स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए K-6 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल के समुद्री परीक्षण की तैयारी कर रहा है। यह मिसाइल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही है और इसे भारत की अगली पीढ़ी की S-5 क्लास परमाणु पनडुब्बियों में तैनात करने की योजना है। K-6 मिसाइल अपनी अत्याधुनिक तकनीक, हाइपरसोनिक गति, और लंबी रेंज के कारण ब्रह्मोस मिसाइल से भी अधिक घातक मानी जा रही है। आइए इस मिसाइल की विशेषताओं और इसके महत्व की पूरी जानकारी एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
K-6 मिसाइल की विशेषताएं !
हाइपरसोनिक गति K-6 मिसाइल मैक 7.5 की गति (लगभग 9,200 किमी/घंटा) तक पहुंच सकती है, जो ध्वनि की गति से साढ़े सात गुना अधिक है। इस गति के कारण यह मिसाइल अधिकांश एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स को चकमा दे सकती है, जिससे दुश्मन को प्रतिक्रिया करने का समय नहीं मिलता।
इसकी लंबी रेंज K-6 की ऑपरेशनल रेंज 8,000 किलोमीटर है, जो इसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की श्रेणी में लाती है। यह भारतीय जलक्षेत्र से पूरे एशिया, यूरोप, और अफ्रीका के कुछ हिस्सों को कवर कर सकती है, जिससे भारत की रणनीतिक ताकत में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।
इसमें MIRV तकनीक !
K-6 में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक है, जो इसे एक साथ कई लक्ष्यों पर सटीक हमला करने में सक्षम बनाती है। यह तकनीक इसे एक ही लॉन्च से कई शहरों या सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की क्षमता प्रदान करती है।
मिसाइल की लंबाई 12 मीटर से अधिक और व्यास 2 मीटर से अधिक है। यह तीन-चरण, ठोस-ईंधन मिसाइल है, जो इसे विश्वसनीय और तेज बनाती है। यह परमाणु-सक्षम है, जिससे यह रणनीतिक युद्ध में भारत की दूसरी-स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाएगी।
K-6 मिसाइल का विकास और परीक्षण
K-6 एक पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसे अरिहंत-क्लास और S-5 क्लास पनडुब्बियों से दागा जा सकता है। भविष्य में इसका जमीन से लॉन्च होने वाला संस्करण भी विकसित किया जा सकता है। K-6 का विकास हैदराबाद में DRDO की उन्नत नौसेना प्रणाली प्रयोगशाला में हो रहा है।भारतीय नौसेना जल्द ही समुद्री परीक्षण (सी-ट्रायल्स) करने जा रही है, जिसमें S-5 क्लास पनडुब्बियों का उपयोग होगा। यह परीक्षण भारत को उन चुनिंदा देशों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और यूनाइटेड किंगडम) की सूची में शामिल करेगा, जिनके पास उन्नत हाइपरसोनिक और MIRV-सक्षम मिसाइलें हैं।
K-6 बनाम ब्रह्मोस में तुलना
K-6 की गति, रेंज, और MIRV तकनीक इसे ब्रह्मोस से कहीं अधिक शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। यह मिसाइल विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन जैसे संभावित खतरों के खिलाफ भारत की दूसरी-स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करेगी। ब्रह्मोस अपनी सटीकता और बहु-प्लेटफॉर्म लॉन्च क्षमता के लिए जानी जाती है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में अपनी प्रभावशीलता साबित की है।
शक्तिशाली रणनीतिक हथियार !
K-6 भारत की परमाणु त्रय (Nuclear Triad) को पूर्ण करेगी, जिसमें जमीन, हवा, और समुद्र से परमाणु हमले की क्षमता शामिल है। यह पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली मिसाइल होने के कारण भारत को समुद्र में गुप्त और शक्तिशाली रणनीतिक हथियार प्रदान करेगी।
K-6 की 8,000 किमी रेंज भारत को चीन और पाकिस्तान के प्रमुख शहरों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की क्षमता देगी। यह मिसाइल भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) से लॉन्च होने पर चीन, रूस, और पाकिस्तान जैसे देशों की तुलना में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेगी। K-6 की हाइपरसोनिक गति और रडार से बचने की क्षमता इसे लगभग अजेय बनाती है, जिससे भारत की रक्षा प्रणाली को अभेद्य बनाने में मदद मिलेगी। K-6 के सफल विकास और तैनाती से भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जो हाइपरसोनिक ICBM तकनीक रखते हैं, जिससे वैश्विक मंच पर उसका कद बढ़ेगा।
विकास की चुनौतियां
हाइपरसोनिक और MIRV तकनीक अत्यंत जटिल है और K-6 का विकास और परीक्षण समय और संसाधनों की मांग करता है। DRDO की विशेषज्ञता और अनुभव इस प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं। समुद्री परीक्षणों के बाद, K-6 का जमीन से लॉन्च होने वाला संस्करण विकसित किया जा सकता है, जिससे इसकी उपयोगिता और बढ़ेगी।
K-6 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल भारत की रक्षा और रणनीतिक ताकत में एक क्रांतिकारी कदम है। यह मिसाइल अपनी हाइपरसोनिक गति (9,200 किमी/घंटा), 8,000 किमी की रेंज और MIRV तकनीक के साथ ब्रह्मोस से कहीं अधिक शक्तिशाली है। इसके समुद्री परीक्षण भारत की परमाणु त्रय और दूसरी-स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करेंगे, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति और सुदृढ़ होगी। यह मिसाइल पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के लिए एक मजबूत संदेश है कि भारत किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।