नई दिल्ली : एआई आपकी प्रोफेशनल लाइफ यानी वर्कप्लेस का बड़ा हिस्सा बन चुका है. इसके चक्कर में जॉब मार्केट बहुत तेजी से बदल रहा है. एआई टेक्नोलॉजी जॉब इंडस्ट्री को नया रूप दे रही है. इससे काम करने के तरीके, जरूरी स्किल्स और उपलब्ध नौकरियां प्रभावित होने लगी हैं. एआई-बेस्ड ऑटोमेशन डेटा एंट्री और क्वॉलिटी कंट्रोल जैसे काम आसानी से संभाल रहा है. रोबोट और एल्गोरिदम ने मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में मेहनत वाले कामों को आसान कर दिया है.
विभिन्न रिसर्च के अनुसार, सामान्य स्किल्स वाली नौकरियां खतरे में हैं. AI&Beyond की को-फाउंडर जसप्रीत बिंद्रा की मानें तो एआई केवल नौकरियां खत्म नहीं कर रहा है, बल्कि नए करियर पाथ भी बना रहा है. डेटा साइंटिस्ट, मशीन लर्निंग इंजीनियर और एआई एथिक्स एक्सपर्ट जैसे रोल्स की मांग बढ़ी है. एआई पर्सनल टीचिंग और डायग्नॉस्टिक टूल्स के जरिए हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर्स में बदलाव ला रहा है. फ्रीलांसर्स के लिए गिग इकॉनमी भी एआई के वरदान से कम नहीं है.
एआई ने बना दिए नए अवसर
एआई के आने से डेटा साइंटिस्ट, मशीन लर्निंग इंजीनियर और एआई एथिक्स एक्सपर्ट जैसी नई नौकरियां ट्रेंड में आ गई हैं. एआई नौकरियों को बदलने के साथ-साथ डायवर्स और अडैप्टेबल करियर पाथ बना रहा है. एआई के दौर में ह्यूमन क्रिएटिविटी और टेक्निकल एक्सपर्टीज वाली जॉब्स को बढ़ावा मिल रहा है.
एजुकेशन सिस्टम में बदलाव की जरूरत
एआई टेक्नोलॉजी जितनी तेजी से डेवलप हो रही है, उतनी ही तेजी से जॉब मार्केट में जरूरी स्किल्स भी बदल रही हैं. क्रिटिकल थिंकिंग, क्रिएटिविटी और इमोशनल इंटेलिजेंस जैसी सॉफ्ट स्किल्स को मशीन रिप्लेस नहीं कर सकती है. आजीवन सीखते रहना जरूरी है. अपस्किलिंग और रीस्किलिंग प्रोग्राम एआई-बेस्ड बदलावों के लिए तैयार कर रहे हैं. अब स्कूल सिलेबस में एआई और डिजिटल लिटरेसी को शामिल करना जरूरी है. सरकारों को चाहिए कि वे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए ट्रेनिंग प्रोग्राम में इनवेस्ट करना चाहिए.
एथिक्स को मिल रही है चुनौती
एआई के डायवर्स इस्तेमाल से एथिकल इश्यूज़ भी सामने आने लगे हैं. इसलिए समय रहते एल्गोरिदम में पक्षपात, डेटा प्राइवेसी और डिजिटल असमानता जैसे मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी है. पॉलिसी मेकर्स और विभिन्न व्यवसायों को मिलकर ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करना होगा, जो एआई का जिम्मेदार और inclusive इस्तेमाल सुनिश्चित कर सके. एआई के निगेटिव इंपैक्ट को कम करने के लिए टेक्नोलॉजिकल प्रोग्रेस और Social Equality के बीच बैलेंस बनाकर चलना जरूरी है.