस्थिति ने पश्चिमी हस्तक्षेप को रोका। पूर्वी पाकिस्तान की बंगाली आबादी ने भारत का पूर्ण समर्थन किया, जिसने युद्ध को आसान बनाया।
जिसका परिणाम बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। भारत दक्षिण एशिया में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा। पाकिस्तान का भौगोलिक और सैन्य विखंडन हुआ, जिसने उसकी राष्ट्रीय पहचान को झटका दिया।
2025 की स्थिति चुनौतियाँ क्या ?
2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव (जैसा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले से संबंधित है) 1971 से बहुत अलग है। यह संघर्ष आतंकवाद-रोधी कार्रवाइयों, मिसाइल हमलों और सीमित सैन्य टकराव पर केंद्रित है।
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ( जिसे जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों से जोड़ा गया) ने भारत को जवाबी कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। 2025 का तनाव पूर्ण युद्ध की बजाय सर्जिकल स्ट्राइक और मिसाइल हमलों तक सीमित रहा। यह 2016 (उरी) और 2019 (बालाकोट) की कार्रवाइयों का विस्तार है। भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा की और पाकिस्तान के लिए पानी की आपूर्ति पर दबाव डाला, जो एक नई कूटनीतिक रणनीति है।
क्या हैं सैन्य और तकनीकी पहलू ?
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न हैं। भारत के पास 120-130 और पाकिस्तान के पास 150-170 परमाणु हथियार हैं। परमाणु युद्ध का खतरा पूर्ण पैमाने पर युद्ध को सीमित करता है। भारत की सैन्य क्षमता में ड्रोन, साइबर युद्ध और मिसाइल प्रणालियाँ (जैसे अग्नि-5) शामिल हैं। पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइलें भी लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारत की सेना विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली है, जिसमें 14.55 लाख सक्रिय सैनिक, 4,614 टैंक और 25.27 लाख पैरामिलिट्री बल हैं। पाकिस्तान की सेना छोटी लेकिन रणनीतिक रूप से मजबूत है। भारत की नौसेना और वायुसेना पाकिस्तान से कहीं अधिक उन्नत हैं, जैसा कि 1971 में कराची हमले और 2019 की बालाकोट स्ट्राइक में दिखा।
कूटनीतिक और वैश्विक स्थिति ?
1971 में अमेरिका और चीन पाकिस्तान के साथ थे, लेकिन 2025 में भारत को अमेरिका, रूस और अन्य प्रमुख देशों का समर्थन प्राप्त है। पाकिस्तान को केवल चीन और कुछ हद तक तुर्की का समर्थन है, जिससे वह कूटनीतिक रूप से अलग-थलग है। भारत की जीडीपी पाकिस्तान से 10 गुना अधिक है, जिससे पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था लंबे युद्ध को सहन नहीं कर सकती। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन ने भारत की कार्रवाइयों को वैधता दी है, जबकि पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजक के रूप में देखा जाता है।
हालांकि 1971 में भारत को पूर्वी पाकिस्तान की जनता का पूर्ण समर्थन था, लेकिन 2025 में पाकिस्तान की जनता और जनमत पर पाकिस्तानी सेना का नियंत्रण है, जिससे भारत को स्थानीय समर्थन नहीं मिलता।
1971 से 2025 तक क्या बदला ?
1971 में भारत और पाकिस्तान की सेनाएँ पारंपरिक हथियारों पर निर्भर थीं। भारत की सेना बेहतर संगठित थी, लेकिन तकनीकी अंतर कम था। 2025 में भारत की सैन्य शक्ति में उन्नत हथियार (राफेल, ड्रोन, अग्नि-5), साइबर युद्ध क्षमता, और सैटेलाइट निगरानी शामिल हैं। पाकिस्तान ने भी परमाणु हथियार और मिसाइल प्रणालियाँ विकसित की हैं, लेकिन भारत की तुलना में उसकी क्षमता सीमित है।
1971 में परमाणु हथियारों का कोई खतरा नहीं था। 2025 में दोनों देशों की परमाणु क्षमता युद्ध को सीमित रखने का प्रमुख कारक है। 1971 में शीत युद्ध ने भारत (सोवियत समर्थन) और पाकिस्तान (अमेरिका-चीन समर्थन) को विभाजित किया था। 2025 में भारत वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है और पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से अलग-थलग है। अमेरिका अब भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी में है।
आतंकवाद, आर्थिक और कूटनीति ?
1971 में आतंकवाद कोई प्रमुख मुद्दा नहीं था। 2025 में आतंकवाद भारत-पाकिस्तान तनाव का केंद्रीय कारण है, जिसे भारत सर्जिकल स्ट्राइक और मिसाइल हमलों से संबोधित कर रहा है। 1971 में दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएँ कमजोर थीं। 2025 में भारत की आर्थिक शक्ति और वैश्विक प्रभाव पाकिस्तान से कहीं अधिक है, जो पाकिस्तान को लंबे युद्ध से रोकता है। 1971 में कूटनीति संयुक्त राष्ट्र और शीत युद्ध के दायरे में थी। 2025 में भारत ने सिंधु जल संधि, व्यापार प्रतिबंध और आतंकवाद-रोधी वैश्विक सहमति जैसे उपकरणों का उपयोग किया है। 1971 में भारत को पूर्वी पाकिस्तान की जनता का समर्थन था, जो युद्ध में निर्णायक था। 2025 में पाकिस्तान की जनता पर सेना का नियंत्रण है, और भारत को स्थानीय समर्थन नहीं मिलता।
1971 की विजय और 2025 की रणनीति ?
1971 का युद्ध भारत की सैन्य और कूटनीतिक विजय की कहानी है। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में भारतीय सेना ने न केवल सैन्य जीत हासिल की, बल्कि इंदिरा गांधी ने वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत किया। सोवियत संघ की मदद से भारत ने अमेरिका और चीन के दबाव को निष्प्रभावी किया। ढाका में 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण और बांग्लादेश का उदय भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ (7 मई 2025) भारत की बदलती रणनीति को दर्शाता है। यह ऑपरेशन 2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक का विस्तार है। भारत ने आतंकवादी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए, जिससे यह संदेश दिया कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, सिंधु जल संधि की समीक्षा और कूटनीतिक अलगाव ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया। शशि थरूर ने कहा कि 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता एक स्पष्ट लक्ष्य था, लेकिन 2025 में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का लक्ष्य सीमित और रणनीतिक है।
भारत की नई रणनीति को दर्शाती हैं !
भारत-पाक युद्ध 2025 को 1971 से जोड़कर देखा जा रहा है इसको लेकर एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा कहते हैं कि “1971 की विजय भारत के लिए एक नैतिक और रणनीतिक जीत थी, जबकि 2025 की कार्रवाइयाँ भारत की नई रणनीति को दर्शाती हैं, जो सटीक, कूटनीतिक, और वैश्विक समर्थन पर आधारित है। दोनों समय में भारत ने अपने हितों की रक्षा की, लेकिन 2025 में चुनौतियाँ अधिक जटिल और बहुआयामी हैं। 1971 में भारत ने खुले युद्ध में जीत हासिल की, लेकिन 2025 में भारत चतुराई से काम ले रहा है—सर्जिकल स्ट्राइक, मिसाइलें, और कूटनीति से बिना बड़ा युद्ध लड़े दुश्मन को जवाब दे रहा है।”
भारत का लक्ष्य एक नए राष्ट्र का निर्माण !
1971 में भारत का लक्ष्य एक नए राष्ट्र का निर्माण था, जबकि 2025 में लक्ष्य आतंकवाद को रोकना और पाकिस्तान को कूटनीतिक-सैन्य दबाव में रखना है। 1971 में भारत ने खुले युद्ध में जीत हासिल की, लेकिन 2025 में भारत सर्जिकल और सटीक कार्रवाइयों पर ध्यान दे रहा है ताकि पर माणु वृद्धि से बचा जा सके।
1971 का युद्ध एक पूर्ण पैमाने का युद्ध था, जिसने भारत की सैन्य और कूटनीतिक शक्ति को स्थापित किया और बांग्लादेश को जन्म दिया। 2025 में तनाव सीमित, आतंकवाद-केंद्रित, और तकनीकी रूप से उन्नत है, जिसमें परमाणु खतरे और वैश्विक कूटनीति ने युद्ध को नियंत्रित किया है। 1971 से 2025 तक भारत की सैन्य शक्ति, आर्थिक स्थिति, और वैश्विक प्रभाव में भारी वृद्धि हुई है, जबकि पाकिस्तान कूटनीतिक और आर्थिक रूप से कमजोर हुआ है। बदलावों में परमाणु हथियार, उन्नत तकनीक और आतंकवाद का उदय प्रमुख हैं।