Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

परिवर्तनशील विश्व में भारत का बढ़ता वर्चस्व

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
November 22, 2022
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

शिवेश प्रताप। भारत राष्ट्र की बीते 75 वर्षों की यात्रा का सिंहावलोकन करें तो हम पाते हैं कि यह यात्रा आसान नहीं रही है। एक लंबी इस्लामी-ब्रिटिश परतंत्रता के बाद देश जब स्वतंत्र हुआ तो दुनिया ने इसके विफल होने की भविष्यवाणी की थी। भारत ने अपनी जिजीविषा एवं संघर्ष के बल पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य न होते हुए भी आज विश्व के अधिकांश स्थायी एवं अस्थायी सदस्य भारत के विचारों या पक्ष को जानने के लिए लालायित रहते हैं। यदि हम अपने 75 वर्षों की विदेश नीति पर विचार करें तो पाते हैं कि दुनिया के अन्य देशों के द्वारा खड़ी की गई समस्याएं वास्तव में भारत के लिए मुख्य बाधाएं नहीं थीं, अपितु भारत के द्वारा स्वयं से बनाई गई कई वैचारिक हठधर्मिताएं थीं जिस कारण भारत अपने महत्व के साथ विश्व मंच पर नहीं आ पा रहा था।

बीते माह नौ अक्टूबर को भारतीय विदेश सेवा दिवस के अवसर पर विदेश मंत्री डा. जयशंकर ने कहा, ‘आने वाले समय में भारतीय राजनयिक भारत की वैश्विक पहचान एवं हितों को और अधिक मजबूती से विश्व मंच पर रखते हुए दिखेंगे। ऐसे भारतीय राजनयिक वर्ष 2047 तक भारत के बड़े लक्ष्यों की पूर्ति करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।’ इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत ने कितनी तेजी से अपनी ‘साफ्ट स्टेट’ की पहचान को छोड़कर एक मजबूत एवं स्पष्ट हितों वाले देश के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर ली है। भारत की मुखर विदेश नीति ने सबका ध्यान आकर्षित किया है।

इन्हें भी पढ़े

amit shah

अमित शाह ने नक्सलियों को दी आखिरी चेतावनी, बोले-बात करने को कुछ नहीं, हथियार डालने ही होंगे’

October 4, 2025

क्या होता है 17C फार्म, मतगणना में इतना जरूरी क्यों?

October 4, 2025
AI

क्यों कॉलेज जाने वाले हर स्टूडेंट के लिए जरूरी है AI?

October 3, 2025
PM Modi

पीएम मोदी का युवाओं को बड़ा तोहफा, 62,000 करोड़ से अधिक की पहलों की करेंगे शुरुआत

October 3, 2025
Load More

भारतीय विदेश नीति
भारत की विदेश नीति का पहला चरण 1947 में प्रारंभ होकर 1962 तक चलता है। यह आशापूर्ण गुटनिरपेक्षता का दौर रहा। वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध के साथ ही गुटनिरपेक्षता के इस आशावादी सिद्धांत का एक निराशाजनक अंत हुआ। वर्ष 1962 से 1971 तक भारत की विदेश नीति का दूसरा दौर चला जिसे हम यथार्थवाद एवं सुधारों का दौर कह सकते हैं। वर्ष 1964 में भारत ने अमेरिका के साथ रक्षा समझौता किया।

वर्ष 1962 के चीन आक्रमण ने भारत की राजनीति को देश की सुरक्षा राजनीति एवं आर्थिक संसाधनों पर विशेष रूप से बल देने वाली नीतियों की तरफ मोड़ा। इसके बाद तीसरा दौर प्रारंभ होता है 1971 से जो 20 वर्ष के लंबे कालखंड यानी 1991 तक चला। इस दौर में भारत का प्रारंभिक ध्यान अपने क्षेत्रीय संसाधनों को सहेजने पर था। इसका प्रारंभ पाकिस्तान के साथ युद्ध एवं बांग्लादेश के निर्माण के साथ हुआ, परंतु दुर्भाग्य से इसका अंत श्रीलंका में भारतीय शांति सेना की कार्रवाई के एक दुखद अध्याय के साथ हुआ। हमारी विदेश नीति का चौथा दौर 1991 से लेकर 1999 तक चला जिसमें रणनीतिक एवं कूटनीतिक नीतियों के साथ-साथ देश को आगे बढ़ने के लिए आर्थिक नीतियों का भी समावेशन करना पड़ा।

यह वह दौर था जब विश्व शीत युद्ध खत्म होने के बाद पूरी तरह से एक ध्रुवीय या अमेरिका आधारित बन गया था। इस दौर में भारत ने आर्थिक एवं कूटनीतिक क्षेत्रों में स्वयं को बहुत तेजी से स्थापित किया। अमेरिका के साथ अपने संबंधों को सुधारने के क्रम में बड़ा खतरा मोल लेते हुए 1998 में भारत ने अपना दूसरा नाभिकीय परीक्षण किया। नाभिकीय परीक्षण एवं कारगिल में पाकिस्तान को धूल चटाने के कारण वैश्विक स्तर पर भारत का महत्व तो बढ़ा ही, भारत को व्यावहारिक तौर पर विदेश नीति के परिवर्तन का लाभ भी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा। इसके बाद पांचवां दौर वर्ष 2000 से 2013 तक चला। इस दौर में भारत अमेरिका एवं चीन के बीच में शक्तियों के संतुलन का एक अहम किरदार बनकर उभरा। इस दौर में भारत की प्रासंगिकता पूरे विश्व में तेजी से बढ़ी।

वर्तमान स्वर्णिम दौर
भारतीय विदेश नीति में अभूतपूर्व परिवर्तन तब आना प्रारंभ हुआ जब छठा दौर प्रारंभ हुआ एवं केंद्र में 2014 में भाजपा की सरकार बनी। यह दौर ऊर्जावान कूटनीति एवं शक्तिशाली निर्णयों का है। डा. जयशंकर के अनुसार, यह स्वर्णिम दौर भारत के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रारंभिक दौर है। वर्तमान में भारत की विदेश नीति पांच प्रमुख बिंदुओं पर कार्य कर रही है। इसमें पहला मुख्य बिंदु है यथार्थवाद। वर्तमान विदेश नीति पूरी तरह से यथार्थवादी है, जिसका उदाहरण हमें यूक्रेन संकट के दौरान रूस के साथ कच्चे तेल की खरीद जैसे निर्णयों में देखने को मिलता है। इसका दूसरा प्रमुख बिंदु है अर्थव्यवस्था संचालित कूटनीति। इस कारण वर्तमान में भारत की विदेश नीति आर्थिक लाभ के द्वारा ही सर्वाधिक प्रभावित हो रही है।

स्वतंत्रता के पूर्व और उसके बाद के दौर में हुए अनेक वैश्विक आर्थिक बदलावों से सबक लेते हुए भारत ने संरक्षणवादी बाजार पद्धति को त्याग कर समावेशी वैश्वीकरण को स्वीकार किया है। इस नई विदेश नीति का तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु है बहुध्रुवीय वैश्विक क्रम को स्वीकार करना। भारतीय विदेश नीति की सफलता को हम इस रूप में देख सकते हैं कि उसने विरोधी समूहों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए एक वैश्विक साम्य स्थापित किया है, जैसे शंघाई कारपोरेशन एवं क्वाड आदि समूहों में प्रभावशाली उपस्थिति। इसका चौथा बिंदु उचित जोखिम है।

वैश्विक विकास की राह
भारत अपनी पहचान हाथी की जगह अब शेर के रूप में बना रहा है। इतिहास का विमर्श करने पर यह स्वयं सिद्ध हो जाता है कि कम जोखिम वाली विदेश नीतियों ने कम लाभ दिया है। ऐसे में जब भारत को वैश्विक विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ना है, तो जोखिम भरे कदम उठाना ही होगा। पांचवां बिंदु है वैश्विक परिस्थितियों के अनुसार निर्णय। वैश्वीकरण के परिदृश्य में एक अच्छी विदेश नीति उसे मानी जाती है जिसमें प्रतिस्पर्धाओं, जोखिमों एवं प्रतिफल की वैश्विक स्तर पर अच्छी समझ हो। किसी भी देश द्वारा घरेलू स्तर पर किसी विदेश नीति को गढ़ना आसान हो सकता है, परंतु वैश्विक समझ के अभाव में बनाई गई नीतियां उस देश के लिए खतरा बन सकती हैं।

वर्ष 1947 में कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना, शीत युद्ध के दौरान चीन एवं रूस के बीच की दूरियों को सही समय पर भांपने में गलती करना, अक्साई चिन एवं अरुणाचल के मुद्दे पर चीन के इरादों को नहीं समझ पाना, अमेरिका एवं चीन के लिए पाकिस्तान की जरूरत को गंभीरता से नहीं लेना, भारतीय विदेश नीति की वैश्विक परिपक्वता को दर्शाता है। भारत की विदेश नीति के एक लंबे कालखंड को हिचकिचाहट का वह दौर कह सकते हैं जिसमें भारत अपनी ऊर्जा एवं संभावनाओं को बहुत कमतर रखते हुए विश्व मंच पर उसे सही रूप में रखने में असमर्थ रहा था। ऐसी गलतियों के कारण ही आजादी के बाद वैश्विक पटल पर भारत के साथ एक पक्षपाती एवं अवास्तविक रवैया कायम रहा। वर्ष 2014 के बाद से इस परिस्थिति में व्यापक परिवर्तन दिख रहा है।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

एचएसएल द्वारा निर्मित पहला युद्धपोत का पहला समुद्री परीक्षण रहा सफल

May 28, 2024

उपचुनाव में चिराग के शानदार प्रदर्शन से बढ़ी उम्मीद

November 4, 2021
Pahal Times

टाइम्स दिनभर: जनता ने सरकार की नीतियों और नीयत पर भरोसा जताया है : पीएम नरेंद्र मोदी

June 24, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • 6 अक्टूबर से 3 राशियों पर होगी अमृत वर्षा, शरद पूर्णिमा पर चंद्र करेंगे गोचर
  • आखिर क्यों यूजर हर 2-3 साल में फोन बदलने की सोचते हैं?
  • दिल्ली पुलिस की नई पहल! पढ़ाई छोड़ चुके बच्चे लौटे स्कूल

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.