नई दिल्ली :भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अगली पीढ़ी के गाइडेड रॉकेट सिस्टम पिनाका-4 का विकास कर रहा है. इसकी रेंज 300 किलोमीटर होगी. पिनाका-4 के ट्रायल 2028 में शुरू होंगे. इसे 2030 में भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा.
इस सिस्टम में दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की एउन्नत विशेषताएं होंगी, जो डीआरडीओ के प्रलय शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) से प्रेरित हैं. आइए पिनाका-4 की क्षमताओं समझते हैं.
पिनाका सिस्टम का विकास
पिनाका मल्टी-बरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) सिस्टम, जो भगवान शिव के धनुष के नाम पर रखा गया है. भारतीय सेना की तोपखाना शक्ति का एक अहम हिस्सा रहा है, जिसे कारगिल युद्ध के बाद शामिल किया गया था. यह सिस्टम पिनाका MkI (40 किलोमीटर रेंज) से विकसित होकर गाइडेड पिनाका (75–90 किलोमीटर) और आगामी पिनाका MkIII (120 किलोमीटर) तक पहुंचा है.
पिनाका-4 एक क्रांतिकारी कदम है, जो इसकी रेंज को 300 किलोमीटर तक बढ़ाएगा. इसे टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइलों का एक सस्ता और सटीक विकल्प बनाएगा. डीआरडीओ के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) और प्राइवेट इंडस्ट्री पार्टनर्स जैसे सोलर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सहयोग से विकसित, पिनाका-4 हाई-वैल्यू टारगेट, जैसे कमांड सेंटर, लॉजिस्टिक हब और दुश्मन के किलेबंदी पर सटीक हमले करने में सक्षम है.
पिनाका-4 की विशेषताएं
बड़ी रेंज और विनाशकारी शक्ति
पिनाका-4 का 300 मिमी कैलिबर, जो पहले के 214 मिमी संस्करणों से बड़ा है. इसे अधिक प्रोपेलेंट लोड और 250 किलोग्राम वारहेड ले जाने की क्षमता देता है, जिससे इसकी विनाशकारी शक्ति बढ़ जाती है.
उन्नत गाइडेंस सिस्टम
डीआरडीओ के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) द्वारा विकसित गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल (GNC) सिस्टम 10 मीटर से कम के सर्कुलर एरर प्रोबेबल (CEP) के साथ सटीकता सुनिश्चित करता है, जो चीन के PHL-16 और रूस के स्मर्च MBRL जैसी प्रणालियों से मुकाबला करता है.
एयर डिफेंस को चकमा देने की क्षमता
पिनाका-4 की सबसे खास विशेषता यह है कि यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकता है. यह प्रलय SRBM से प्रेरित है, जो 150–500 किलोमीटर की रेंज और क्वासी-बैलिस्टिक ट्रैजेक्ट्री के साथ मैन्युवरेबल रीएंट्री व्हीकल (MaRV), जेट वैन के माध्यम से थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल और डिकॉय तैनाती का इस्तेमाल करता है.
पिनाका-4 में मिड-कोर्स मैन्युवरेबिलिटी, फ्लैट फ्लाइट ट्रैजेक्ट्री और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स (ECCM) होंगे, जो रडार डिटेक्शन और इंटरसेप्शन को काउंटर करेंगे.
पुराने लॉन्चर से भी छोड़ सकते हैं
पिनाका-4 मौजूदा पिनाका लॉन्चरों के साथ संगत है, जिससे बुनियादी ढांचे की लागत कम होती है. इसे भारतीय सेना की छह पिनाका रेजिमेंटों में आसानी से शामिल किया जा सकता है. सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने 2024 में और विस्तार की योजना की घोषणा की है.
रणनीतिक महत्व
पिनाका-4 का विकास हालिया क्षेत्रीय संघर्षों के संदर्भ में आया है. खासतौर से 10 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के फतह-2 गाइडेड रॉकेट को भारत के MR-SAM (बराक-8) सिस्टम द्वारा हरियाणा के सिरसा क्षेत्र में रोका था. फतह-2, जिसकी विज्ञापित रेंज 400 KM और 10 मीटर से कम का CEP है, दिल्ली की ओर लॉन्च किया गया था, लेकिन MR-SAM ने इसे सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया.
पाकिस्तानी विश्लेषकों ने फतह-2 की उन्नत नेविगेशन और निम्न-ऊंचाई ट्रैजेक्ट्री को भारत के S-400 और अन्य एयर डिफेंस को चुनौती देने के रूप में पेश किया, लेकिन MR-SAM ने इसके डिजाइन की कमजोरियों को उजागर कर दिया, जिसमें रडार ट्रैकिंग और सीमित मैन्युवरेबिलिटी की संवेदनशीलता शामिल है.
पिनाका-4 की 300 किलोमीटर रेंज भारत की तोपखाना पहुंच को दुश्मन के क्षेत्र में गहराई तक बढ़ाती है, जिससे एयरबेस, आपूर्ति लाइनों और कमांड नोड्स जैसे रणनीतिक लक्ष्यों पर हमले किए जा सकते हैं. वो भी बिना प्रलय या ब्रह्मोस जैसे महंगे सिस्टम पर निर्भर हुए.
क्षेत्रीय चुनौतियां और अवसर
पिनाका-4 का विकास चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (PLARF) से आने वाले खतरे को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जो PHL-16 (250–500 किलोमीटर रेंज) जैसी प्रणालियों का संचालन करती है. 300 KM वेरिएंट विकसित करके, डीआरडीओ चीन की रॉकेट तोपखाना में संख्या और रेंज लाभ को काउंटर करने का लक्ष्य रखता है, जिससे भारत की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ डेटरेंस बढ़ेगी.