सतीश मुखिया/ मथुरा: भारत सरकार की सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देते हुए बाबा बर्फानी की अमरनाथ यात्रा शुरुआत होने से पहले जम्मू के पहल गांव में आतंकी हमला हुआ। जिसमें लोगों से धर्म पूछ कर उनको गोलियां मारी गई। यह इस्लामी कट्टरपंथ की घातक मानसिकता को उजागर करता है। लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के 4-5 आतंकी पुलिस की वर्दी में आए और सड़क पर जा रहे टूरिस्ट वाहनों को रोककर मजहब पूछने लगे। जिसने “कलमा” नहीं पढ़ा, उसे गोली मार दी गई।
इस हमले में कई लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें 25 हिंदू तीर्थयात्री और दो विदेशी नागरिक शामिल हैं- एक इजराइल और दूसरा इटली का निवासी बताया जा रहा है। दोनों विदेशी नागरिकों को ID देखकर गोली मारी गई। चश्मदीदों के अनुसार आतंकियों ने करीब 50 राउंड फायरिंग की। यह न केवल एक धार्मिक नरसंहार था बल्कि एक कूटनीतिक हमला भी था- जब भारत के प्रधानमंत्री मुस्लिम देश सऊदी अरब के दौरे पर थे।
हमला पूरी तरह योजनाबद्ध था
इस हमले की स्थानीय लोगों के द्वारा रेकी की गई और मौका मिलने पर सुनयोजित तरीके से पुलिस की वर्दी में आकर के पर्यटन के ऊपर हमला किया जिससे किसी को शक नहीं हो।
मृतकों में शामिल हैं
- मंजूनाथ (47 वर्ष), रियल एस्टेट कारोबारी, कर्नाटक
- इजराइल व इटली के दो विदेशी पर्यटक
- तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र के अनेक श्रद्धालु
जम्मू कश्मीर की डेमोग्राफी में बदलाव बना मुख्य कारण
यह हमला जम्मू में हिंदू परिवारों द्वारा ज़मीन खरीदने और बसने के कारण हुआ। आतंकी इसे “डेमोग्राफिक चेंज” कहकर औचित्य ठहराते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा
आतंकियों का एजेंडा कभी सफल नहीं होगा। आतंकवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई निर्णायक और भारत के गृहमंत्री अमित शाह विशेष विमान से जम्मू पहुंचे हैं। NIA की विशेष टीम कल घटनास्थल का दौरा करेगी।
इस हमले के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है, सभी पर्यटक होटल खाली करके जा रहे हैं और तीर्थयात्रियों की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है। स्थानीय जनता में कहां कि हमला केवल एक आतंकी कृत्य नहीं, बल्कि भारत की बहुलतावादी संस्कृति और हिंदू अस्मिता पर संगठित वैचारिक हमला है। इस्लामी जिहाद का यह रूप अब केवल सीमा पार से नहीं, भीतर से वार कर रहा है। यह समय है कि भारत इस विचारधारा को वैश्विक मंच पर बेनकाब करे।