स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर संसद के मानसून सत्र (2025) में दो दिन (28 और 29 जुलाई) की तीखी बहस हुई। लोकसभा और राज्यसभा में कुल 16-16 घंटे की चर्चा में सरकार और विपक्ष के बीच सवाल-जवाब और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। यह बहस 22 अप्रैल को पहलगाम के बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्रित थी, जिसमें 26 पर्यटकों की हत्या हुई थी। आइए इस बहस के सात प्रमुख हाई पॉइंट्स और पूरी रिपोर्ट को एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से विस्तार में समझते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के 7 प्रमुख हाई पॉइंट्स
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि “पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों सुलेमान उर्फ फैजल, अफगान और जिब्रान (लश्कर-ए-तैयबा के ए-ग्रेड आतंकी) को ऑपरेशन महादेव के तहत ढेर किया गया। यह ऑपरेशन भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त प्रयास से 22 अप्रैल के 97 दिन बाद पूरा हुआ। शाह ने इसे सरकार की त्वरित कार्रवाई का सबूत बताया।
पाकिस्तान की युद्धविराम की गुहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलासा किया कि “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान दबाव में आ गया। पाकिस्तानी डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ से युद्धविराम की गुहार लगाई, जिसमें कहा गया, “बस करो, बहुत मारा है।” मोदी ने इसे भारत की सैन्य ताकत का प्रमाण बताया।
विपक्ष ने बार-बार पूछा कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया, जैसा कि उन्होंने 25-26 बार दावा किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल से 17 जून तक पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई, और ट्रंप का दावा पूरी तरह खोखला है। पीएम मोदी ने भी कहा कि भारत की कार्रवाई किसी बाहरी दबाव के बिना, स्वतंत्र रूप से की गई।
विपक्ष के सवाल
पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक: विपक्ष, खासकर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और टीएमसी के कल्याण बनर्जी ने पूछा कि आतंकी पहलगाम तक कैसे पहुंचे और हमले के बाद कैसे फरार हुए। उन्होंने सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी तय करने की मांग की। सरकार ने स्वीकार किया कि सुरक्षा चूक हुई, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कार्रवाई का परिणाम मायने रखता है, न कि “कितनी पेंसिल टूटी।”
भारत के विमानों के नुकसान पर सवाल
विपक्ष, विशेष रूप से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, ने पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के कितने लड़ाकू विमान गिराए गए। राजनाथ सिंह ने इस सवाल को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष को यह पूछना चाहिए कि भारत ने कितने आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। उन्होंने जोर दिया कि ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकी उनके प्रशिक्षक और संचालक मारे गए।
PoK को वापस न लेने का सवाल
कांग्रेस ने पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को क्यों नहीं लिया गया। पीएम मोदी ने जवाब में कांग्रेस पर पलटवार किया, पूछा कि PoK पर पाकिस्तान का कब्जा किसकी सरकार में हुआ। उन्होंने नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का “इकोसिस्टम” इस सवाल पर बौखला जाता है।
विपक्ष पर सरकार का हमला
सरकार ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस, पर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का समर्थन न करने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि 190 देशों ने भारत का समर्थन किया, लेकिन कांग्रेस ने नहीं। अमित शाह ने कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम के बयान पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले के आतंकियों के पाकिस्तान से आने का सबूत मांगा था। शाह ने इसे “पाकिस्तान को बचाने” की कोशिश करार दिया।
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया
22 अप्रैल को पहलगाम की बायसरन घाटी में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 पर्यटकों की हत्या की, जिसमें धर्म पूछकर गोली मारी गई। इस हमले ने देश को झकझोर दिया, और इसका जवाब देने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। 6-7 मई 2025 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए, और पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान हुआ। ऑपरेशन का नाम पहलगाम हमले में महिलाओं के सिंदूर उजाड़ने के प्रतीक के रूप में रखा गया।
बहस की शुरुआत और गतिरोध
संसद के मानसून सत्र (21 जुलाई से 21 अगस्त) में विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले पर चर्चा की मांग की, जिसके लिए 28 जुलाई (लोकसभा) और 29 जुलाई (राज्यसभा) को 16-16 घंटे का समय निर्धारित किया गया। शुरुआती तीन दिन हंगामे की भेंट चढ़े, क्योंकि विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण (एसआईआर) और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे जैसे मुद्दों को भी उठाया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश ने हंगामे के कारण कार्यवाही बार-बार स्थगित की।
सरकार का पक्ष
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर में सेना को पूरी आजादी दी गई थी, और 9 आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया गया। उन्होंने जोर दिया कि भारत का उद्देश्य सीमा पार करना या कब्जा करना नहीं, बल्कि आतंकियों को खत्म करना था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि “ऑपरेशन 100% सफल रहा और पाकिस्तान को भविष्य में ऐसी हरकतों की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
विपक्ष ने पांच प्रमुख सवाल उठाए
(1) पहलगाम में सुरक्षा चूक, (2) आतंकियों का फरार होना, (3) भारत के विमानों का नुकसान, (4) ट्रंप की मध्यस्थता, और (5) PoK को वापस न लेना।
राहुल गांधी, गौरव गोगोई, कल्याण बनर्जी और असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर हमला बोला। ओवैसी ने पूछा कि जब भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद किया, तो क्रिकेट मैच क्यों खेला जा रहा है? कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार चर्चा से बच रही है और पीएम मोदी की मौजूदगी की मांग की।
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि वे ट्रंप के सामने “56 इंच की छाती को 36 इंच” कर लेते हैं। निर्दलीय सांसद अब्दुल रशीद शेख (इंजीनियर रशीद) ने कहा कि उन्होंने तिहाड़ जेल से 1.5 लाख रुपये खर्च कर संसद में बोलने का मौका पाया, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर उनके क्षेत्र (कश्मीर) से जुड़ा था।
राजनीतिक हथियार बनाने की कोशिश
सरकार ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट स्ट्राइक से बड़ा था, जिसने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया।”
ऑपरेशन सिंदूर पर बहस ने भारत की सैन्य ताकत और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित किया। सरकार ने इसे राष्ट्रीय गौरव का मुद्दा बनाया, जबकि विपक्ष ने सुरक्षा चूक और जवाबदेही पर सवाल उठाए। यह बहस बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण रही, क्योंकि विपक्ष इसे राजनीतिक हथियार बनाने की कोशिश में था।