डॉ. जयंतीलाल भंडारी
एक जनवरी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2023 वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कठिन वर्ष रहेगा।
वैश्विक विकास दर घटेगी, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था 6.1 फीसदी की विकास दर के साथ आगे बढ़ेगी। सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) यूके ने 2023 के लिए भारत की विकास दर 6.5 फीसदी अनुमानित की है। इसी तरह एक जनवरी को प्रकाशित भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख 35 मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) के एक सर्वेक्षण से भी खुलासा हुआ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तुलना में तेज वृद्धि करेगी। नये वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश और रोजगार बढ़ेंगे तथा अर्थव्यवस्था अपनी जुझारू क्षमता और मजबूत वृहद् आर्थिक बुनियाद के कारण दुनिया में सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।
इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि दुनिया के आर्थिक परिदृश्य पर चीन में कोहराम मचा रहे कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन बीएफ-7 की वजह से दुनिया में कोरोना से नई चिंताएं और अमेरिकी मौद्रिक नीति, बढ़ते वैश्विक कर्ज एवं भू राजनीतिक परिस्थितियों से वैश्विक मंदी की आशंकाओं से चुनौतियां उभर कर दिखाई दे रही हैं। यद्यपि ये सब वैश्विक आर्थिक घटक भारत को भी कई तरह से प्रभावित करेंगे लेकिन बीते वर्ष 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था के दमखम के साथ आगे बढऩे के आधार 2023 में भी भारत की मु_ी में रहेंगे। साथ ही, 2023 में जी-20 की अध्यक्षता भारतीय अर्थव्यवस्था को 2023 में आगे बढ़ाने का एक और आधार देते हुए दिखाई देगी।
गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात प्रसारण में कहा कि इस समय भारत पांचवी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया है। 2022 में देश में 220 करोड़ से अधिक कोरोना की खुराक दी गई। अब 2023 में जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए गर्व की बात है, और नये वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था के आगे बढऩे की नई संभावनाएं उभर कर दिखाई दे रही हैं। वस्तुत: बीते वर्ष 2022 ने उद्योग-कारोबार और सर्विस के लिए दमदार वापसी की जमीन तैयार कर दी है। बीते वर्ष 2022 में लगभग प्रति माह बाजारों में उपभोक्ता मांग में तेजी, उद्योग-कारोबार गतिविधियों में बेहतरी के अनुमान से अच्छे रोजकोषीय नतीजे के कारण गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कलेक्शन में वृद्धि हुई।
दिसम्बर, 2022 में 1.49 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन हुआ। दिसम्बर महीने में जीएसटी कलेक्शन पिछले वर्ष दिसम्बर, 2021 की तुलना में 15 फीसदी अधिक है। 2023 में जीएसटी कलेक्शन बढऩे की संभावना होगी। 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत और अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपये में किए जाने संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय कार्यान्वित होते हुए दिखाई देगा। आरबीआई के द्वारा भारत और अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपये में किए जाने संबंधी निर्णय के बाद इस समय डॉलर संकट का सामना कर रहे रूस, इंडोनेशिया, श्रीलंका, ईरान, एशिया और अफ्रीका के साथ विदेशी व्यापार के लिए डॉलर की बजाय रुपये में भुगतान को बढ़ावा देने की नई संभावनाएं 2023 में सामने खड़ी हुई दिखाई दे रही हैं।
उल्लेखनीय है कि एक नवम्बर, 2022 से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश में डिजिटल रुपये के नये दौर की जो प्रायोगिक तौर शुरूआत की है, वह नये वर्ष में विस्तारित होते हुए दिखाई देगी। 2023 में भारत मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के जरिए विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई देगा। 2022 में एक मई से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ एवं 29 दिसम्बर से ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए लागू हो चुके हैं। 2023 निवेश के लिहाज से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के मुकाबले भारत में इक्विटी और डेट, दोनों ही मामलों में बेहतर परिणाम संभावित होंगे।
2022 में वैश्विक सुस्ती के बीच भी भारत के शेयर बाजार ने अच्छे परिणाम दिए हैं, और 5 जनवरी, 2023 को सेंसेक्स 60353 के आसपास केंद्रित होते हुए दिखाई दिया। भारत का शेयर बाजार 2023 में और ऊंचाई पर पहुंचते हुए दिखाई देगा। निस्संदेह 2023 में देश कृषि क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ेगा। फसल वर्ष 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31.57 करोड़ टन हुआ है। फसल वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड फसल के अनुमान प्रस्तुत हुए हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक जिस तरह अप्रैल से अक्टूबर, 2022 के सात महीनों में कृषि और संबंद्ध वस्तुओं का निर्यात करीब 12 फीसदी बढक़र 30 अरब डॉलर हो गया है, उसमें 2023 में और अधिक तेजी से वृद्धि होगी। चूंकि 2023 में भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता होगी, इससे भी देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
निश्चित रूप से 2023 में वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत द्वारा आर्थिक उम्मीदों को मु_ी में लेने के लिए कई अहम बातों पर ध्यान देना होगा। कोरोना की नई चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा कोरोना से बचाव का महाअभियान चलाया जाना होगा और बूस्टर खुराक के लिए निशुल्क अभियान दोबारा शुरू किया जाना होगा। महंगाई को नियंत्रित रखना होगा। निर्यात बढ़ाने के साथ गैर-जरूरी आयात में कमी लाकर व्यापार घाटा कम करना होगा। साथ ही, भारत के आर्थिक रणनीतिकारों को प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर रक्षात्मक रणनीति बनाने के लिए तैयार रहना होगा।
हम उम्मीद करें कि नये वर्ष 2023 में जी-20 की अध्यक्षता के बीच ऐसे रणनीतिक प्रयत्न किए जाएंगे, जिनसे चीन प्लस वन की जरूरत के मद्देनजर भारत दुनिया के नये आपूर्ति केंद्र, मैन्युफैक्चरिंग हब, अधिक विदेशी निवेश और अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ सकेगा। उम्मीद करें कि नये वर्ष 2023 में भारत आर्थिक एवं वित्तीय चुनौतियों के बीच विकास की डगर पर आगे बढ़ेगा और दुनिया के आर्थिक एवं वित्तीय संगठनों के अनुमानों के मुताबिक 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच भी 6 फीसदी से अधिक विकास दर के साथ दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई देगी।