दिल्ली डेस्क
नई दिल्ली: दिल्ली के द्वारका स्थित एक प्राइवेट स्कूल में फीस वृद्धि के विरोध में अभिभावकों का प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है। बीते दो महीनों से स्कूल के बाहर धरने पर बैठे अभिभावकों का कहना है कि वे केवल शिक्षा निदेशालय द्वारा निर्धारित फीस ही देने को तैयार हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन मनमानी तरीके से फीस बढ़ा रहा है. स्थिति तब और बिगड़ गई जब स्कूल प्रबंधन ने प्रदर्शन रोकने के लिए स्कूल गेटों पर बाउंसरों की तैनाती कर दी। आरोप हैं कि इन बाउंसरों ने बच्चों और अभिभावकों के साथ धक्का-मुक्की की, कुछ बच्चों को स्कूल में घुसने से भी रोका गया। आइए पूरे मामले को एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से विस्तार से समझते हैं।
दिल्ली के द्वारका में दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) में फीस वृद्धि को लेकर विवाद गहरा गया है।
फीस वृद्धि और अभिभावकों का विरोध
डीपीएस द्वारका ने पिछले कुछ वर्षों में फीस में भारी वृद्धि की, जिसे अभिभावकों ने अनुचित और अवैध बताया। उदाहरण के लिए, शिक्षा निदेशालय (DoE) द्वारा स्वीकृत वार्षिक फीस ₹93,400 (लगभग ₹7,785 प्रति माह) है, जबकि स्कूल ₹1,90,000 की मांग कर रहा था। कुछ अभिभावकों के अनुसार, चार साल में फीस में 105% की बढ़ोतरी हुई। अप्रैल 2025 से अभिभावक स्कूल के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं, मांग कर रहे हैं कि फीस वृद्धि को वापस लिया जाए। उनका कहना है कि यह वृद्धि बिना सरकारी अनुमति और पारदर्शिता के की गई।
छात्रों का निष्कासन
34 छात्रों को निकाला मई 2025 में, डीपीएस द्वारका ने 34 छात्रों को स्कूल से निष्कासित कर दिया, क्योंकि उनके अभिभावकों ने बढ़ी हुई फीस का भुगतान नहीं किया। इनमें से कई छात्र 10वीं कक्षा में थे और बोर्ड परीक्षाओं के लिए पंजीकृत थे। 9 मई को 29 छात्रों को निष्कासित किया गया था, और 20 मार्च को कुछ छात्रों को फीस न देने के कारण कक्षा में प्रवेश से रोककर लाइब्रेरी में बंधक बनाया गया।
बाउंसर्स की गई तैनाती !
स्कूल ने गेट पर बाउंसर्स तैनात किए, जो छात्रों को स्कूल में प्रवेश करने से रोक रहे थे। अभिभावकों ने आरोप लगाया कि बाउंसर्स ने लड़कियों सहित छात्रों को धक्का-मुक्की की, जिससे महिला सुरक्षा और स्कूल की संवेदनशीलता पर सवाल उठे। शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि फीस न देने के कारण किसी भी छात्र को पढ़ाई से वंचित नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद, स्कूल ने इन आदेशों का उल्लंघन किया।
कानूनी और राजनीतिक हस्तक्षेप
अभिभावकों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें स्कूल के निष्कासन आदेश को चुनौती दी गई। कोर्ट ने 16 अप्रैल को स्कूल को छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार के लिए फटकार लगाई और 19 मई को निष्कासन आदेश पर रोक लगाने का संकेत दिया। कोर्ट ने कहा कि स्कूल ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम का पालन नहीं किया, जिसमें अभिभावकों को उचित सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है।
पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी सरकार पर निजी स्कूलों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने AAP के शासनकाल में स्कूलों के ऑडिट न होने की बात उठाई।
दिल्ली सरकार ने 29 अप्रैल 2025 को “दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस 2025” बिल को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य फीस वृद्धि पर नियंत्रण और पारदर्शिता लाना है। इसके तहत स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा निदेशालय से अनुमति लेनी होगी और उल्लंघन पर ₹50,000 प्रति छात्र प्रति दिन का जुर्माना और मान्यता रद्द करने का प्रावधान है।
शिक्षा निदेशालय और कोर्ट की अवहेलना
अभिभावकों का कहना है कि “स्कूल ने शिक्षा निदेशालय और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की, जिसके कारण वे हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने को मजबूर हुए।” शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि 1677 निजी स्कूलों का ऑडिट किया जाएगा और 150 से अधिक स्कूलों को नोटिस जारी किए गए हैं। मामला अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है, और अभिभावक स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
अभिभावकों का गुस्सा और विरोध प्रदर्शन !
डीपीएस द्वारका में फीस वृद्धि के खिलाफ अभिभावकों का गुस्सा और विरोध प्रदर्शन जारी है। स्कूल द्वारा बाउंसर्स की तैनाती और छात्रों का निष्कासन शिक्षा के अधिकार और मानवीय संवेदनशीलता पर सवाल उठाता है। दिल्ली सरकार का नया बिल इस समस्या का स्थायी समाधान लाने का प्रयास है, लेकिन स्कूलों की मनमानी और आदेशों की अवहेलना से तनाव बना हुआ है। मामला कोर्ट और राजनीतिक मंचों पर चर्चा का विषय बना हुआ है।