प्रकाश मेहरा
वाराणसी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वैज्ञानिक सर्वे में कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद ढांचा (मस्जिद) से पहले वहां हिन्दू मंदिर था। सर्वे में मंदिर से जुड़े 34 साक्ष्य सामने आए हैं। ढांचे की पश्चिमी दीवार प्राचीन मंदिर की है, जिसके ऊपर दूसरा ढांचा बनाया गया है। वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद यह जानकारी दी है। विष्णु शंकर जैन ने बताया कि “एसएआई ने 91 दिन के सर्वे के बाद 839 पेज की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी थी। इस रिपोर्ट के 22 पेज के निष्कर्ष में बताया है कि वर्तमान ढांचा दो सितंबर 1669 के आसपास का है, उसके पूर्व वहां काफी प्राचीन मंदिर रहा होगा। इसके साक्ष्य जीपीआर तकनीकी से जांच में सामने आए हैं।”
कॉरिडोर के पास चौड़ा कुआं
जीपीआर तकनीक में गुंबद के नीचे, कॉरिडोर के बगल में चौड़ा कुआं दिखाई दिया है। यह भी बताया कि नीचे चार तरह के चैम्बर मिले हैं, जिसमें एक बीचो बीच, दूसरा उत्तर, तीसरा पश्चिम, चौथा दक्षिण में है।
बनावट की शैली हिंदू मंदिर की
रिपोर्ट में कहा गया कि सेंट्रल चैंबर के पास मुख्य प्रवेश द्वार और एक काफी प्राचीन मुड़ावदार ढांचा है। पश्चिम चैंबर और दीवार में जो बनावट की शैली उभरी है, वह हिंदू मंदिर की है। नीचे मौजूद खंभों पर दोबारा ढांचा बनाया गया है। ये तय है कि वर्तमान ढांचा किसी दूसरे ढांचे के ऊपर बनाया गया है। पुराना ढांचा मंदिर शैली की बनावट वाला है।
अरबी-फारसी में शिलालेख टूटे
विष्णु शंकर जैन ने बताया कि “तहखाने के अंदर अरबी और फारसी में लिखे शिलालेख भी टूटे मिले हैं, जिन्हें साक्ष्य के तौर पर जुटाया गया है। अधिवक्ता का कहना था कि रिपोर्ट में लिखा है कि पूर्व में स्थित ढांचा प्राचीन मंदिर का है, जिसके ऊपर वर्तमान ढांचे (मस्जिद) का निर्माण कराया गया है।”