Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home दिल्ली

दिल्ली के एमसीडी चुनाव में चुनावी लड़ाई, हत्या-सुसाइड तक आई…

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
November 30, 2022
in दिल्ली, विशेष
A A
mcd election delhi
22
SHARES
748
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

नई दिल्ली : दिल्ली के एमसीडी चुनाव में नेताओं के बीच जमकर थप्पड़बाजी, घुसमंडी, गाली-गलौज, जूतम-पैजार व हाथापाई हो रही हैं. पिछले सप्ताह पूर्वी दिल्ली के अशोक नगर में आयोजित एक खबरिया चैनल के चुनावी प्रोग्राम में आप-भाजपा के नेता आपस में भिड़ गए. दोनों पक्षों में बात इस कदर बिगड़ी कि देखते ही देखते चप्पलबाजी शुरू हो गई, किसने किसको कितनी चप्पलें जड़ी, तमाशबीन लोग भी नहीं गिन पाए. एक बुजुर्ग हिम्मत करके जरूर बोला, कहा-आम आदमी पार्टी का नेता छरहरा और तंदुरुस्त था उसने ज्यादा चप्पल हौंकी? कार्यक्रम में नेताओं के साथ दर्शकों, कैमरामेन, पत्रकार व आम लोग भी बीच-बचाव में लतियाए गए. लेकिन एमसीडी चुनाव में कहानी अब इससे कहीं आगे बढ़ गई है. हत्या-सुसाइड तक पहुंच गई है. आम आदमी का एक नेता टिकट नहीं मिलने से सुसाइड कर चुका है. वहीं, आप के शीर्ष नेताओं ने एक बार फिर अपने संस्थापक नेता अरविंद केजरीवाल की ‘राजनैतिक हत्या’ होने की आशंका जता डाली है. पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व अन्य बड़े नेताओं ने भाजपा पर साजिश के तहत केजरीवाल की हत्या करवाने का गंभीर आरोप जड़ा है.

बहरहाल, केजरीवाल की हत्या का ये आरोप चुनावी है. दिसंबर की चार तारीख को चुनाव निपट जाने के बाद हत्या की आशंका भी हवाहवाई हो जाएगी. ऐसा करके सिर्फ चुनावी माहौल गर्म करना होता है. वैसे, केजरीवाल की हत्या का ये आरोप कोई नया नहीं है. प्रत्येक चुनाव में उनके नेता ये आरोप लगाते हैं. उनसे कोई कारण पूछता है तो कहते हैं कि केजरीवाल के बढ़ते कदम को भाजपा रोकना चाहती है. फिलहाल, दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन पुलिस थाने में बीते गुरुवार को आप नेताओं ने भाजपा के खिलाफ इस मसले को लेकर शिकायत दर्ज करवाई है.

इन्हें भी पढ़े

note

इन लोगों को हर महीने 6 हजार रुपये देगी दिल्ली सरकार?

September 16, 2025
deputy secretary navjot singh

दिल्ली: BMW ने कैसे छीन ली डिप्टी सेक्रेटरी नवजोत सिंह की जिंदगी !

September 16, 2025
वक्फ कानून

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर आंशिक रोक, वक्फ बाय यूजर सुरक्षित, कानून लागू।

September 16, 2025
wcl

वेकोलि में ‘स्वच्छता ही सेवा 2025’ एवं ‘विशेष अभियान 5.0’ का उत्साहपूर्वक हुआ शुभारंभ

September 15, 2025
Load More

चुनाव आयोग भी पहुंचे हैं. पर, इन आरोपों को दिल्ली की जनता गंभीरता से नहीं लेती. क्योंकि प्रत्येक चुनावों में आप नेता केजरीवाल के लिए ऐसा ही बखेड़ा खड़ा करते हैं. चुनाव बीतने को है, लेकिन असर और जरूरी मुद्दों पर कहीं कोई बात नहीं हो रही. नए-नए राजनीतिक ड्रामे जरूर देखने को मिल रहे हैं. केजरीवाल के नेता टिकट बेचने के आरोपों में भी घिरे हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही उनका एक विधायक गुलाब सिंह जनता द्वारा अच्छे से रेल बनाए गए. उनके साथी विधायक को पिटता देख भाग गए, वरना उनकी भी ठीक से पूजा होती.

चलिए थोड़ा सा समझाता हूं कि केजरीवाल की हत्या वाली बात क्यों उड़ाई गई? मनीष सिसोदिया ने भाजपा नेता मनोज तिवारी के उस ट्वीट का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने केजरीवाल की हत्या की आशंका जताई थी. सिसोदिया ने पूछा कि उन्हें कैसे पता केजरीवाल पर हमला होने वाला है. ये भाषा धमकी वाली है और हम केस करेंगे. पर, सच्चाई ये है, इस वक्त केजरीवाल के आसपास कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता. क्योंकि उनकी सुरक्षा जबरदस्त है.

दिल्ली पुलिस के अलावा कई दर्जन पंजाब के पुलिसकर्मी भी उनकी सुरक्षा तैनात हैं, निजी बाउंसरों की फौज भी है. बाकी अन्य तामझाम भी उनकी सुरक्षा अमले में है. कहने को वह आम आदमियों के नेता हैं, लेकिन मजाल क्या कोई आम आदमी उनसे मिल पाए. उनकी पार्टी के नेता भी उनसे मिलने को तरसते हैं. फिलहाल, नेताओं का एक दूसरे पर अनापशनाप आरोप-प्रत्यारोपों के साथ दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है.

एमसीडी में बीते पंद्रह वर्षों से भारतीय जनता पार्टी काबिज है, आगे भी रहना चाहती है, लेकिन दिल्ली की सत्ताधारी आप पार्टी ऐसा होने नहीं देना चाहती. जबरदस्त टक्कर दे रही है. आप पार्टी भाजपा से पंद्रह साल का हिसाब मांग रही है, उपलब्धियां पूछ रही है. देखा जाए तो चुनावी परिदृश्य अब पहले के मुकाबले पूरी तरह बदल चुके हैं. जनप्रतिनिधियों की चुनाव जीतने की निर्भरता अब पूरी तरह से घनघोर ब्रांडिंग, पैसा-पॉवर और नाना प्रकार के हथकंड़ों पर टिक गई है. हथकंड़े भी एकदम नए और आधुनिक हां, पुराने जुगाड़ अब निष्क्रिय माने जाते हैं.

सरलता और शालीनता से चुनाव लड़ने के दिन अब ढल गए, वोटरों को लुभाने के लिए पहले उम्मीदवार डोर-टू-डोर पद यात्राएं करते थे, लोगों से जनसंवाद करते थे, मेलमिलाप का दौर चलता था. पर, अब कानफोडू लाउडिशपीकर बजते हैं, हो-हल्ला और हंगामा कटता है. दिल्ली एमसीडी चुनाव में सियासी दल प्रचार-प्रसार में पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं. चुनाव आयोग ने इस बार चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाई है, दस लाख कर दी है. चुनाव के आखिरी घंटों तक जो जितना तेज प्रचार कर ले जाए, जीत उसी की मानी जाती है.

जनता को लगना चाहिए कि फला उम्मीदवार खूब प्रचार कर रहा है. चुनावों के बदलते आयामों ने लोकतंत्र की तस्वीर बदल दी है. निश्चित रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था चुनावों से ही सुशोभित होती है, लेकिन दुषित भी इसी से हो रही है. चुनावी दिनों में चुनावी मानक, बे-मानक होते दिखते हैं. पार्टियां अब खुलेआम टिकट बेचती हैं. उम्मीदवार दारू-मुर्गा पार्टी देते हैं. वोटरों में पैसे बांटते हैं. वोटरों को खरीदने के लिए और भी तरीके अपनाए जाते हैं.

क्या ये हरकतें चुनाव आयोग तक नहीं पहुंचती? जरूरी पहुंचती है. चुनावी समर में चुनाव आयोग की निष्क्रियता निश्चित रूप से सोचने पर मजबूर करती है.वक्त ऐसा है, जहां कोई कहने-सुनने वाला नहीं? बीते कई सालों से किसी मुख्य चुनाव आयुक्त में अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. छह वर्ष का होता है चुनाव आयोग का कार्यकाल. ये मुद्दा इस वक्त गर्म भी है.

राजीव कुमार की जगह अरुण गोयल को रातोंरात चुनाव आयोग बनाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई है, केंद्र सरकार से पूरा ब्यौरा मांगा है. इससे सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार में ठन भी चुकी है. किसी किस्म का चुनाव प्रत्येक हो, ग्राम प्रधानी का हो या लोकसभा, सभी की परंपरा अजीब हो गई है. चुनावों में विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं के बीच कहासुनी होना, बात ज्यादा बढ़ जाए तो लात-घूसे और थप्पड़बाजी हो जाना. लेकिन ये चुनावी लड़ाई अब ‘हत्या’ तक आ पहुंची है. देखते हैं ये आग और कहां तक पहुंचती है. जबतक चुनाव आयोग कड़ाई से पहल नहीं करेगा, सिलसिला यूं ही चलता रहेगा.

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
israel-iran war

तनाव की आग में मध्य-पूर्व… ट्रंप की धमकी, इजरायल का हमला और भारत की शांति की पुकार !

June 14, 2025
लॉ कमीशन

2024 में ‘एक देश-एक चुनाव’ संभव नहीं, लॉ कमीशन ने किया साफ!

September 29, 2023
मनरेगा

समीक्षा पर स्पष्टता चाहिए

December 2, 2022
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • झंकार महिला मंडल ने की एंटी-ड्रग्स कैम्पेन
  • इन लोगों को हर महीने 6 हजार रुपये देगी दिल्ली सरकार?
  • मोबाइल इंटरनेट चालू, वाई-फाई पर प्रतिबंध; इस देश में लिया गया अनोखा फैसला

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.