स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इस हमले में 26 लोग, जिनमें अधिकतर हिंदू पर्यटक थे, मारे गए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ ने ली और भारतीय जांच एजेंसियों ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा। इसके बाद भारत ने कई कड़े कदम उठाए, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा की यह रिपोर्ट पहलगाम हमले के बाद के घटनाक्रम, भारत-पाकिस्तान तनाव और 1971 के बाद सबसे बड़ी जंग की आशंका पर आधारित है।
पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की !
छह आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। हमलावर एके-47 जैसे हथियारों से लैस थे। 26 लोगों की मौत, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। स्थानीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पर्यटन को भारी नुकसान। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े TRF ने हमले की जिम्मेदारी ली। एनआईए की प्रारंभिक जांच में पाकिस्तानी सेना और ISI की संलिप्तता के सबूत मिले। पाकिस्तान ने हमले की निंदा की, लेकिन भारत के आरोपों को खारिज करते हुए इसे ‘आंतरिक मामला’ बताया।
पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम !
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए, जो दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाने वाले साबित हुए। भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया, जिसे पाकिस्तान ने ‘युद्ध की शुरुआत’ करार दिया। भारत ने दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग को बंद करने और राजनयिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया।
भारत ने अटारी चेकपोस्ट को बंद कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए। भारत ने पाकिस्तान से सभी डाक और पार्सल सेवाओं पर रोक लगा दी। पाकिस्तानी न्यूज चैनलों के सोशल मीडिया अकाउंट्स भारत में बैन कर दिए गए। भारत ने पाकिस्तान से सभी आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें समुद्री जहाजों पर भी रोक शामिल है। पाकिस्तान को भारत के बाजारों से वस्तुओं की आपूर्ति बंद कर दी गई।
सभी राज्यों में मॉक ड्रिल करने का आदेश !
भारत सरकार ने सभी राज्यों को युद्ध की स्थिति के लिए मॉक ड्रिल करने का आदेश दिया। उत्तर प्रदेश में 7 मई को हवाई हमले की चेतावनी सायरन और ब्लैकआउट की मॉक ड्रिल की तैयारी शुरू हुई। पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर कई बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया। भारत ने जवाबी कार्रवाई की। जम्मू-कश्मीर में 48 पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया और गुलमर्ग, सोनमर्ग जैसे क्षेत्रों में एंटी-फिदायीन दस्ते तैनात किए गए। हमले के बाद भारत में 10 लाख से अधिक साइबर हमले दर्ज किए गए, जिनमें से कई पाकिस्तान, मध्य पूर्व, और अन्य देशों से हुए। भारतीय साइबर एजेंसियों ने इन्हें नाकाम किया।
‘प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट’ : विशेषज्ञ
सभी राज्यों में मॉक ड्रिल करने के आदेश के बाद विशेषज्ञ के तौर पर प्रकाश मेहरा कहते हैं कि “कभी भी किसी वक्त भी दुश्मन को कमजोर नहीं समझना चाहिए…ये तैयारियाँ इसलिए की जाती हैं कि अगर ये परिस्थितियां आएं तो हम लोग तैयार हों…डरना नहीं है, घबराना नहीं है ‘प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट’ अगर आप लोगों को बताएंगे, समझाएंगे कि भई ऐसा हो सकता है, तो वो तैयार रहेंगे..हर एक बच्चे को आज पता लग जाएगा कि there is some systems as sirens, there is some system as blackout…हालांकि ये सच्चाई है कि पाकिस्तान की फौज 4 दिन से ज़्यादा नहीं लड़ सकती।”
क्या 1971 जैसी जंग की आशंका है ?
1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध, जिसमें बांग्लादेश का निर्माण हुआ, दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष था। पहलगाम हमले के बाद कई कारक 1971 जैसे युद्ध की आशंका को बढ़ा रहे हैं, लेकिन कुछ कारक इसे रोक भी सकते हैं।
भारत में हमले के बाद गुस्से का माहौल !
पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। भारत की सख्त कार्रवाइयों और पाकिस्तान की जवाबी उकसावे भरी हरकतों ने स्थिति को विस्फोटक बना दिया है। भारत में युद्ध की स्थिति के लिए मॉक ड्रिल और पाकिस्तान की मिसाइल टेस्टिंग सैन्य टकराव की आशंका को बढ़ा रही हैं। दोनों देश परमाणु हथियार संपन्न हैं, जिससे किसी भी युद्ध के परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। भारत के आर्थिक प्रतिबंध और कूटनीतिक कदमों ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है, जिससे वह सैन्य जवाब दे सकता है। भारत में हमले के बाद गुस्से का माहौल है और सरकार पर सख्त कार्रवाई का दबाव है।
युद्ध से पाकिस्तान को भारी आर्थिक नुकसान !
अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, और ईरान ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। अमेरिका ने शांति की पहल की, और ईरान ने मध्यस्थता की पेशकश की। पाकिस्तान को चीन से समर्थन की उम्मीद थी, लेकिन 1971 की तरह इस बार भी चीन तटस्थ रह सकता है। युद्ध से दोनों देशों, विशेष रूप से पाकिस्तान को भारी आर्थिक नुकसान होगा। भारत ने संकेत दिया है कि सैन्य कार्रवाई अंतिम विकल्प होगा, क्योंकि युद्ध शुरू करना आसान है, लेकिन इसे खत्म करना मुश्किल।
आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम !
यदि भारत सर्जिकल स्ट्राइक या सीमित सैन्य कार्रवाई करता है, तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जिससे पूर्ण युद्ध की स्थिति बन सकती है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण दोनों देश बातचीत की मेज पर आ सकते हैं, लेकिन इसके लिए पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे। यदि युद्ध टलता है, तो भी दोनों देशों के बीच तनाव लंबे समय तक बना रह सकता है, जिससे सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन और साइबर हमले जारी रहेंगे।
युद्ध के हो सकते हैं विनाशकारी परिणाम !
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव 1971 के युद्ध के बाद सबसे गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। भारत की सख्त कार्रवाइयों और पाकिस्तान की उकसावे भरी हरकतों ने युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव और दोनों देशों के लिए युद्ध के विनाशकारी परिणाम इसे रोक सकते हैं। फिर भी, स्थिति अत्यंत नाजुक है और अगले कुछ हफ्ते दोनों देशों के रुख को निर्धारित करेंगे। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए कूटनीतिक और सैन्य संतुलन बनाए रखना होगा, जबकि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ विश्वसनीय कदम उठाने की जरूरत है।