नई दिल्ली: दुनिया में युद्ध की तस्वीर बदल चुकी है. अब जंग केवल टैंक, मिसाइल और बंदूकों से नहीं लड़ी जाती, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस टेक्नोलॉजी और रोबोटिक्स इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. पीएम मोदी इस बदलाव को बारीकी से समझ रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-गाजा संघर्ष ने यह साफ कर दिया है कि भविष्य का युद्ध हाई-टेक्नोलॉजी से तय होगा. भारत अब उसी दिशा में कदम बढ़ा रहा है. अगले 15 सालों में भारतीय सेना को ऐसा कवच मिलेगा, जो धरती, आकाश, समंदर और अंतरिक्ष, जो हर जगह युद्ध के लिए तैयार होगा.
मोदी सरकार के विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार भारतीय थल सेना को कई नई क्षमताएं मिलेंगी. इसके लिए आने वाले समय में 1800 टैंक को शामिल किया जाएगा. इसमें से 400 हल्के टैंक होंगे, जो पहाड़ी इलाकों में तैनात किए जाएंगे. वहीं 5000 टैंक माउंटेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें और 700+ रोबोटिक काउंटर-IED सिस्टम भी सेना की सुरक्षा में तैनात किए जाएंगे. जोरावर टैंक चीन के Type 15 टैंकों का जवाब है. यह सिर्फ 25 टन वजनी है और आसानी से एयरलिफ्ट करके ऊंचे इलाकों में तैनात किया जा सकता है. सबसे खास यह AI से लैस है, जो खुद टारगेट पहचान सकता है और फायर पावर एडजस्ट कर सकता है.
भारतीय नौसेना का विस्तार
समुद्र में भारत की शक्ति को कई गुना बढ़ाने के लिए बड़े निवेश की योजना है. नया विमानवाहक पोत (Aircraft Carrier) – EMALS (Electromagnetic Aircraft Launch System) से लैस न्यूक्लियर प्रोपल्शन वाले वॉरशिप समेत 10 एडवांस फ्रिगेट्स और 7 कॉर्वेट्स को जोड़ा जाएगा, 4 लैंडिंग डॉग प्लेटफॉर्म का भी निर्माण किया जाएगा. वर्तमान में भारत के पास INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत हैं. भविष्य में और भी शक्तिशाली न्यूक्लियर कैरियर शामिल करने का लक्ष्य है.
भारतीय वायुसेना (Air Force) का नया स्वरूप
वायुसेना को अगले 15 सालों में एक हाई-टेक अपग्रेड मिलेगा. इसके लिए 75 छोटे उपग्रह (High Altitude), 150 स्टील्थ बॉम्बर ड्रोन और सैकड़ों मिसाइलें शामिल की जाएंगी. इससे भारतीय वायुसेना केवल आकाश तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अंतरिक्ष आधारित निगरानी और युद्ध के लिए भी तैयार होगी.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स
भारतीय सेना अब AI और रोबोटिक्स में भी निवेश कर रही है. बारूदी सुरंगें पहचानने और नष्ट करने के लिए दक्ष और म्यूल रोबोट्स को शामिल करने का प्लान है. जमीन से समंदर तक खतरों का पता लगाने के लिए लिडार और अर्थ-पेनेट्रेटिंग रडार वाले प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा. रोबोटिक काउंटर-IED सिस्टम का भी यूज होगा, जो सैनिकों की जान बचाने में काम आएगा. भविष्य में भारत की सेना के पास ऐसी रोबोटिक यूनिट्स होंगी, जो युद्ध के मैदान में सैनिकों की जगह ले सकती हैं.