प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: 13 जून को इजरायल ने ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र, सैन्य ठिकानों और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिसे “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” नाम दिया गया। ईरान को 2-3 दिन पहले खुफिया सूत्रों और रूस के माध्यम से चेतावनी मिली थी कि इजरायल हमला कर सकता है, फिर भी वह इसे रोकने में नाकाम रहा। इसकी वजह से ईरान की रक्षा और परमाणु क्षमता को गहरा झटका लगा, जिसमें इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर-इन-चीफ जनरल हुसैन सलामी और चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी सहित कई शीर्ष सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
चेतावनी के बावजूद ईरान की नाकामी
ईरान की वायु रक्षा प्रणालियां, जैसे एस-300, बवर-373, और खोरदाद-15, इजरायल के स्टील्थ F-35 फाइटर जेट्स और साइबर हमलों के सामने अप्रभावी साबित हुईं। इन प्रणालियों का युद्ध जैसे हालात में परीक्षण नहीं हुआ था, और पुराने रडार सिस्टम आधुनिक स्टील्थ तकनीक को ट्रैक करने में असमर्थ रहे।
इजरायल ने बंकर-बस्टर बमों का इस्तेमाल किया, जो ईरान के भूमिगत परमाणु संयंत्रों को नष्ट करने में सक्षम थे। नतांज और फोर्दो जैसे संयंत्रों को भारी नुकसान हुआ।
खुफिया विफलता और मोसाद की जानकारी
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने हमले से पहले ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों की सटीक जानकारी जुटाई। मोसाद ने पहले भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज चुराए थे, जिससे इजरायल को ईरान की कमजोरियों का सटीक आकलन करने में मदद मिली। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को अपनी सरकार और सैन्य ढांचे में इजरायली घुसपैठ की चिंता थी, जिसने उसकी रणनीतिक तैयारी को कमजोर किया।
चेतावनी के बावजूद, ईरान ने इजरायल के हमले के पैमाने और समय का गलत आकलन किया। हमले सुबह के समय किए गए, जब रक्षा प्रणाली के ऑपरेटर कम सतर्क थे। ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों को तेज करने की घोषणा की थी, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने चेतावनी दी थी। इसने इजरायल को प्री-एम्पटिव (पूर्व-निवारक) हमले का आधार दिया।
इजरायल की रणनीतिक श्रेष्ठता
इजरायल ने 200 फाइटर जेट्स, ड्रोन, और सटीक मिसाइलों के साथ हमला किया, जो कई चरणों में तबریز, केरमानशाह, और तेहरान के सैन्य व परमाणु ठिकानों पर केंद्रित था। इजरायल ने अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों से खुफिया समर्थन लिया, जिससे उसकी रणनीति और प्रभावी हुई। हालांकि, अमेरिका ने स्पष्ट किया कि वह इस ऑपरेशन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं था।
हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य नेतृत्व और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत ने तेहरान की रक्षा और जवाबी कार्रवाई की क्षमता को कमजोर किया। ईरान की संसद ने हमले के बाद आपात सत्र बुलाया, लेकिन जवाबी कार्रवाई की रणनीति पर असमंजस बना रहा।
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजरायल पर 100 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं, लेकिन इजरायल के आयरन डोम और सहयोगी देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस) की मदद से अधिकांश हमले नाकाम रहे। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कठोर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी, और सुप्रीम लीडर खामेनेई ने इजरायल को “खून से सने हाथों” का परिणाम भुगतने की धमकी दी। ईरान ने होर्मूज की खाड़ी को बंद करने की धमकी दी, जिससे तेल की कीमतों में 6% से अधिक की उछाल आई, ब्रेंट क्रूड 73.96 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।
परमाणु हथियार बनाने की क्षमता
इजरायल ने इस हमले को ईरान के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को रोकने के लिए जरूरी बताया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “बहुत सफल” और दीर्घकालिक अभियान का हिस्सा बताया।
Moments ago, Israel launched Operation “Rising Lion”, a targeted military operation to roll back the Iranian threat to Israel's very survival.
This operation will continue for as many days as it takes to remove this threat.
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Statement by Prime Minister Benjamin Netanyahu: pic.twitter.com/XgUTy90g1S
— Benjamin Netanyahu – בנימין נתניהו (@netanyahu) June 13, 2025
अमेरिका ने हमले से पहले जानकारी होने की बात स्वीकारी, लेकिन प्रत्यक्ष भागीदारी से इनकार किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कूटनीतिक समाधान की उम्मीद जताई, लेकिन मध्य-पूर्व से अमेरिकी नागरिकों को वापस बुलाने के निर्देश दिए।
Statement from Secretary of State Marco Rubio
“Tonight, Israel took unilateral action against Iran. We are not involved in strikes against Iran and our top priority is protecting American forces in the region. Israel advised us that they believe this action was necessary for its… pic.twitter.com/5FFesh3dkF
— The White House (@WhiteHouse) June 13, 2025
सऊदी अरब ने हमले को ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया, जबकि भारत ने दोनों पक्षों से तनाव कम करने की अपील की।
#Statement | The Kingdom of Saudi Arabia expresses its strong condemnation and denunciation of the blatant Israeli aggressions against the brotherly Islamic Republic of Iran, which undermine its sovereignty and security and constitute a clear violation of international laws and… pic.twitter.com/OYuWXwiE5y
— Foreign Ministry 🇸🇦 (@KSAmofaEN) June 13, 2025
तेल और सोने की कीमतों पर प्रभाव
हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया, और सोने की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गईं, क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश की ओर बढ़े।
ईरान की नाकामी पुरानी तकनीक, खुफिया विफलता, और इजरायल की सटीक रणनीति का परिणाम थी। चेतावनी के बावजूद, ईरान की रक्षा प्रणाली और नेतृत्व की कमजोरियां उजागर हुईं। यह हमला मध्य-पूर्व में तनाव को और बढ़ा सकता है, और ईरान की जवाबी कार्रवाई की संभावना बनी हुई है। हालांकि, इजरायल की सैन्य और खुफिया श्रेष्ठता ने इस संघर्ष में उसे बढ़त दी है।