नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति का एक्स्ट्रा 25 फीसदी टैरिफ भारत पर लागू हो गया है. अब भारत पर अमेरिका की ओर से लगाया गया कुल टैरिफ 50 फीसदी हो चुका है. जिसका सबसे ज्यादा असर टेक्स्टाइल इंडस्ट्री को होने की उम्मीद है. ऐसे में भारत ने अपना ‘स्पेशल 40’ प्लान एग्जिक्यूट करने की तैयारी शुरू कर दी है. जिसके बाद टेक्स्टाइल इंडस्ट्री पर पड़ने वाला असर पूरी तरह से खत्म होने की उम्मीद है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कि आखिर भारत का ‘स्पेशल 40’ प्लान क्या है? इस प्लान से ट्रंप के टैरिफ को टेक्स्टाइल इंडस्ट्रीज से कैसे बेअसर किया जा सकता है? आइए आपको भी इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
ये है भारत का ‘स्पेशल 40’ प्लान
भारतीय वस्त्र उत्पादों पर 50 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाए जाने के बीच सरकार ने टेक्स्टाइल एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए 40 देशों में विशेष संपर्क कार्यक्रम चलाने की योजना बनाई है. एक सरकारी अधिकारी ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि इस पहल के तहत ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मेक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख देशों को शामिल किया गया है.
अधिकारी ने कहा कि इन 40 बाजारों में भारत एक विश्वसनीय, गुणवत्ता-युक्त, टिकाऊ और नवाचारी वस्त्र उत्पादों का आपूर्तिकर्ता बनने की दिशा में काम करेगा. इसमें भारतीय मिशन और निर्यात प्रोत्साहन परिषदों (ईपीसी) की अहम भूमिका होगी. हालांकि, भारत पहले से ही 220 से अधिक देशों को टेक्स्टाइल एक्सपोर्ट करता है लेकिन ये 40 देश मिलकर करीब 590 अरब डॉलर का ग्लोबल टेक्स्टाइल एंड अपैरल इंपोर्ट करते हैं. इस इंपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी फिलहाल महज पांच-छह फीसदी है.
कितना हो सकता है टेक्स्टाइल को नुकसान
अधिकारी ने कहा कि ऐसे परिदृश्य में इन देशों के साथ विशेष संपर्क की यह पहल बाजार विविधीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने जा रही है. अमेरिका की तरफ से भारतीय उत्पादों पर लगाया गया अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क 27 अगस्त से लागू हो गया है. इस तरह कुल आयात शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है. इसका वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा, मछली, रसायन और मशीनरी जैसे क्षेत्रों के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है. अकेले टेक्स्टाइल सेक्टर की अमेरिका को होने वाली निर्यात क्षति 10.3 अरब डॉलर हो सकती है.
घट सकती है भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता
अपेरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि 25 फीसदी शुल्क दर को तो उद्योग ने पहले ही स्वीकार कर लिया था, लेकिन अब अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगने से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में 30-31 फीसदी तक घट गई है. इससे भारतीय वस्त्र उद्योग अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर हो गया है. उन्होंने सरकार से तत्काल वित्तीय राहत की मांग की ताकि उद्योग संकट से उबर सके. साथ ही उन्होंने कहा कि टेक्स्टाइल इंडस्ट्री अब ब्रिटेन और ईएफटीए देशों के साथ व्यापार समझौतों के माध्यम से नुकसान की भरपाई की संभावनाओं की तलाश कर रहा है.
ऐसे भी मिलेगी मदद
सरकार की योजना के तहत ईपीसी निर्यात बाजारों का आकलन और हाई डिमांड वाले उत्पादों की पहचान करेंगी. इसके अलावा सूरत, तिरुपुर, भदोही जैसे टेक्स्टाइल प्रोडक्ट क्लस्टर्स को अंतरराष्ट्रीय अवसरों से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही, ब्रांड इंडिया कैंपेन के तहत इंटरनेशनल प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों में भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी. मुक्त व्यापार समझौतों और व्यापार समझौते भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद कर सकते हैं. ऐसे में भारत के लिए यह रणनीतिक प्रयास ग्लोबल टेक्स्टाइल एक्सपोर्ट मार्केट में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर बन सकता है.