नई दिल्ली: भारत ने निर्यात नियमों के दुरुपयोग को लेकर इशारों में चीन की क्लास लगा दी है। इसमें अमेरिका के लिए भी मैसेज है। एससीओ की बैठक में भारत ने निर्यात संबंधी उपायों को हथियार बनाने के खिलाफ चेतावनी दी। भारत ने कहा कि इनका इस्तेमाल कृत्रिम कमी पैदा करने, बाजारों को बिगाड़ने या सप्लाई चेन बाधित करने के लिए नहीं होना चाहिए। 6 सितंबर को व्लादिवोस्तोक में एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) के व्यापार मंत्रियों की बैठक में भारत ने यह बात कही। भारत ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य में विश्वास बनाए रखने के लिए इन कदमों का सही और पारदर्शी इस्तेमाल जरूरी है। भारत ने व्यापार घाटे को कम करने के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने और व्यापार को आसान बनाने की बात भी कही।
भारत का इशारा साफ तौर से चीन की तरफ था। ये इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत के वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र को चीन के रेयर अर्थ मैग्नेट (दुर्लभ पृथ्वी चुंबक) और उर्वरक पर निर्यात प्रतिबंधों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा है। चीन भी इस संगठन का सदस्य है। भारत ने इसके जरिये अमेरिका को भी मैसेज दे दिया है। उसने साफ कर दिया है कि वह अपनी बात को रखने में किसी तरह की कोई हिचकिचाहट नहीं रखता। यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मनमाने और बेतुके टैरिफ पर भी लागू होती है।
भारत ने जताई बैठक में चिंंता
भारत ने एससीओ व्यापार मंत्रियों की बैठक में चिंता जताई। उसने कहा कि निर्यात उपायों को हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से कृत्रिम कमी हो सकती है, बाजार बिगड़ सकते हैं और सप्लाई चेन में रुकावट आ सकती है। भारत ने यह भी कहा कि व्यापार से जुड़े जलवायु उपायों से गलत तरीके से भेदभाव नहीं होना चाहिए।
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘…लगातार व्यापार असंतुलन से बेहतर बाजार पहुंच, मानकों पर सहयोग और सुव्यवस्थित व्यापार सुविधा के जरिये निपटना चाहिए।’ भारत ने चेतावनी दी कि निर्यात संबंधी उपायों को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए। इनका दुरुपयोग कृत्रिम कमी पैदा करने, बाजारों को बिगाड़ने या सप्लाई चेन को बाधित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भारत ने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य में विश्वास बनाए रखने के लिए इनका सही और पारदर्शी इस्तेमाल जरूरी है।
चीन के साथ भारत का भारी व्यापार घाटा
भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 2024-25 में लगभग 100 अरब डॉलर तक बढ़ गया है। एससीओ दुनिया की 42 फीसदी आबादी और वैश्विक व्यापार के 17.2 फीसदी का प्रतिनिधित्व करता है। भारत ने क्षेत्र में व्यापार प्रवाह को बढ़ाने, कमजोरियों को दूर करने और समावेशी विकास का समर्थन करने के लिए समन्वित कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया।
भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव अमिताभ कुमार ने WTO को केंद्र में रखते हुए खुली, निष्पक्ष, समावेशी और गैर-भेदभावपूर्ण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की आवश्यकता को हाईलाइट किया। उन्होंने विकास-केंद्रित एजेंडे के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इसमें खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर एक स्थायी समाधान और पूरी तरह कार्यात्मक दो-स्तरीय WTO विवाद निपटान प्रणाली की बहाली शामिल है।
उन्होंने ग्लोबल वैल्यू चेन में एमएसएमई की अधिक भागीदारी का समर्थन करने के लिए सेवाओं के व्यापार और कुशल पेशेवरों की अस्थायी आवाजाही की भूमिका का भी उल्लेख किया। यह राष्ट्रीय कानूनों और पारदर्शिता के अनुरूप होना चाहिए।
डिजिटल अर्थव्यवस्था पर भारत ने निष्पक्ष, पारदर्शी और अनुमानित नियामक ढांचे पर फोकस करने वाले एससीओ वर्कस्ट्रीम का प्रस्ताव रखा। इसमें सर्वोत्तम प्रथाओं पर स्वैच्छिक सहयोग और सुरक्षित, इनोवेशन-बेस्ड डिजिटलीकरण के लिए क्षमता-निर्माण शामिल है।