नई दिल्ली। राधा रानी के परम भक्त श्री प्रेमानंद जी महाराज भारत के महान संतों में से एक हैं। उनकी बातें अक्सर सोशल मीडिया पर भी वायरल होती रहती हैं। बिल्ली रास्ता काट दे तो क्या करें, इसके बारे में भी प्रेमानंद जी महाराज ने बताया है। महाराज जी कहते हैं कि बिल्ली तो भगवान की जीव है, वो आपका रास्ता काटने थोड़े ही निकली है, वो तो अपना पेट पालने जा रही है, आपक काम रोकने नहीं जा रही है।
बिल्ली नहीं, हमारा डर ही सबसे बड़ा अपशगुन
प्रेमानंद जी महाराज बहुत प्यार से समझाते हुए कहते हैं कि जिस पल आपने सोचा कि बिल्ली ने रास्ता काट दिया, अब काम नहीं बनेगा, उसी पल आपने अपना काम अपने हाथों से रोक दिया। बेचारी बिल्ली तो बस अपने बच्चों के लिए दूध लेने जा रही थी, आपने उसे अपशगुन बना दिया। शास्त्रों में कहीं नहीं लिखा कि बिल्ली रास्ता काटने से अशुभ होता है। ये सिर्फ हमारा मन है, जो हर छोटी-छोटी बात में डर जाता है, और डर ही सबसे बड़ा अपशगुन है।
शुभ-अशुभ हमारे कर्म और भक्ति से तय होता है
महाराज जी कहते हैं कि जिसके साथ राधा-कृष्ण का नाम है, उसके लिए तो पूरी सृष्टि शुभ है। सांप भी काटे तो अमृत बन जाए, बिल्ली क्या चीज है! और जिसके साथ नाम नहीं है, उसका तो खुद का मन ही हर पल बिल्ली बनकर रास्ता काटता रहता है। शुभ-अशुभ कोई जानवर तय नहीं करता, कोई ग्रह-नक्षत्र तय नहीं करता है। शुभ-अशुभ तो हमारे कर्म तय करते हैं, हमारी श्रद्धा तय करती है, हमारा राधा-कृष्ण पर विश्वास तय करता है।
मन में डर हो, तो सारी दुनिया अशुभ
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जब तक मन में डर है, तब तक उल्लू भी बोले तो डर लगता है, छिपकली भी गिरे तो डर लगता है, बिल्ली भी निकले तो डर लगता है। और जब मन में राधा-कृष्ण बस जाएं, तो सांप भी डस ले तो लगता है – प्रभु ने दर्शन दिए। डर का नाम जप छोड़ दीजिए, राधा का नाम जप शुरू कर दें। फिर देखिए, बिल्ली रास्ता काटे तो रास्ता खुद-ब-खुद बन जाता है और काम नहीं बनता तो भी लगता है, राधा-कृष्ण ने कुछ बेहतर सोच रखा है।
बिल्ली दिखे तो क्या करें?
महाराज जी के अनुसार, अगली बार जब बिल्ली रास्ता काटे तो डरना नहीं चाहिए। हंसकर बोलिए राधे-राधे बिल्ली जी, तुम भी अपना काम करो, हम भी अपना काम कर रहे हैं, दोनों का काम बन जाए। फिर 11 बार या 108 बार ‘राधे-राधे’ बोलकर आगे बढ़ जाइए। जिसके साथ राधा-कृष्ण हैं, उसके लिए तो पूरी कायनात शुभ ही शुभ है। बिल्ली भी राधा-कृष्ण की जीव है, वो भी राधा-कृष्ण के नाम से ही चलती है।
डर के आगे जीत है, लेकिन डर के पीछे राधा-कृष्ण हैं। जो डर को छोड़कर राधा-कृष्ण को पकड़ लेता है, उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है।







