प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: नेपाल की राजधानी काठमांडू में 8 सितंबर को हुए हिंसक प्रदर्शनों ने देश में तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी। यह आंदोलन, जिसे “Gen-Z Revolution” नाम दिया गया, मुख्य रूप से सरकार द्वारा 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, एक्स समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ। इसके अलावा, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले जैसे मुद्दों ने भी युवाओं के गुस्से को भड़काया।
प्रदर्शन की शुरुआत कब और क्यों ?
प्रदर्शन काठमांडू के माइतीघर मंडला और न्यू बानेश्वर जैसे इलाकों में शुरू हुआ। हजारों युवा, खासकर 1997-2012 के बीच जन्मे Gen-Z, सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर न्यू बानेश्वर में संसद भवन परिसर में प्रवेश किया। कुछ प्रदर्शनकारी गार्ड हाउस पर चढ़ गए और नारेबाजी की। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस, वहीर् पानी की बौछार।
आगजनी और तोड़फोड़
कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में आगजनी और तोड़फोड़ की कोशिश की, हालांकि इसका कोई सबूत नहीं है। झड़पों में एक प्रदर्शनकारी की मौत और 80 से अधिक लोग घायल हुए। दमक में पुलिस की गोलीबारी में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।
सरकार का रुख सोशल मीडिया बैन
नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पंजीकरण न करने के कारण प्रतिबंधित किया था। सरकार का कहना है कि ये कंपनियां कर चोरी कर रही थीं। काठमांडू में कर्फ्यू लागू किया गया। संसद भवन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास के आसपास के क्षेत्रों में भारी सुरक्षा तैनात की गई।
विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंसा में एक प्रदर्शनकारी की मौत और 80 से अधिक लोग घायल हुए। हालांकि, कुछ स्रोतों में 5 लोगों की मौत की खबर है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर हमला किया, जिसके बाद आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें हैं। प्रदर्शन शुरू में शांतिपूर्ण था, लेकिन संसद की ओर बढ़ने के दौरान यह हिंसक हो गया। पुलिस ने आंसू गैस, पानी की बौछार और हवाई फायरिंग का इस्तेमाल किया।
सावधानी सूचना का अभाव
प्रश्न में 5 लोगों की मौत और 80 लोगों के घायल होने की बात कही गई है, लेकिन रिपोर्ट्स में केवल एक प्रदर्शनकारी की मौत और 80 से अधिक घायलों की पुष्टि हुई है। यह प्रदर्शन सोशल मीडिया बैन के खिलाफ था, जिसे सरकार ने कर चोरी और पंजीकरण न करने के लिए लगाया था। प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले का भी आरोप लगाया।