स्पेशल डेस्क/ दिल्ली के रामलीला मैदान में कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की भर्ती परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के खिलाफ हजारों SSC अभ्यर्थियों और शिक्षकों ने छत्र महा आंदोलन के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन मुख्य रूप से SSC सेलेक्शन पोस्ट फेज 13 परीक्षा (24 जुलाई से 1 अगस्त 2025) में हुई समस्याओं, जैसे कि अचानक परीक्षा रद्द होना, तकनीकी खामियां, बायोमेट्रिक विफलताएं, और दूरस्थ परीक्षा केंद्रों के आवंटन, को लेकर था। प्रदर्शनकारियों ने Eduquity Career Technologies, SSC की नई परीक्षा एजेंसी, पर अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्रबंधन की कमी का आरोप लगाया। आइये इस मामले को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
प्रदर्शनकारी और संख्या
रामलीला मैदान में 1,500 से 15,000 तक अभ्यर्थी और शिक्षक शामिल थे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण शुरू हुआ, लेकिन शाम को अनुमति समय (5 बजे) समाप्त होने के बाद लगभग 100 प्रदर्शनकारी रुक गए, जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप किया। दिल्ली पुलिस ने बताया कि 44 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया क्योंकि उन्होंने समय समाप्त होने के बाद मैदान खाली करने से इनकार कर दिया।
प्रदर्शनकारियों का दावा
कुछ प्रदर्शनकारियों और सोशल मीडिया पोस्ट्स ने दावा किया कि “पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें लाठीचार्ज और बिजली काटने की घटनाएं शामिल थीं। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि “कोई दुराचार नहीं हुआ।”
प्रदर्शनकारियों की मांगें
प्रदर्शनकारी न केवल तकनीकी और प्रशासनिक खामियों को दूर करने की मांग कर रहे थे, बल्कि SSC की भर्ती प्रक्रिया में व्यापक सुधार की मांग कर रहे थे। Eduquity को हटाना प्रदर्शनकारी SSC के नए वेंडर Eduquity Career Technologies को हटाने और अधिक विश्वसनीय एजेंसी नियुक्त करने की मांग कर रहे थे।
समय पर उत्तर कुंजी जारी करना, आपत्तियों की जांच, और पारदर्शी प्रक्रिया की मांग। क्षेत्र-आधारित केंद्र आवंटन ताकि अभ्यर्थियों को दूर यात्रा न करनी पड़े। विशेषज्ञों द्वारा प्रश्न पत्रों की जांच और गलत प्रश्नों को हटाना। SC, ST, और OBC आयोग की तर्ज पर एक स्टूडेंट्स कमीशन ऑफ इंडिया (SCI) बनाने की मांग। रद्द परीक्षाओं के लिए शुल्क वापसी या अतिरिक्त प्रयास की अनुमति। भर्ती प्रक्रिया को 6-8 महीनों में पूरा करने के लिए समयबद्ध योजना।
प्रदर्शन का कारण परीक्षा में अनियमितताएं
अभ्यर्थियों ने बताया कि “कई केंद्रों पर परीक्षा बिना सूचना रद्द कर दी गई। कुछ केंद्रों पर तकनीकी खामियां, जैसे सर्वर क्रैश और बायोमेट्रिक विफलताएं, थीं।”
कई अभ्यर्थियों को उनके घर से 400-500 किलोमीटर दूर केंद्र आवंटित किए गए, जिससे समय और धन की बर्बादी हुई। गलत प्रश्न, अनुवाद में त्रुटियां, और पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्नों की शिकायतें। Eduquity पर खराब प्रबंधन और तकनीकी विफलताओं का आरोप। परिणामों में देरी, उत्तर कुंजी में गलतियां, और शिकायतों के समाधान में कमी।
SSC अभ्यर्थियों का विरोध
यह पहली बार नहीं था जब SSC अभ्यर्थियों ने विरोध किया। जुलाई और अगस्त 2025 की शुरुआत में दिल्ली के जंतर मंतर और अन्य शहरों में इसी तरह के प्रदर्शन हुए थे। अगस्त की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रदर्शनकारी शिक्षकों से मुलाकात की थी और कुछ मांगें, जैसे शुल्क वापसी और प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए पुनर्परीक्षा, स्वीकार की थीं। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बड़े मुद्दे, जैसे वेंडर जवाबदेही और प्रणालीगत सुधार, अभी भी अनसुलझे हैं।
SSC और पुलिस की प्रतिक्रिया
SSC ने अभी तक प्रदर्शनकारियों की मांगों पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। दिल्ली पुलिस ने भी लाठीचार्ज के आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि “हिरासत केवल अनुमति समय के बाद रुकने वालों की गई थी। प्रदर्शनकारी और राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) ने मांग की है कि “SSC प्रक्रियाओं की न्यायिक जांच हो और तत्काल सुधार लागू किए जाएं। सोशल मीडिया पर समर्थन बढ़ रहा है, और प्रदर्शन के राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहने की संभावना है।
युवाओं का भरोसा बहाल हो सके
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश मेहरा कहते हैं कि “SSC की भर्ती प्रक्रिया में गंभीर सुधारों की आवश्यकता है। Eduquity जैसे वेंडरों की जवाबदेही, तकनीकी खामियों का समाधान, और पारदर्शी प्रक्रिया लागू करना तत्काल जरूरी है। साथ ही, पुलिस कार्रवाई और प्रदर्शनकारियों के साथ व्यवहार को लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा पर जोर दिया जाये।”
विशेषज्ञों ने सरकार से मांग की है कि “वह अभ्यर्थियों की शिकायतों को गंभीरता से ले और दीर्घकालिक समाधान लागू करे, ताकि युवाओं का भरोसा बहाल हो सके।”
SSC की भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष और विश्वसनीय
रामलीला मैदान में SSC अभ्यर्थियों का प्रदर्शन उनकी भर्ती प्रक्रिया में बार-बार होने वाली समस्याओं और पारदर्शिता की कमी के प्रति गहरी निराशा को दर्शाता है। 44 प्रदर्शनकारियों की हिरासत और पुलिस कार्रवाई के आरोपों ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। प्रदर्शनकारी स्पष्ट और दीर्घकालिक सुधारों की मांग कर रहे हैं ताकि SSC की भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष और विश्वसनीय हो सके।