राजा का तालाब (कांगड़ा)। मात्र 30 हजार की उधारी चुकाने में असमर्थ दंपती ने अपने 5,00000 रुपये के गहनों को बेचकर दो सितंबर 2018 को एंजल दिव्यांग आश्रम की शुरुआत की। आज यहां दिव्यांग बच्चों की फिजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी और अन्य स्वास्थ्य यंत्रों की मदद से मुफ्त में इलाज किया जा रहा है। निजी कंपनी में नौकरी करने वाले उपमंडल फतेहपुर की ग्राम पंचायत छतर के नीरज शर्मा और उनकी पत्नी अलका शर्मा का बड़ा बेटा प्रणय शर्मा बचपन से ही चलने फिरने और देखने में असमर्थ है। जनवरी 2017 में जब वह आठ साल का था तो माता अलका शर्मा के मन में विचार आया कि क्यों न हम अपने बेटे जैसी स्थिति वाले बच्चों के इलाज को लेकर एक आश्रम शुरू करें। इसमें दिव्यांग बच्चों को आश्रम में लाकर उनका नि:शुल्क इलाज किया जाए।
जनवरी 2017 को दंपती ने अपने परिचित मनोज सेठी चंडीगढ़ से सलाह मशविरा कर एंजल दिव्यांग नाम से आश्रम खोलने पर सहमति बना ली और तत्काल संस्था को पंजीकृत करवा लिया। लोगों के विरोध के बीच गांव में ही मात्र तीन कमरों वाले निजी घर की छत पर दंपती ने गहने बेचकर आखिरकार चार सितंबर 2017 को भवन निर्माण का कार्य शुरू कर दिया। भवन निर्माण का कार्य संपूर्ण होने के बाद दो सितंबर, 2018 को 20 दिव्यांग बच्चों को निजी गाड़ी के माध्यम से उनके घरों से नि:शुल्क लाने और छोड़ने की प्रक्रिया अपनाकर एंजल दिव्यांग आश्रम का शुभारंभ कर दिया गया। समाजसेवी बच्चन सिंह राणा ने दंपती से प्रेरित होकर आश्रम के लिए एक एंबुलेंस भेंट की।
वहीं लिफोर्ड कंपनी ने फिजियोथैरेपी यंत्र, स्पीच यंत्र और अन्य यंत्र उपलब्ध करवाए। मौजूदा समय में 107 दिव्यांग बच्चे आश्रम में पंजीकृत हैं। 50 के करीब दिव्यांग बच्चे आज भी चार बैच में आश्रम में इलाज के लिए आते हैं। यहां पढ़ाई के अलावा उनकी फिजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी और अन्य स्वास्थ्य हेल्प यंत्रों से उनका इलाज किया जाता है। संचालिका अलका शर्मा सहित कुल दस लोगों का स्टाफ बच्चों की देखभाल करता है। यूपी, पंजाब, हिमाचल से आए दिव्यांग बच्चों का यहां इलाज किया गया है।
कुछ दानी सज्जन आश्रम की सहायता करते हैं। आश्रम के अतिरिक्त दंपती ने दिव्यांग माता-पिता के 15 बच्चों की तमाम पढ़ाई और राशन का खर्च अपने ऊपर ले रखा है। सुबह मंत्रोच्चारण ध्वनि के साथ दिन की शुरुआत होती है। 19 वर्षीय दिव्यांग छात्र अकांश शर्मा ने बताया कि वह आश्रम में लगातार आ रहा है। यहां काफी कुछ सीखने को मिलता है। इधर, दंपती चाहता है कि सरकार उन्हें लीज पर भूमि उपलब्ध करवाए, ताकि खुली जगह में आश्रम को सुचारु रूप से चलाया जा सके।