स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तुरंत स्वीकार कर लिया। इस अचानक कदम ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। धनखड़ का कार्यकाल अगस्त 2027 तक था, लेकिन दो साल पहले उनके इस्तीफे ने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए, इस घटनाक्रम के हर पहलू को विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
इस्तीफे की वजह..स्वास्थ्य या सियासी दबाव ?
धनखड़ ने अपने इस्तीफे के पत्र में लिखा कि वे स्वास्थ्य कारणों से संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत उपराष्ट्रपति पद से तुरंत इस्तीफा दे रहे हैं। हाल ही में उनकी दिल्ली के AIIMS में एंजियोप्लास्टी हुई थी और मार्च 2025 में वे कुछ दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे थे, लेकिन इस कारण पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं।
धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा “श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”
Shri Jagdeep Dhankhar Ji has got many opportunities to serve our country in various capacities, including as the Vice President of India. Wishing him good health.
श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 22, 2025
क्या बोले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे “अप्रत्याशित” बताया और कहा कि उसी दिन शाम 5 बजे तक वे धनखड़ के साथ थे और उनकी सेहत ठीक लग रही थी। रमेश ने संकेत दिया कि मामला सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं हो सकता।
कल दोपहर 12:30 बजे श्री जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत ज़्यादातर सदस्य मौजूद थे। थोड़ी देर की चर्चा के बाद तय हुआ कि समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे फिर से होगी।…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 22, 2025
निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने इसे “बीजेपी की साजिश” करार दिया। उन्होंने कहा कि धनखड़ की निष्पक्षता कुछ बीजेपी नेताओं को पसंद नहीं आई, खासकर जेपी नड्डा के उस बयान के बाद जिसमें उन्होंने कहा था कि “केवल उनके शब्द ही रिकॉर्ड होंगे।”
क्या उपराष्ट्रपति सह सभापति
राज्यसभा का नड्डा जी ने अपमान कियाक्या इससे आहत होकर उन्होंने इस्तीफ़ा दिया?
जो भी हो,पर आसन को इस तरह से
डिक्टेट करने वाले नड्डा होते कौन हैं?
आसन का अपमान करने के लिए उन्हें
पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए।— Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) July 21, 2025
विवादों से भरा सियासी सफर
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक करियर हमेशा चर्चा और विवादों का केंद्र रहा है। उनके सफर की कुछ प्रमुख बातें शुरुआती करियर और पार्टी बदलाव..धनखड़ ने 1989 में जनता दल के टिकट पर राजस्थान के झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीता और चंद्रशेखर सरकार में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रहे। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए और फिर 2003 में बीजेपी में आए। 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया, जहां उनका ममता बनर्जी सरकार के साथ बार-बार टकराव हुआ।
उपराष्ट्रपति के रूप में विवाद
धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनके कार्यकाल में विपक्ष के साथ कई बार तनाव देखा गया। विपक्ष ने उन पर राज्यसभा में पक्षपात का आरोप लगाया। दिसंबर 2024 में विपक्ष ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया, जो उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया।
अप्रैल 2025 में धनखड़ की सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी, जिसमें उन्होंने कहा कि “अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं,” ने बड़ा विवाद खड़ा किया। धनखड़ ने सीबीआई और ईडी के समर्थन में बयान दिए, जिसे विपक्ष ने लोकतंत्र में असहमति को दबाने की कोशिश बताया।
क्या है हालिया घटनाक्रम !
सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ ने हाल ही में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और आप नेता अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी, जिससे उनकी विपक्ष के साथ बढ़ती निकटता की चर्चाएं शुरू हुईं। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि धनखड़ किसानों के मुद्दों पर सरकार के रुख से असहमत थे और इसे सार्वजनिक मंचों पर उठाते रहे।
इस्तीफे की टाइमिंग और सियासी अटकलें
धनखड़ का इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया, जिसने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए। कुछ प्रमुख अटकलें विपक्ष का मानना है कि धनखड़ की निष्पक्षता और उनके कुछ बयानों ने बीजेपी के कुछ नेताओं को असहज किया। पप्पू यादव ने इसे बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए की रणनीति का हिस्सा बताया।
आगे क्या ? कार्यवाहक व्यवस्था
धनखड़ के इस्तीफे के बाद हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति होंगे। संविधान के अनुच्छेद 68 के तहत उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति को जल्द से जल्द भरने के लिए चुनाव होगा। चुनाव आयोग जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा। नया उपराष्ट्रपति पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए पद संभालेगा।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा सतह पर स्वास्थ्य कारणों से लिया गया निर्णय लगता है, लेकिन इसके पीछे सियासी दबाव और रणनीति की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उनका राजनीतिक सफर, जिसमें पार्टी बदलाव, राज्यपाल के रूप में टकराव, और उपराष्ट्रपति के रूप में विवाद शामिल हैं, हमेशा चर्चा में रहा। इस्तीफे की टाइमिंग और सियासी माहौल इसे बीजेपी की रणनीति या आंतरिक तनाव का हिस्सा होने का संकेत देता है। नए उपराष्ट्रपति के चुनाव तक यह मुद्दा सियासी बहस का केंद्र बना रहेगा।