नई दिल्ली: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, इस मानसून में भारत में औसत से आठ प्रतिशत अधिक बारिश हुई. अगस्त पिछले कई वर्षों में सबसे ज़्यादा बारिश वाला महीना रहा, और सितंबर में चार महीनों के इस मौसम में सामान्य से ज़्यादा बारिश हुई.
अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में हुई भारी बारिश के कारण पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बाढ़ आ गई. जान-माल के नुकसान के अलावा, इस बाढ़ के कारण खरीफ की फसल में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले दो राज्यों, पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में फसलों को भारी नुकसान हुआ.
वहीं, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि अत्यधिक वर्षा ने वास्तव में उत्पादन को वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है. 2025-26 के लिए, कुल खरीफ उत्पादन अनुमान 714.1 मिलियन टन है. गन्ने का उत्पादन इसमें लगभग आधा है, जो 475.6 मिलियन टन है, जो पिछले वर्ष से 21 मिलियन टन अधिक है.
रागी, ज्वार, बाजरा, चावल, मक्का और अन्य छोटे मोटे अनाजों का उत्पादन 165.9 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें चावल और मक्का का योगदान मुख्य रूप से है. चावल का उत्पादन लगभग 124.5 मिलियन टन और मक्का का उत्पादन 28.3 मिलियन टन रहा, और दोनों फसलों का उत्पादन पिछले कई वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया.
2025-26 के लिए खरीफ तिलहन उत्पादन अनुमान 27.56 मिलियन टन है. मूंगफली का उत्पादन 11.09 मिलियन टन और सोयाबीन का उत्पादन 14.27 मिलियन टन है. दालों में मामूली वृद्धि देखी गई, कुल खरीफ उत्पादन 7.41 मिलियन टन रहा. तुअर (अरहर) का उत्पादन 3.60 मिलियन टन, उड़द का 1.21 मिलियन टन और मूंग का 1.72 मिलियन टन होने का अनुमान है.
खेतों के बह जाने की आशंकाओं के साथ शुरू हुआ ये मौसम बिल्कुल अलग तरीके से खत्म हुआ है. तबाही के बावजूद, सामान्य से ज्यादा बारिश ने भारत के ज्यादातर खेतों में उत्पादन को मजबूत किया है.







