आध्यात्म विशेष/नई दिल्ली: सावन का पहला दिन पूरे देश में शिव भक्ति के रंग में रंगा रहा। हरिद्वार से देवघर तक, लाखों शिवभक्तों ने भगवान शिव की आराधना में हिस्सा लिया, जिससे आस्था का एक अद्भुत सैलाब देखने को मिला। आइए प्रमुख स्थानों की ग्राउंड रिपोर्ट को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
हरिद्वार में गंगा घाटों पर भक्तों की भीड़हर की पैड़ी पर उत्साह: सूर्योदय से पहले ही हजारों कांवड़िए हर की पैड़ी पर गंगाजल लेने पहुंचे। ‘हर-हर महादेव’ और ‘बम-बम भोले’ के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
कांवड़ यात्रा की शुरुआत
कांवड़ यात्रा का शुभारंभ हुआ, जिसमें लाखों भक्त गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। दिल्ली-हरिद्वार मार्ग पर कांवड़ियों का रेला देखा गया। सुरक्षा और व्यवस्था के लिए पुलिस तैनात की गई, सीसीटीवी और हाईमास्ट लाइट्स लगाए गए।
बाबा बैद्यनाथ धाम में उमड़ी भीड़ लाखों श्रद्धालु झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर में पहले दिन ही लाखों भक्तों ने जलाभिषेक किया। मंदिर के बाहर 7-8 किलोमीटर लंबी कतारें लगीं। सुल्तानगंज में गंगा नदी से जल लेकर कांवड़िए 105 किमी की पैदल यात्रा कर देवघर पहुंचे। गंगा के उत्तरवाहिनी होने के कारण यह जल विशेष महत्व रखता है।
किन-किन स्थानों पर हुआ जलाभिषेक
12,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए। गंगा घाटों पर बैरिकेडिंग, नाव, और तैराकों की व्यवस्था की गई ताकि कोई हादसा न हो। मंदिर में स्पर्श पूजन बंद कर अर्घा के माध्यम से जलाभिषेक की व्यवस्था की गई। सफाई के लिए 750 कर्मचारियों की तैनाती की गई।
काशी विश्वनाथ, वाराणसी में देश-विदेश से आए भक्तों ने जलाभिषेक और पूजा-अर्चना की। मंदिर परिसर में भारी भीड़ रही। उज्जैन, महाकालेश्वर में भक्तों ने सुबह से ही मंदिर में दर्शन किए। विशेष पूजाएं आयोजित की गईं। साथ ही दिल्ली, अयोध्या और प्रयागराज जैसे शहरों में भी शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ा। मंदिरों को फूलों और लाइटों से सजाया गया।
सावन का महत्व और मान्यताएं धार्मिक महत्व
सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। मान्यता है कि इस दौरान जलाभिषेक करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भक्त गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और इसे शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। यह यात्रा 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगी, जिसमें चार सोमवार (14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त) विशेष महत्व रखते हैं।
सावन का यह उत्सव न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी देश को जोड़ता है।मंदिरों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। सीसीटीवी, पुलिस और सफाई कर्मचारियों की तैनाती ने व्यवस्था को सुचारू बनाया।
सावन का विशेष महत्व !
सावन माह का विशेष महत्त्व को पत्रकार/लेखक प्रकाश मेहरा ने दो कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया है “भगवान शिव को समर्पित-सावन की छाया” और “सावन का विज्ञान” आप भी कविता के माध्यम से समझिए सावन क्या महत्त्व है।
श्रद्धालुओं का उत्साह
भक्तों ने बताया कि “कांवड़ यात्रा में कष्ट नहीं, बल्कि आनंद का अनुभव होता है। नेपाल और अन्य देशों से देवघर में नेपाल, भूटान, और सूरीनाम जैसे देशों से भी श्रद्धालु पहुंचे। सावन 2025 का पहला दिन हरिद्वार से देवघर तक आस्था, भक्ति, और उत्साह का प्रतीक रहा। लाखों शिवभक्तों ने गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक किया और मंदिरों में ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे गूंजे। प्रशासन की सतर्कता और भक्तों की श्रद्धा ने इस पवित्र दिन को और भी खास बना दिया।