प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: 19 अप्रैल को बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता, भाबेश चंद्र रॉय (58 वर्ष), की अपहरण के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई। रॉय बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष और स्थानीय हिंदू समुदाय के सम्मानित नेता थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुवार (18 अप्रैल 2025) की शाम करीब 4:30 बजे रॉय को एक फोन कॉल आया, जिसके बाद चार लोग दो मोटरसाइकिलों पर उनके घर पहुंचे।
उन्होंने रॉय को जबरन अगवा कर नरबारी गांव ले गए, जहां उन्हें बेरहमी से पीटा गया। घायल अवस्था में रॉय को घर वापस छोड़ा गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि रॉय की हत्या धर्म परिवर्तन से इनकार करने के कारण जमात-ए-इस्लामी के आतंकवादियों द्वारा की गई।
भारत की हत्या पर दी प्रतिक्रिया !
भारत सरकार ने इस हत्या पर कड़ी नाराजगी जताते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी याद दिलाई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 19 अप्रैल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक बयान में कहा “हमने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता श्री भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या को व्यथित रूप से देखा है। यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न का अनुसरण करती है, जबकि पिछली ऐसी घटनाओं के अपराधी दंड से मुक्त होकर खुलेआम घूमते हैं। हम इस घटना की निंदा करते हैं और एक बार फिर अंतरिम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह बिना कोई बहाना बनाए या भेदभाव किए, हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी निभाए।”
We have noted with distress the abduction and brutal killing of Shri Bhabesh Chandra Roy, a Hindu minority leader in Bangladesh.
This killing follows a pattern of systematic persecution of Hindu minorities under the interim government even as the perpetrators of previous such…— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) April 19, 2025
भारत ने इस घटना को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, पर बढ़ते हमलों का हिस्सा बताया और इसे “चिंताजनक पैटर्न” का हिस्सा करार दिया। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि बांग्लादेश को दूसरों की आलोचना करने के बजाय अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति ?
बांग्लादेश में पिछले कुछ समय से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन और उनके देश छोड़ने के बाद से धार्मिक कट्टरता और अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हुए हैं। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अनुसार, 4 से 20 अगस्त 2024 के बीच 2,010 हमले दर्ज किए गए, जिनमें 69 मंदिरों पर हमले शामिल थे।
हाल की अन्य घटनाओं में !
नवंबर 2024 में इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और हिंदू संगठनों पर कार्रवाई। चटगांव में वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या के बाद हिंदू समुदाय के खिलाफ सामूहिक गिरफ्तारियां। ये घटनाएं बांग्लादेश में हिंदुओं के बीच डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ा रही हैं।
भारत में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं ?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हत्या की निंदा करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार मानवाधिकारों का उल्लंघन है और यह भारत-बांग्लादेश संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने भारत और बांग्लादेश के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों की आवश्यकता पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की निंदा की थी और केंद्र सरकार के साथ खड़े होने की बात कही थी। कोलकाता में बांग्लादेशी मरीजों के इलाज से इनकार और हिंदू समर्थन में रैलियां निकाली गईं।
बांग्लादेश सरकार का रुख ?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का दावा किया है। यूनुस ने अगस्त 2024 में ढाकेश्वरी मंदिर का दौरा कर अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का आश्वासन दिया था। हालांकि, भारत का कहना है कि ये दावे खोखले हैं, क्योंकि अपराधियों को सजा नहीं मिल रही और हिंसा जारी है। अमेरिका ने बांग्लादेश में बढ़ती अशांति, अपराध, और आतंकवाद के जोखिम के कारण अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। विशेष रूप से चटगांव हिल ट्रैक्ट्स क्षेत्र के लिए लेवल 4 की यात्रा चेतावनी जारी की गई है।
बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा !
भारत का कड़ा रुख बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा और दोनों देशों के रिश्तों पर असर को दर्शाता है। शेख हसीना के जाने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में गिरावट आई है, और अल्पसंख्यकों पर हमले इसे और बिगाड़ रहे हैं। अंतरिम सरकार पर कट्टरपंथी ताकतों को नियंत्रित करने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव है। हालांकि, पुलिस ने रॉय की हत्या के मामले में जांच शुरू की है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पश्चिम बंगाल, जो बांग्लादेश से सीमा साझा करता है, में इस घटना का असर देखा जा रहा है। कोलकाता में विरोध प्रदर्शन और बांग्लादेशी मरीजों के इलाज पर प्रतिबंध इसका उदाहरण हैं।
हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल !
भाबेश चंद्र रॉय की हत्या ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। भारत ने इस घटना को अल्पसंख्यकों के खिलाफ व्यवस्थित उत्पीड़न का हिस्सा बताते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की है। यह घटना न केवल बांग्लादेश में धार्मिक तनाव को उजागर करती है, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी असर डाल रही है। बांग्लादेश सरकार को इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा देकर अल्पसंख्यकों में विश्वास बहाल करने की जरूरत है।