स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता सैन्य तनाव, विशेष रूप से 13 जून 2025 से शुरू हुए तीव्र संघर्ष के बाद, मध्य-पूर्व में अस्थिरता का कारण बन रहा है। इस स्थिति का असर वहां रह रहे भारतीय समुदाय पर भी पड़ रहा है। भारत सरकार ने दोनों देशों में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। आइए विशेष विश्लेषण में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते है।
भारतीय समुदाय की स्थिति
इजरायल में लगभग 18,000 से 30,000 भारतीय नागरिक रहते हैं, जिनमें ज्यादातर प्रवासी श्रमिक, विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले, और कुछ पेशेवर शामिल हैं। हाल के हमलों के दौरान, खासकर 13 जून 2025 को ईरान द्वारा तेल अवीव और यरुशलम पर दागी गई बैलिस्टिक मिसाइलों के बाद, इजरायल में हाई अलर्ट जारी है। लाखों लोगों को बंकरों और राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इजरायल में रहने वाले भारतीयों को सतर्क रहने और स्थानीय अधिकारियों के सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जो कर्नाटक से ‘अर्बन गवर्नेंस’ पर अध्ययन के लिए इजरायल में था, हवाई अड्डों के बंद होने के कारण फंस गया था। विदेश मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की और बताया कि वे सुरक्षित हैं।
केरल सभा जैसे स्थानीय संगठन प्रवासी केरलवासियों की मदद कर रहे हैं। कई भारतीयों ने बताया कि वे इस तरह के हालात के आदी हो चुके हैं, और इजरायली अधिकारियों के सख्त मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) के कारण स्थिति नियंत्रण में है।
ईरान में कितने भारतीय !
ईरान में 5,000 से 10,000 भारतीय रहते हैं, जिनमें ज्यादातर छात्र (विशेष रूप से मेडिकल छात्र) और कुछ कारोबारी शामिल हैं। तेहरान में लगभग 1,500 कश्मीरी छात्र फंसे हुए हैं, जिनमें से कई मेडिकल छात्र हैं। उनके हॉस्टलों के पास मिसाइलें गिरीं, जिससे कुछ को मामूली चोटें आईं। छात्रों ने पानी, इंटरनेट, और भोजन की कमी की शिकायत की है और भारत सरकार से सुरक्षित निकासी की अपील की है।
भारतीय दूतावास ने ईरान में रहने वाले छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया है और उनकी सुरक्षा के लिए लगातार संपर्क में है। कुछ मामलों में, दूतावास ने छात्रों को ईरान के भीतर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। ईरान में केरल से बहुत कम लोग हैं, इसलिए वहां से संगठित सहायता की मांग कम रही है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया और एडवाइजरी !
भारतीय विदेश मटाल मंत्रालय ने 13 जून 2025 को एक बयान जारी कर दोनों देशों में रहने वाले भारतीयों को सतर्क रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने, और स्थानीय सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी।
ईरान और इजरायल में भारतीय दूतावास स्थानीय भारतीय समुदाय के साथ संपर्क में हैं। ईरान में दूतावास ने सोशल मीडिया के जरिए नागरिकों को नियमित अपडेट्स के लिए अपने आधिकारिक अकाउंट्स पर नजर रखने को कहा है।
दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध
17 जून 2025 को विदेश मंत्रालय ने 24×7 कंट्रोल रूम स्थापित किया, जिसके संपर्क नंबर हैं: 1800118797 (टोल-फ्री), +91-11-23012113, +91-11-23014104, +91-11-23017905, +91-9968291988। भारत ने दोनों देशों से तनाव बढ़ाने वाले कदमों से बचने और कूटनीति के जरिए शांति स्थापित करने की अपील की है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है और हरसंभव सहायता के लिए तैयार है।
निकासी की मांग
कुछ भारतीय, विशेष रूप से ईरान में फंसे छात्र, ने सरकार से सुरक्षित निकासी की मांग की है। हालांकि, अभी तक बड़े पैमाने पर निकासी की कोई योजना घोषित नहीं हुई है, लेकिन दूतावास वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रहा है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2024 में एक पोस्ट में भारत सरकार से दोनों देशों में फंसे भारतीयों को मिशन मोड में निकालने की अपील की थी, जो वर्तमान स्थिति में भी प्रासंगिक हो सकती है।
भारत पर पड़ेगा व्यापक प्रभाव
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85% तेल आयात करता है, जिसमें खाड़ी क्षेत्र की बड़ी भूमिका है। इजरायल-ईरान संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया है, जिससे भारत में व्यापार घाटा और महंगाई बढ़ने की आशंका है। ब्रेंट क्रूड की कीमत $74 प्रति बैरल के पार पहुंच गई है। भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ा है, जो 13 जून 2025 को 86.20 तक गिर गया, हालांकि RBI के हस्तक्षेप से यह 86.04 पर स्थिर हुआ।
खाड़ी क्षेत्र में 90 लाख भारतीय काम करते हैं, जो भारत के कुल रेमिटेंस का 40% हिस्सा भेजते हैं। क्षेत्र में अस्थिरता से यह आर्थिक योगदान प्रभावित हो सकता है। भारत ने परंपरागत रूप से इजरायल और ईरान दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखे हैं। हालांकि, हाल के घटनाक्रमों में भारत का रुख कुछ हद तक इजरायल की ओर झुका हुआ माना जा रहा है, खासकर पाकिस्तान पर भारत के हमले के दौरान इजरायल के समर्थन के बाद।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में गाजा युद्धविराम प्रस्तावों पर मतदान से दूरी बनाई, जिससे कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत की तटस्थता कमजोर हो रही है। खाड़ी क्षेत्र में भारत के महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार (जैसे यूएई और सऊदी अरब) हैं, और वहां अशांति भारत के व्यापार मार्गों, विशेष रूप से फारस की खाड़ी और लाल सागर के रास्ते, को प्रभावित कर सकती है।
वर्तमान स्थिति और सुरक्षा चुनौतियां !
इजरायल में ईरानी मिसाइल हमलों ने आयरन डोम जैसी रक्षा प्रणालियों को चुनौती दी है, जिससे नागरिक क्षेत्रों में नुकसान हुआ है। ईरान में इजरायली हमलों ने परमाणु और सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचाया है, जिससे वहां अस्थिरता बढ़ी है। यह भारतीय छात्रों और अन्य नागरिकों के लिए जोखिम बढ़ाता है। क्षेत्र में समुद्री डकैती और बंधक बनाने का खतरा भी बढ़ गया है, जो खाड़ी क्षेत्र में भारतीय प्रवासियों के लिए चिंता का विषय है।
ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों की स्थिति सबसे चिंताजनक है। मिसाइल हमलों के कारण उनके हॉस्टलों के आसपास खतरा बना हुआ है। भारत सरकार ने दूतावास के जरिए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन निकासी की प्रक्रिया जटिल है क्योंकि हवाई अड्डे अस्थायी रूप से बंद हैं।
भारत पर आर्थिक और भू-राजनीतिक दबाव !
ईरान और इजरायल के बीच चल रहा संघर्ष भारतीय समुदाय के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा कर रहा है। इजरायल में भारतीय प्रवासी स्थानीय सुरक्षा प्रणालियों के कारण अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं, लेकिन ईरान में मेडिकल छात्रों की स्थिति चिंताजनक है। भारत सरकार ने सतर्कता और कूटनीतिक प्रयासों के जरिए स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की है, लेकिन क्षेत्र में बढ़ते तनाव और तेल की कीमतों में उछाल से भारत पर आर्थिक और भू-राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है। भारतीय नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे दूतावास के संपर्क में रहें और अनावश्यक जोखिम से बचें।